एक सेठ जोकि काफी ज्य़ादा कंजूस था। सालों से वह एक ही पजामा पहन रहा था और वह नया पजामा नहीं लेता था। उसे लगता था कि इससे पैसा खर्च होगा। घर वालों के बहुत प्रयास करने के बाद कंजूस सेठ ने एक पजामा खरीद लिया।
जब पजामा सिलकर तैयार हुआ और जब सेठ अपनी दुकान पर जा रहा था तो उसने नहा कर वह पजामा पहनने का निर्णय लिया। सेठ ने उस पजामे को पहना तब उसे पता चला कि वह पजामा पांच अंगुली बड़ा है।
उसने उस पजामे को उतार दिया और सेठानी के पास गया कि इस पजामे को पांच अंगुली छोटा कर दो ताकि मैं इसे पहन सकूं परंतु सेठानी अपने कार्य में बिजी थी, सेठानी ने कहा कि इसे रख दो मैं बाद में कर दूंगी।
सेठ ने कहा ठीक है इसे कर देना परंतु सेठ को लगा कि शायद सेठानी भूल न जाए इसलिए वह अपनी पुत्रवधु के पास गया और उससे कहा कि पुत्री इस पजामे को पांच अंगुली छोटा कर देना यह बड़ा है और मैं इसे पहन नहीं पा रहा हूँ, पुत्रवधु ने कहा ठीक है पिताजी।
मैं अनाज को साफ करने के बाद आपके पजामे को ठीक कर दूंगी परंतु सेठ को लगा कि पुत्रवधु अपने कार्य में कुछ ज्य़ादा ही व्यस्त है इसलिए वह अपनी बेटी के पास गया और उसे कहा कि बेटी मेरा पजामा पांच अंगुली बड़ा है इसे तुम पांच अंगुली छोटा कर दो। बेटी पढ़ाई में व्यस्त थी इसलिए उसने कहा पिता जी आप इसे रख दीजिए मैं इसे ठीक कर दूंगी।
सेठ ने पुराना पजामा पहना और दुकान पर चला गया कुछ समय बाद सेठानी को याद आया कि सेठ जी ने बोला था पजामे को पांच अंगुली छोटा करना है।
सेठानी ने पजामे को पांच अंगुली छोटा कर दिया और उसे टांग दिया फिर बहू को याद आया कि ससुर जी पजामे को छोटा करने को बोलकर गए हैं इसलिए पुत्रवधु ने भी पजामे को पांच अंगुली छोटा कर दिया।
थोड़ी देर बाद बेटी भी पढ़ाई से फ्री हुई तो उसे भी याद आया कि पिताजी का पजामा पांच अंगुली छोटा करना है उसने भी पजामे को पांच अंगुली छोटा कर दिया।
जब सेठ रात को आया और जब उसने पजामे को देखा तब उसे समझ में आया कि वह पजामा पहनने के लायक नहीं बचा है क्योंकि उसने तीनों से एक ही समय पर वह कार्य करने को कह दिया इसलिए वह कार्य बिगड़ गया। जिसमें उसी की ही गलती थी। इसलिए वह किसी को कुछ कह भी नहीं सका।
सीख: हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने कार्य को किसी को देने से पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि वह कार्य को कौन करेगा यदि एक ही समय पर एक कार्य को कई लोग करेंगे तो वह कार्य अत्यधिक बिगड़ सकता है।