मुख पृष्ठकथा सरितामुश्किल वक्त में कभी भी हार न मानें…

मुश्किल वक्त में कभी भी हार न मानें…

एक गांव में बहुत अमीर व्यक्ति रहा करता था। जिसका नाम किशोर था और उसकी पत्नी का सरिता था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। उनकी शादी को काफी समय हो चुका था वह दोनों काफी ज्य़ादा अमीर थे। इसलिए अपने घर की देखभाल के लिए दो नौकर रखे थे। जिनका नाम बहादुर और शमशेर था।
उसी गांव के बाहर दो चोर थे और उनसे पूरा गांव परेशान था क्योंकि वह लोगों की अत्यधिक सावधानी के बावजूद भी चोरी कर लेते थे। उन दोनों चोरों ने विचार बनाया गांव के धनी व्यक्ति किशोर के घर चोरी करने का।
वह रात्रि होते ही किशोर के घर में घुस गए। वह घर में कीमती सामान ढूंढने लगे परंतु गलती से एक चोर के हाथ से कुछ गिर गया और शोर होने के कारण सरिता जग गई और आवाज़ होने के कारण समझ गई कि कमरे के बाहर चोर हैं।
परंतु यदि वह कमरे से बाहर गई तो उन दोनों पति-पत्नी की जान को खतरा है। सरिता जानती थी कि यदि वह अपने दोनों नौकरों को किसी प्रकार उठा दे तो वह इन चोरों को आसानी से पकड़ लेंगे।
परंतु मुश्किल थी कि उन दोनों नौकरों को किसी प्रकार उठाया जाए वह पास के कमरे में ही सो रहे थे, जहाँ तक आवाज़ पहुंचना कोई मुकिश्ल कार्य नहीं था।
परंतु यदि वह बिना किसी कारण के उन दोनों को आवाज़ लगाती है तो चोर समझ जाएंगे कि वह जान चुकी है कि घर में चोरी हो रही है इससे उन दोनों की जान को खतरा भी हो सकता है।
इसलिए सरिता ने ऐसा नहीं किया। उसने अपने पति को उठाया और कहा कि हमारे घर में चोर हैं हमें बहादुर और शमशेर को उठाना होगा। तो पति को समझ में नहीं आया कि यह कैसे होगा।
चोर कमरे के बाहर तक पहुंच चुके थे जिससे दोनों की जान को भी खतरा था। पत्नी ने कहा कि मैं जैसा कहती हूँ वैसा ही करो। पत्नी ने चिल्लाते हुए कहा कि सुनो जी आपको तो पता ही है कि मैं माँ बनने वाली हूँ।
अगर हमारा बेटा हुआ तो आप उसका क्या नाम रखेंगे? पति ने चिल्लाते हुए कहा कि मैं उसका नाम ‘बहादुर’ रखूंगा, फिर पत्नी ने ज़ोर आवाज़ से कहा कि आपका अगर दूसरा बेटा हुआ तो आप उसका क्या नाम रखेंगे?
पति ने चिल्लाते हुए कहा कि ‘शमशेर’ नाम रखूंगा फिर पत्नी ने कहा कि अगर तीसरा बेटा हुआ तो आप उसका क्या नाम रखेंगे? पति ने कहा कि मैं उसका नाम चोर रखूंगा।
यह सुन दोनों चोर जोकि कमरे के बाहर थे बहुत खुश हुए फिर सरिता ने कहा कि आपकी आवाज़ में तो दम ही नहीं है ज़ोर से बताओ कि आप अपने तीनों बेटों का क्या नाम रखोगे?
किशोर ने ज़ोरों से चिल्लाते हुए बताया कि ‘बहादुर, शमशेर, चोर’ सरिता बोली तुम्हारी आवाज़ में तो दम ही नहीं है मुझे ज़ोरों से सुनना है ताकि पता चले कि तुम कितने खुश हो।
पति ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा ‘बहादुर, शमशेर, चोर’ ‘बहादुर, शमशेर, चोर’ यह सुन बहादुर और शमशेर उठे और मालिक के कमरे की तरफ भागे उन्होंने बाहर चोरों को देखा और उन्हें पकड़ लिया।

सीख : इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि मुश्किल वक्त में कभी भी हमें मानसिक संतुलन नहीं खोना चाहिए। ऐसा करना एक बड़ी समस्या को आमंत्रण देने जैसा है। इसलिए हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

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