मुख पृष्ठब्र. कु. सूर्यमन की बातें-- राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

मन की बातें– राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

अनुभव – शोभना दुबे,नागपुर

मैं भी आकांक्षाओं के पंख लगाकर आसमान में उडऩा चाहती थी। लेकिन अवसाद के कारण ऐसा नहीं हो पाया। मेरा विवाह हुआ, एक बच्चा भी हुआ। लेकिन विवाह के बाद भी अवसाद की स्थिति बनी रही। मुझे मनोचिकित्सकों को भी दिखाया गया लेकिन डिप्रेशन की दवाइयां, नींद की दवाइयां खाते-खाते भी उनका कोई असर नहीं हुआ और मेरी स्थिति बिगड़ती ही चली गई। मेरा बेटा, मेरे पति इस परिस्थिति से बहुत परेशान थे। परिवार पर भी इसका बहुत ही बुरा असर पडऩेे लगा था। मैं भी इस दलदल में धंसती चली जा रही थी। तभी अचानक मेरी जो छोटी बहन है, मुम्बई में रहती है उसने कहा तुम ब्रह्माकुमारीज़ में जाओ। मैं वहाँ गई, मैंने वहाँ सात दिन का कोर्स किया, वहाँ जाने से मुझे असीम शांति प्राप्त हुई। तीन महीने तक लगातार मुरली सुनी, उसके पश्चात् मेरी नींद की गोलियां, डिप्रेशन की जो गोलियां थी वो छूट गईं। मैं बहुत ही खुशी का अनुभव कर रही हूँ। मेरे जीवन में संस्कार परिवर्तन हुए हैं। मेरे अनुभवों को, मेरे परिवर्तन को देखकर मेरे पति और मेरा बेटा वो भी विद्यालय से जुड़ गये हैं। मेरे जो निकट सम्बन्धी थे उन्हें भी बड़ा आश्चर्य हुआ कि ऐसी जो विकट स्थिति थी वो कैसे चेंज हो गई! अब मेरा जीवन स्वर्ग जैसा हो गया है, स्वर्ग जैसा मैं अनुभव कर रही हूँ। और मैं सबको यही सजेस्ट करती हूँ कि एक बार राजयोग का अभ्यास ज़रूर करें। इससे उनके जीवन का अंधकार भी समाप्त हो जायेगा।

प्रश्न : मैं ज्योति हूँ, रांची से। काफी दिनों से मन की स्थिति बहुत खराब है। बात-बात पर चिड़ जाती हूँ। ऑफिस में और घर में कहीं भी मन नहीं लगता है। इस स्थिति को मैं कैसे पार पाऊं?
उत्तर : ज्योति को अपनी ज्योति जगानी पड़ेगी। क्योंकि ये भी एक मन पर बुरी चीज़ों का प्रभाव ही है। मन के अन्दर के जो निगेटिव संस्कार हैं वो काम करने लगे हैं। तो ऐसे में मनुष्यों को इरीटेशन होता है। फिर कभी-कभी ज्य़ादा क्रोध भी आता है। फिर कभी-कभी ज्य़ादा एक्सपेक्टेशन्स करने लगते हैं। कभी-कभी टाइम कॉन्शियस हो जाते हैं। मान लो ऑफिस में काम कर रहे हैं, उनका काम पूरा हो गया और उनको दूसरा काम दे दिया तो इरीटेट हो जाएंगे कि मैंने अपना काम पूरा कर लिया अब मुझे घर जाना था, ये क्या, ये क्या फिर गुस्सा आने लगेगा उन्हें। और इससे पहले तो आपको ये याद रखना पड़ेगा कि इससे आंतरिक शक्तियां बहुत नष्ट होती हैं। क्रोध, इरीटेशन मनुष्य की विवेक शक्ति को नष्ट करता है। इससे एक बहुत बड़ा नुकसान ये है कि जिसके लिए मनुष्य काम कर रहा है, पैसा कमा रहा है कि वो खुश रहे, वो सुखी रहे, उसके चित्त में शांति रहे, वो सब छूट जाता है पीछे। इसलिए अपने पर थोड़ा-सा ध्यान देकर फिर वो ही काम करेंगे। सवेरे उठते ही याद करेंगे मैं बहुत भाग्यवान हूँ। मैं पीसफुल हूँ। मैं बहुत खुशनसीब हूँ। इस तरह के विचार करेंगे। मुझे तो अपने जीवन की यात्रा का आनंद लेना है। ये जीवन बहुत सुन्दर है। मुझे पीसफुल होना है। मैं तो मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मैं इरीटेट कैसे हो सकती हूँ! मैं छोटी-छोटी बातों में अशांत कैसे हो सकती हूँ! मैं नहीं होऊंगी। आज सारा दिन उठते ही संकल्प कर दें, आज सारा दिन इरीटेशन से मुक्त रहूँगी, एन्जॉय करूंगी, हर कार्य को मैनेज कर लूंगी। इस तरह के विचार आप सवेरे करेंगी, ये स्वमान हुए मैं एक महान आत्मा हूँ, मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं शान्त हूँ। ये अभ्यास करने से अन्दर की शांति बढ़ेगी, शक्तियां बढ़ेंगी और आप अपने कार्यों को भी मैनेज कर पाएंगी। इससे आपको बहुत फायदा होगा और आपको लक्ष्य बना लेना चाहिए कि इरीटेट बुरी चीज़ है, इससे कई बीमारियां पैदा होंगी। मुझे इससे जल्दी से जल्दी मुक्त हो जाना है।

प्रश्न : मैं मुकेश श्रीवास्तव हूँ, भोपाल से। मैं पिछले छह मास से ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय से जुड़ा हुआ हूँ। यहाँ आकर मैंने अनुभव किया कि सम्पूर्ण सत्य ज्ञान यही है और यहीं से मुझे सर्व समस्याओं का समाधान मिल सकता है, मुक्ति-जीवनमुक्तिमिल सकती है। पहले मैं ज्योतिष को बहुत मानता था लेकिन ज्ञान मिलने के बाद मैंने अपनी अंगुठियां निकाल दी। लेकिन भ्राता जी ने कहा कि इनका भी प्रभाव होता है। तो क्या वो अंगुठियां मुझे वापिस धारण कर लेनी चाहिए?
उत्तर : नहीं, अब आपको इन अंगुठियों की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि अंगुठियों से भी ज्य़ादा पॉवरफुल योग आपने सीख लिया है। उनमें भी वेव्ज़ जाती हैं ग्रहों से और वो हमारे शरीर में पहुंच जाती हैं। और यहाँ डायरेक्ट सर्वशक्तिवान से जो वेव्ज़ हमें आती हैं वो हमारे तन में, मन में, बुद्धि में, ब्रेन में सबमें पहुंच जाती हैं। इसलिए अगर आप राजयोग का अच्छा अभ्यास करेंगे तो इन सबकी कोई ज़रूरत नहीं।

प्रश्न : मैं शबनम कपूर हूँ, पुणे से। वास्तु शास्त्र के बारे में आजकल बहुत चर्चा होती है। क्या सचमुच वास्तु दोष होता है? अगर हाँ, तो क्या राजयोग से इन दोषों को दूर किया जा सकता है?
उत्तर : देखिए, आजकल इनकी ज्य़ादा चर्चा है और इसके स्पेशलिस्ट भी बहुत बन गये हैं, हमारे पास भी हैं। हमसे मिलते भी हैं। पहले संसार में बैड एनर्जी बहुत नहीं थी। मनुष्य का जीवन बहुत सात्विक होता था, पवित्र होता था। मनुष्य बहुत चरित्रवान था। लेकिन पिछले 40-50 सालों में युग बदल गया। तो हमारे चारों ओर निगेटिव एनर्जी का जैसे प्रकोप है, एक सागर लहरा रहा है। तो ये प्रवेश करती है घरों में भी। लेकिन बात है कि राजयोग से उसको दूर किया जा सकता है। एक तरफ से दरवाज़ा खुला है और बदबू आ रही है, हमने अगरबत्ती जला दी लेकिन फिर भी हमने दरवाज़ा तो खोल कर ही रखा है। बदबू बहुत आ रही तो अगरबत्ती की सुगन्ध को वो नष्ट कर डालेगी ना। हम राजयोग बहुत करते हों लेकिन बैड एनर्जी के लिए हमने दरवाज़े खुले रखें हों तो हमारा राजयोग भी निष्प्रभावी हो जाता है। और फिर राजयोग इसके लिए ज्य़ादा चाहिए। आठ घंटे कम से कम रोज़। ऐसा तो लोग कर नहीं पाते। आधा घंटा भी नहीं कर पाते हैं। इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार जो छोटे-मोटे करेक्शन घरों में करने चाहिए वो अवश्य कर लेने चाहिए। जैसे मान लो दरवाज़े के पास ही प्रवेश किया वहीं बाथरूम बनाया गया है, टॉयलेट बनाया गया है, इसका देखिए कारण क्या है? आपने दरवाज़े पर ही डस्टबीन रखा है बड़ा-बड़ा। एक व्यक्ति बाहर से आया तो आते ही क्या करेगा कि बदबू। तो एक बैड वायब्रेशन के साथ मनुष्य ने आपके घर में प्रवेश किया।
एक व्यक्ति आता है आपके घर के सामने फूल खिले हुए हैं, तुलसी की महक आ रही है, रात की रानी की महक आ रही है तो उसके कैसे हाव-भाव होंगे। अहा… क्या सुन्दर है! गुड वायब्रेशन्स के साथ घर में प्रवेश करेगा। इसलिए उन्हीं स्थानों को हटवा दिया जाता है। बस, ये है। कई बार ये भी कहा जाता है कि बिना तोड़-फोड़ के भी कुछ चीज़ें कर ली जाएं तो ठीक होता है। क्योंकि हरेक के लिए सम्भव नहीं होता है कि वो तोड़-फोड़ कर पाएं। ऐसे भी स्पेशलिस्ट हैं जो छोटी-छोटी पिरामिड, स्वास्तिक, शंख, नमक चीज़ें फिट करा देते हैं और वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments