सही शक्ति का प्रयोग सही समय पर…

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बाबा ने हम बच्चों को एक बहुत सुन्दर खज़ाना दिया है, और वो खज़ाना है – सर्वशक्तिवान की सर्व शक्तियों का, गुणों का। बाबा की एक मुरली मुझे याद आती है कि चुनौती के वक्त अगर सही शक्ति का प्रयोग किया गया तो अष्ट की माला में आ जायेंगे। यानी क्रपासविद् ऑनरञ्ज हो जायेंगे। इसलिए सर्वशक्तिमान की सर्वशक्तियों का खज़ाना हमें मिला है। अब जो प्रॉब्लम, जो चुनौती हमें आती है उस समय कौन-सी शक्ति का प्रयोग करना है, कहाँ सहनशक्ति का प्रयोग करना है, कहाँ समाने की शक्ति का प्रयोग करना है और उसका प्रयोग करते हुए हम सहजता से उसको पार करें। जो कहावत है कि साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। इस तरह उस शक्ति का प्रयोग करते हुए शक्ति स्वरूप बनें।
बाबा ने कहा है – बच्चे आप सभी को शक्तियों के रूप में भुजाओं में अष्ट अस्त्र-शस्त्र मिले हैं। उसी का तो गायन-पूजन हो रहा है। जो चुनौती, जो प्रॉब्लम आपके सामने आती है तो उस समय पहले 2 मिनट साइलेंस में रहकर के सोचो कि कौन-सी शक्ति का मुझे प्रयोग करना है। और ऐसे समय पर उस शक्ति को इमर्ज करो या आह्वान करो। बाबा ने ये भी हम बच्चों को गैरंटी दी है- बच्चे जब ये आप बाबा को कहेंगे, बाबा आज मुझे इस शक्ति का प्रयोग करना है तो हुज़ूर भी हाजि़र हो जायेंगे उस शक्ति के साथ। सर्वशक्तिवान बाबा आपकी मदद के लिए हाजि़र हो जायेंगे। क्योंकि हम अपने मन को साइलेंस में नहीं ले जाते और सोचते नहीं हैं कि इस समय कौन-सी शक्ति का प्रयोग करना है तो हम गलत जगह पर,गलत बातों का प्रयोग कर लेते हैं जिससे वो चुनौती और विकराल रूप धारण कर लेती है। इसलिए बाबा कहते हैं कि थोड़ा तत्काल रिएक्टिव होने के बजाए, तत्काल रिएक्शन में आने के बजाए थोड़ा शान्ति से सोचो कि इस समय मुझे कौन-सी शक्ति का आह्वान करना है। और आप बाबा को याद करके उस शक्ति का आह्वान करो, वो आयेगा। लेकिन होता क्या है कि वहाँ शक्ति का प्रयोग करने के बजाए कोई न कोई कमज़ोरी ज़रूर घुस जाती हैऔर उसका प्रयोग हो जाता है। और उसमें भी खास करके किसका प्रयोग हो जाता है? गुस्सा आ जाता है। अब गुस्सा आ गया और गुस्से का प्रयोग हो गया तो वो चुनौती बड़ा स्वरूप लेगी या कम होगा? बड़ा स्वरूप धारण कर लेती है। फिर उसको हैंडल करना, उसको पार करना बहुत मुश्किल होगा।
कई बाबा के बच्चे जब मधुबन में भी आते हैं तब कई बार हम उनको पूछते हैं बाबा के पास आये हैं तो बाबा को क्या गिफ्ट देकर जा रहे हैं? तो कहते हैं कि हाँ, यहाँ हम आज से हमारी ये कमज़ोरी दान करके जा रहे हैं। बाबा तो कहते हैं ना कि अपना किचड़ा मुझे दे दो। करते हैं ना ऐसा कई लोग? लेकिन सोचने की बात है कि मान लो यहाँ एकदम अंधेरा हो और कोई व्यक्ति आकर कहे- इस अंधेरे को निकालो। अंधेरा निकलेगा? नहीं। क्यों? क्योंकि अंधेरे का कोई स्त्रोत नहीं है। लेकिन ये अंधेरा क्यों आया, प्रकाश के अभाव के कारण। प्रकाश जगाओ तो अंधेरा अपने आप समाप्त हो जाता है। अंधेरे को निकालने की मेहनत नहीं करो। ठीक इसी तरह जीवन के अंदर ये कमी-कमज़ोरी आई है तो क्यों आई है? कमी-कमज़ोरी को निकालने का प्रयत्न नहीं करो। क्योंकि वो निकलेगी नहीं, वो अंधेरा है। आप अगर बाबा को लिख करके भी देकर जायेंगे ना कि बाबा आज से मैं ये कमज़ोरी आपको दान देकर के जाती हँू लेकिन यहाँ से जाने के बाद जैसे ही कोई परिस्थिति आई तो क्या होगा, वो कमज़ोरी वापिस आ जाती है, फिर व्यक्ति उदास, निराश हो जाता है। बाबा के कमरे में लिखकर, देकर के आये। पता नहीं बाबा की मदद क्यों नहीं मिलती? वो इसलिए क्योंकि कमज़ोरी को निकाला नहीं जाता है। कमज़ोरी क्यों आई, शक्ति अभाव यही कमज़ोरी है। जिस तरह अंधेरा क्यों आया? प्रकाश का अभाव, यही अंधेरा है। अंधेरे का अपना स्त्रोत नहीं है, प्रकाश का स्त्रोत है। ठीक इसी तरह शक्ति का स्त्रोत है और शक्ति का स्त्रोत सर्वशक्तिवान बाप है।
अब कोई व्यक्ति का हाथ हिल रहा हो। आप उसको कहो- हाथ नहीं हिलाओ, अरे कमज़ोरी है ना! हाथ तो हिलेगा ही। अगर आप उसको टॉनिक दो, विटामिन दो। ऐसी चीज़ें दो जो शक्ति उसके अन्दर जनरेट करे। तो शक्ति जैसे आने लगेेगी तो हाथ अपने आप हिलना बन्द हो जायेगा। आज हमारा मन भी ऐसे ही हिलता रहता है। ये करो, ऐसा करो, वैसा करो। ये करना चाहिए वो करना चाहिए। मनुष्य निर्णय नहीं ले पाता। इतना मन डगमगाता है। ये शक्ति का प्रयोग करूँ, वो शक्ति का प्रयोग करूँ। मन इतना कमज़ोर हो गया है। और आप बाबा को कहो कि बाबा हमने ये कमज़ोरी आपको दे दिया। ऐसे कमज़ोरी निकल जायेगी क्या? नहीं।
इसलिए बाबा कहते हैं- अमृतवेले बैठो, बाबा को याद करो। सर्वशक्तिवान के रूप में याद करो। और बाबा से शक्ति का आह्वानकरो। माँगने की ज़रूरत नहीं है। जिस तरह से आप बाहर धूप में खड़े रहो तो सूर्य से माँगते नहीं हो कि हे सूर्य देवता तुम्हारी गर्माइस मुझे दे। आप खड़े रहो मिलेगी। ठीक इसी तरह बाबा से भी माँगने की ज़रूरत नहीं है। आप मन को बाबा में एकाग्र करो। जैसे-जैसे शक्ति का आह्वान करते जायेंगे, वो कमज़ोरी भरती जायेगी। आत्मा सशक्त होती जायेगी। और जैसे-जैसे आत्मा सशक्त होने लगेगी, वैसे ही क्या होगा? वो कमज़ोरी समाप्त हो जायेगी।

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