मुख पृष्ठदादी जीदादी हृदयमोहिनी जीएक गेट आउट करो और दूसरा गेस्ट हाउस याद रखो

एक गेट आउट करो और दूसरा गेस्ट हाउस याद रखो

हमें बाबा से वरदान मिला है- खुश रहो और खुशी बांटो। तो खुशी वही बाटेंगे जो खुश रहेंगे। खुशी एक ऐसी चीज़ है जिसमें हेल्थ, वेल्थ और हैप्पी तो है ही। अगर खुशी जाती है तो एक खुशी नहीं गयी, हेल्थ, वेल्थ भी चली जाती है। खुशी जैसी खुराक नहीं और खुशी जैसा खज़ाना नहीं इसलिए बाबा कहता है खुशी कभी नहीं जानी चाहिए। बाबा ने कह दिया है पेपर तो आयेंगे, बातें तो आएंगी लेकिन बातें भगवान की चीज़ अविनाशी खुशी लेकर जाये, यह नहीं होना चाहिए। हमें तो भगवान की देन है, खुश रहो, खुशी बांटो।
खुशी जाने के विशेष दो ही कारण होते हैं, एक हमारे अन्दर जो इच्छा है वो पूर्ण नहीं होती है तो खुशी जाती है। दूसरा हम घर में आराम से बैठे हैं, कोई बात नहीं है लेकिन हमारा कोई मित्र आता है, हमारे लिए झूठ-सच्ची ग्लानि के शब्द बोलता है जो हम है नहीं, लेकिन ग्लानि करते हैं तो क्या होता है? उस समय हम ग्लानि सुनके खुशी दे देते हैं और शोक ले लेते हैं। यानी इतने समझदार हम हैं! वो चाहता नहीं है अपनी खुशी हमको दो, हम आपे ही दे देते हैं। पांच शब्द बाबा बताते हैं, क्यों, क्या, कब, कौन, कैसे? यह पश्चाताप के साधन हैं, इसमें ही उलझते रहते हैं। फिर वेस्ट थॉट चलते रहते हैं। भविष्य को सोचेंगे तो वेस्ट थॉट बदल जायेंगे। तो खुशी को कभी नहीं गंवाना। पहाड़ जैसी समस्या भी आ जाये, तो पहाड़ को तोडऩे नहीं बैठ जाना। क्या, कैसे करना माना पहाड़ को तोडऩा। उड़ के पहाड़ पर बैठ जाना। आप बड़ी बात को बड़ा नहीं करो, छोटा करो। बाबा ने हमें खुशनसीब बनाया है, तो हमारी खुशी कभी नहीं जानी चाहिए।
अभी मधुबन में किसी के पास माया आई? सब माया प्रूफ रहे ना! तो फिर खुशी तो होगी ही। इस वातावरण में रहकर, मनन-चिन्तन करके भिन्न-भिन्न अवस्थाओं का अनुभव करते रहेंगे तो माया को आने की फुर्सत ही नहीं मिलेगी। बाबा ने दो शब्द कहे थे, दो शब्दों में सारी बातें आ जाती हैं। एक गेट आउट करो, दूसरा गेस्ट हाउस याद रखो। गेट-आउट माया को करो, मैं बिज़ी हँू। यहाँ जैसे अभ्यास करते हो, वहाँ भी जाकर ऐसा अभ्यास रखना। बीच-बीच में अटेंशन देकर लिंक जोडक़र रखना, नहीं तो कर्म करते कर्मयोग नहीं रहता है, कर्मकर्ता बन जायेंगे।
बाबा ने हमें भिन्न-भिन्न स्वमान दिए हैं, अगर हम भिन्न-भिन्न स्वमान रोज़ स्मृति में रखें और दूसरा प्राप्ति सामने रखें तो जैसे अपने को होमवर्क दे दिया। फिर उसी होमवर्क में बिज़ी रहेंगे तो आपका चेहरा ही सेवा करेगा, बोलने की ज़रूरत नहीं होगी। समय पर वरदान आदि जो देते हैं, वो सब एक समय पर याद नहीं होता है, तो यह सब खज़ाना अपने पास रखना चाहिए।

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