सूरज अकेला आसमान में चमकता है, पूरे संसार को रोशन करता है। अकेली इष्ट देवी, अकेली महान आत्मा जग के कल्याण के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाती है।
ये जो व्यर्थ मनुष्य के मन में चलता है उससे व्यक्ति की एकाग्रता नष्ट होती है। मैं ऐसे कहूँ तो मनुष्य का श्रृंगार ही बिगड़ गया है। क्योंकि जो कुछ मनुष्य सोचता है उसके हर संकल्प के वायब्रेशन सबसे पहले ब्रेन में फैलते हैं। उसका असर सर्वप्रथम मस्तक से, चेहरे से दिखाई देता है। तो जो व्यक्ति बहुत व्यर्थ सोचता है। उसका अपना जीवन तो जैसे विषैला होता ही जाता है। पर एक बैड एनर्जी उसके ब्रेन को जाने लगती है। जो अनेक योग्यताओं को डैमेज करती है। आज के समय में व्यर्थ बहुत बड़ी समस्या है। ब्राह्मणों को ये अवेयरनेस है उन्हें ध्यान रहता है कि हमें व्यर्थ नहीं सोचना है, तो उन्हें पता चलता है कि हम व्यर्थ सोच रहे हैं। संसार में जो लोग हैं उसमें भी विशेष जो युवा वर्ग हैं, मात्र शक्ति है, मैं दोनों की बात इसलिए कर रहा हूँ कि जब बड़े हो गए और मनुष्य अपने काम-धंधे में लग गया तो उनका व्यर्थ थोड़ा कम भी हो जाता है। लेकिन मात्र शक्ति और युवक भिन्न-भिन्न तरह से व्यर्थ के शिकार होते रहते हैं। इससे एकाग्रता खत्म होती है। परमात्म मिलन का सुख चला जाता है। योग-राजयोग जो बहुत बड़ी चीज़ है जिससे हम परमात्म शक्तियां प्राप्त करते हैं, प्यूरिटी को प्राप्त करते हैं, जिससे वास्तव में आत्मा का श्रृंगार होता है, उसकी बीमारियां दूर होती हैं वो योग फिर लगेगा ही नहीं। एकाग्रता होगी ही नहीं। बैठेंगे योग अभ्यास के लिए, मेडिटेशन के लिए मन भटक जायेगा इधर-उधर। इसलिए ये परम आवश्यक है कि हम एकाग्रता को बढ़ाएं, अपने व्यर्थ को पहचानें। किस दिशा में मेरा मन भटक रहा है, क्यों भटक रहा है। क्या ईश्वरीय ज्ञान लेकर हम उससे स्वयं को मुक्त नहीं कर सकते! जिस ज्ञान का हमें युगों से इंतज़ार था। जिस भगवान की हमें तलाश थी, सबकुछ तो हमारे सम्मुख है। व्यर्थ में हम अपने अनमोल समय को व्यर्थ में व्यतीत न करें।
मैं आप सभी को एक थॉट दे रहा हूँ वो है अपने इस जीवन की वैल्यू को समझना। जीवन बहुत वैल्यूबल चीज़ है, और ब्राह्मणों का संगमयुगी जीवन, भगवान के द्वारा मिला हुआ अलौकिक जीवन उसके तो कहने ही क्या! इसमें तो हम अपने श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण कर सकते हैं। जिस श्रेष्ठ दिशा में अपने को ले जाना चाहें,जा सकते हैं। जो मुक्ति के जिज्ञासु हैं वो मुक्ति की ओर बढ़ सकते हैं। जो जीवनमुक्ति में हाइअर स्टेटस(ऊँचा पद) प्राप्त करना चाहते हैं तो उनके कदम उसकी ओर बढ़ते जायेंगे।
अपने जीवन को वैल्यू देना, सभी अपने से पूछें कि हम अपने को वैल्यू दे रहे हैं क्या? दुनिया में भी, संसार में लौकिक जीवन व्यतीत करने वालों के लिए भी, जीवन बहुत मूल्यवान चीज़ होती है। कई लोग जीवन की वैल्यू को न समझके इसके क्षणों को व्यर्थ गंवाते रहते हैं। और कई परेशान होकर जीवन का अंत करने का ही सोचते रहते हैं। कई तरह की बीमारियां बढ़ती रहती हैं। जीवन को वैल्यू देंगे, बहुत महत्त्वपूर्ण बात है। और जीवन में दो चीज़ें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं वो हैं हमारे संकल्प, थॉट, विचार और हमारा समय। कई लोगों को समय की वैल्यू नहीं होती है। पर हमें अपने समय को वैल्यू देनी है। ऐसा समय संगमयुग का समय, भगवान से मिलन का समय, सर्व खज़ाने प्राप्त करने का समय बहुत भाग्यवान और पुण्य आत्माओं को ही प्राप्त हुआ है। रियलाइज़ कर लें, एक्सेप्ट कर लें कि हम बहुत भाग्यवान हैं। बहुत पुण्य आत्मायें हैं। जो स्वयं भगवान हमारे घर में आ गया है। हमारी पालना करने आ गया है। कितनी वैल्यू है इस जीवन की, कितनी वैल्यू है हमारी एकाग्रता की। बहुत ध्यान देना है। क्योंकि अगर व्यर्थ बहुत है, अगर आप अपने घर में रहते हैं व्यर्थ संकल्प चल रहे हैं तो आपके घर में निगेटिव वायब्रेशन फैलते जा रहे हैं। उन निगेटिव वायब्रेशन से अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं। कहेंगे बच्चे सुनते नहीं, बच्चे पढ़ाई नहीं करते, बच्चे फोन पे रहते हैं, बच्चे इधर-उधर लग गये हैं। जि़म्मेदार आपके घर के वायब्रेशन्स भी हैं। ये आपकी जि़म्मेदारी है आपके घर के वायब्रेशन्स को पॉवरफुल बनाना। व्यर्थ होगा तो वायब्रेशन्स तो कमज़ोर ही हो जायेंगे। आप ये नहीं सोचिए कि मैं अकेला, मैं अकेली मैं क्या करूँ? नहीं। सूरज अकेला आसमान में चमकता है, पूरे संसार को रोशन करता है। अकेली इष्ट देवी, अकेली महान आत्मा जग के कल्याण के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। वायब्रेशन्स बहुत पॉवरफुल, बहुत पॉजि़टिव करेंगे।
अगर आपका व्यर्थ बहुत चलता है तो उसका इफेक्ट(प्रभाव) आपकी बॉडी पर पड़ता है। टेंशन होती है, चितायें होती हैं, या परेशानियां होती हैं। जिनके कारण बहुत व्यर्थ चलता है। बॉडी पर उसका सीधा इफेक्ट आता है। वो देखने में आता है। अगर हमें स्वस्थ रहना है। अगर हमें अपने घर के माहौल को प्यार और खुशी से भरपूर रखना है। अगर अपने चित्त को शांत करना चाहते हैं तो आज एक संकल्प कर लें कि हम व्यर्थ को समाप्त कर लें। कल्प का अन्तिम जीवन, अन्तिम जन्म व्यर्थ में न बीते यही हमारी बुद्धिमानी होगी, यही हमारी समझदारी होगी।
तो आइए हम सभी मिलकर आज से दृढ़ संकल्प करें, बाबा को अपने प्यार में बांध लें। वो जो हमें संकल्प दे रहा है उनमें रमण करें। तो जीवन भी लाइटफुल हो जायेगा। जीवन आनंद से भर जायेगा। और संगमयुग का एक-एक पल हमें कुछ देने वाला हो जायेगा। हमें महसूस होगा कि हमारा जीवन देवताओं से भी श्रेष्ठ है।