अपने को विघ्न विनाशक समझते हो? कोई भी प्रकार का विघ्न सामने आवे तो सामना करने की शक्ति अपने में अनुभव करते हो? अर्थात् अपने पुरूषार्थ से अपने आपको बापदादा के व अपनी सम्पूर्ण स्थिति के समीप जाते अनुभव करते हो व वहाँ का वहाँ ही रूकने वाले अपने को अनुभव करते हो? जैसे राही कब रूकता नहीं है, ऐसे ही अपने को रात के राही समझ चलते रहते हो? सम्पूर्ण स्थिति का मुख्य गुण पै्रैक्टिकल कर्म में व स्थिति में क्या दिखाई देता है व सम्पूर्ण स्थिति का विशेष गुण कौन-सा होता है, जिस गुण से यह परख सको कि अपनी सम्पूर्ण स्थिति के समीप हैं व दूर हैं? अभी एक सेकण्ड के लिए अपनी सम्पूर्ण स्थिति में स्थित होते हुए फिर बताओ कौन-सा विशेष गुण सम्पूर्ण स्टेज को व स्थिति को प्रत्यक्ष करता है। सम्पूर्ण स्टेज व सम्पूर्ण स्थिति जब आत्मा की बन जाती है तो इसका प्रैक्टिकल कर्म में क्या गायन है? समानता का। निन्दा-स्तुति, जय-पराजय, सुख-दु:ख सभी में समानता रहे, इसको कहा जाता है सम्पूर्णता की स्टेज। दु:ख में भी सूरत व मस्तक पर दु:ख की लहर के बजाए सुख व हर्ष की लहर दिखाई दे। निन्दा सुनते हुए भी ऐसे अनुभव हो कि यह निन्दा नहीं, सम्पूर्ण स्थिति को परिपक्व करने के लिए यह महिमा योग्य शब्द हैं, ऐसी समानता रहे। इसको ही बापदादा के समीपता की स्थिति कह सकते हैं। ज़रा भी अन्तर ना आवे, ना दृष्टि में, ना वृत्ति में। यह दुश्मन है व गाली देने वाला है, यह महिमा करने वाला है, यह वृत्ति न रहे। शुभचिंतन आत्मा की वृत्ति व कल्याणकारी दृष्टि रहे। दोनों प्रति एक समान, इसको कहा जाता है समानता। समानता अर्थात् बैलेन्स ठीक ना होने के कारण अपने ऊपर बाप द्वारा ब्लिस नहीं ले पाते हो। बाप ब्लिसफुल है ना। अगर अपने ऊपर ब्लिस करनी है व बाप की ब्लिस लेनी है तो इसके लिए एक ही साधन है – सदैव दोनों बातों का बैलेन्स ठीक रहे। जैसे स्नेह और शक्ति दोनों का बैलेन्स ठीक रहे तो अपने आपको ब्लिस व बाप की ब्लिस मिलती रहेगी। बैलेन्स ठीक रखने नहीं आता है। जैसे वह नट होते हैं ना। उनकी विशेषता क्या होती है? बैलेन्स की। बात साधारण होती है लेकिन कमाल बैलेन्स की होती है। खेल देखा है ना नट का? यहाँ भी कमाल बैलेन्स ठीक रखने की। बैलेन्स ठीक नहीं रखते हो। महिमा सुनते हो तो और ही नशा चढ़ जाता है, ग्लानि से घृणा आ जाती। वास्तव में ना महिमा का नशा, ना ही ग्लानि से घृणा आनी चाहिए। दोनों में बैलेन्स ठीक रहे, तो फिर स्वयं ही साक्षी हो अपने आपको देखो तो कमाल अनुभव होगी। अपने आपसे सन्तुष्टता का अनुभव होगा, और भी आपके इस कर्म से सन्तुष्ट होंगे। तो इसी पुरूषार्थ की कमी होने के कारण बैलेन्स की कमी कारण ब्लिसफुल लाइफ जो होनी चाहिए वह नहीं है।
परमात्म ऊर्जा
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