मुख पृष्ठब्र. कु. सूर्यमन की बातें - राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

मन की बातें – राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

प्रश्न : मेरा नाम प्रिया है। जब मुझसे कोई गलत बात करता है या कोई अच्छे मैनर्स से बात नहीं करता तो मुझे सामने वाले पर बहुत गुस्सा आता है। मैं इसे कैसे ठीक करूँ, कृपया बतायें?
उत्तर : बात-बात में इरिटेट कराये, इन्सल्ट करे, तो मनुष्य तो मनुष्य ही है आखिर। उसकी अपनी फीलिंग होती हैं, उसको गुस्सा तो आयेगा। लेकिन इनकी ये बहुत बड़ी महानता है कि इन्हें ये संकल्प है कि दूसरा व्यक्ति कितना बुरा करे मैं अपनी मनोस्थिति को बिगडऩे न दूं। बहुत सुन्दर लक्ष्य है इनके सामने। उस टाइम उसे आत्मा देखा करें और ये संकल्प किया करें कि इस समय ये आत्मा परवश है लेकिन मैं तो महान हूँ। अपने स्वमान को याद करें। पहले से ही स्वमान में स्थित हो जायें। मैं तो महान हूँ। मैं तो भगवान की संतान हूँ। ये यदि परवश है तो मैं अब क्रोध के वश नहीं हो सकती। मैं क्रोधमुक्त हूँ, मैं विजयी हूँ, मैं विजयी रत्न हूँ, मैं परमपवित्र हूँ, मुझे तो इसे भी शुभ भावनाओं के वायब्रेशन्स देने हैं। तो ऐसा लक्ष्य रख लें कि मुझसे शांति के वायब्रेशन्स जायें। सद्भावनाओं के वायब्रेशन्स जायें, ताकि उसका भी वो संस्कार बदल जाये। तो इससे हम महान बनेंगे, शक्तिशाली बनेंगे, ये खुद शक्तिशाली बनेंगे। इससे उसको अच्छे वायब्रेशन्स जायेंगे। उसमें भी चेंज आयेगी।

प्रश्न : मेरा नाम शुभम है। मैं पुणे से हूँ। मैं 21 वर्षीय युवक हूँ। मेरी समस्या ये है कि डेढ़ साल पहले स्वीमिंग पुल में एक इन्सिडेंट हुआ था मेरा। तो मेरी स्पाइनल कॉर्ड चोकप हो गई है। मुझे गले के नीचे कुछ भी महसूस नहीं होता है। मैं कुछ कर नहीं सकता। डेढ़ साल से मैं बिस्तर पर ही हूँ। कोई भी शारीरिक मूवमेंट नहीं कर सकता। डॉक्टर्स कहते हैं कि जब तक तुम जि़न्दा हो तो ऐसे ही स्थिति बनी रहेगी। मेरे घर वाले मेरी सेवा करते-करते थक चुके हैं। मैं राजयोग का अfiयास भी कर रहा हूँ लेकिन कोई इपू्रवमेंट नहीं है। मैं बहुत परेशान हो चुका हूँ, बार-बार किसी से मेरी सेवा कराके। कृपया गाइड कीजिए।
उत्तर:कोई न कोई कर्मों का खेल सामने आ गया इनके। कुछ गलत डाइव ले ली इन्होंने। तो ये जो कूदने का होता है तालाब में सिर नीचा करके। बहुत सावधानी और ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है। और बच्चे भी उमंग-उत्साह में गड़बड़ कर देते हैं। अब देखिए है तो मेडिकल चीज़ लेकिन मैं इनको सजेस्ट अवश्य करूंगा, मृत्यु तो किसी के हाथ में नहीं होती। मृत्यु कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसका हम आह्वान करें और वो हमारे पास आ जाये। मुझे इस सिचुएशन को एन्जॉय करना है। मन को थोड़ा हल्का करें। क्योंकि इससे बाहर निकला नहीं जा सकता। तो मैं कहूँगा कि कोई और व्यक्ति इनके लिए दो घंटा रोज़ राजयोग मेडिटेशन करे। एक घंटा सवेरे और एक घंटा शाम। और अगर इनकी माँ करे तो बहुत ही अच्छा होगा। क्योंकि ये जो बुरे कर्मों का बुरा खाता इनके सामने आ गया है वो कट हो जाये और लाइन क्लीयर हो जाये और कोई रास्ता मिल जाये। दूसरी चीज़ है इनके ब्रेन को एनर्जी देनी है। अपने हाथों को मलते हुए जैसा कि हम बताया करते हैं, स्वमान लेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। ये काम ये स्वयं कर सकते हैं क्योंकि इन्होंने राजयोग सीख लिया है। अगर उनके हाथ काम करते हों तो वो खुद अपने को एनर्जी दें, नहीं तो कोई और इनके ब्रेन को एनर्जी दें। दस मिनट सवेरे और दस मिनट शाम को। देखिए ये तो सत्य है कि सेवा करने वाले तो थक ही जाते हैं, नहलाना, धुलाना, खिलाना, पिलाना बहुत मुश्किल काम होता है। कोई कितना भी प्रियजन हो वो उब के छोड़ ही देता है। और सब जन यही सोचने लगते हैं कि इससे तो अच्छा है इसकी मृत्यु हो जाये। इसके लिए भी अच्छा है। जैसे हमने कहा कि मृत्यु पर तो किसी का अधिकार नहीं है। तो ब्रेन को इनके एनर्जी दी जाये ताकि ब्रेन जो कन्ट्रोल करता है स्पाइन को, वो एक्टिव हो जाये और कुछ सेंसेशन चालू हो। ये अपने मन के संकल्पों को बहुत सुन्दर करें। और इनके लिए जो सबसे अच्छा अभ्यास रहेगा, स्वमान की प्रैक्टिस। मैं दो-चार स्वमान इनको सजेस्ट कर देता हूँ। मैं एक महान आत्मा हूँ, और उसका बच्चा हूँ। उसको बुला लिया करें, आह्वान किया करें और उससे बातें किया करें। ये नहीं कि मुझे ले चलो। रोना-धोना नहीं। बहुत मीठी-मीठी बातें उनसे करें। मैं एक महान आत्मा हूँ, मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मैं इस देह का मालिक हूँ। मैं आत्मा भृकुटि में हूँ, मैं स्वराज्यधिकारी हूँ, मैं प्रकृति का मालिक हूँ। मैं बहुत अच्छा हूँ, मैं बहुत भाग्यवान हूँ। मैं बहुत सुखी हूँ। यद्यपि इनको लगता होगा कि मैं तो बहुत दुर्भाग्य लेकर जन्मा हूँ। लेकिन इनको ये जागृति अपने अन्दर लानी है कि ये तो कोई कर्म का हिसाब-किताब पूर्ण हो रहा है, रियल में मैं बहुत भाग्यवान हूँ। ऐसे संकल्पों से ये अपने को एनर्जेटिक करें। तो संकल्प शक्ति ऐसी है कि अगर स्पाइन में कहीं कुछ दब गया, कुछ इधर-उधर हो गया है तो ठीक हो सकता है। बॉडी के अन्दर ताकत रहती है, एनर्जी रहती है कि वो खुद ही रिपेयर कर लेती है सबकुछ। जनरेट कर लेती है अपने अन्दर ही अन्दर। कोई रिस्क भी नहीं लेगा, स्पाइन का ऑपरेशन उसमें ज़रा-सी चूक में मृत्यु हो सकती है। लेकिन अगर ये अपने मन को इस तरह एनर्जेटिक करेंगे तो इनको कुछ न कुछ मदद मिल सकती है। इनको स्वीकार करके अब ये इस तरह का चिंतन शुरू करें। और एक चीज़ ये रोज़ ईश्वरीय महावाक्य अवश्य सुनें। कोई सुनाये इनको और ये सुनें उससे इनमें रोज़ नई जागृति होगी। नहीं तो इस स्थिति में क्या होता है, मनुष्य लेटा हुआ है वहाँ ऐसे ही वायब्रेशन्स बने हुए हैं इसलिए इनकी कोई मदद करे रोज़ सुबह और शाम आधा-आधा घंटा इनको ईश्वरीय महावाक्य सुनाए। पानी चार्ज करके दे, इनसे अच्छी-अच्छी बातें करे। कुछ उमंग-उत्साह दिलाने की बातें ताकि इनके मन में निराशा न हो। तो इनको काफी मदद मिलेगी। रात को सोते वक्त अपने को एक विज़न देंगे। बाहर सडक़ पर मैं दौड़ रहा हूँ, जॉगिंग कर रहा हूँ, ये पूरा कॉफिडेंटली इनको करना है। विज़न बनाना ही होगा। कोई इनको ट्रेंड करे, कोई मदद करे तो सब सही हो सकता है।

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