छात्र छात्राओं को एकाग्रता में विचारों का महत्व के टिप्स। दया, भाव, करुणा , सहयोग की भावना से हमारा मन एकाग्र व पढ़ाई में मन लगा रहता है। शांति की तरंगों से पढ़ाई व परीक्षा का भय, डर ,चिंता खत्म हो जाती है मन एकाग्र रहता है। ब्रहमा कुमार नारायण भाई
अलीराजपुर ,मध्य प्रदेश। दुनियां की प्रत्येक वस्तु जीव व निर्जीव से सुगंध या दुर्गंध निकलती रहती है । बिल्ली को घर में घुसते ही पता चल जाता है दूध कहां रखा है । उसे पता चल जाता है, कि चूहे घर के किस कोने में रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है, क्योंकि दूध और चूहे से निकल रही सुगंध या दुर्गंध को बिल्ली पहचान जाती है ।हमारे अच्छे विचारो से सुगंध निकलती रहती है ।प्यार के संकल्पों से ऐसी खुशबु निकलती है, जिसका हर कोई दीवाना बन जाता है । हिरण की नाभि में कस्तूरी होती है, जिसकी खुशबू बहुत मनमोहक होती है ।ऐसे प्यार व्यक्ति के अपने मन/संकल्पों में होता है, जब कि इसे पाने लिये दूसरे लोगो के पीछे भटकता रहता है ।शांति की तरंगों से ऐसी सुगंध निकलती है, जो सभी को अच्छी लगती है । इस से तनाव पढ़ाई का भय, चिंता डर ख़त्म हो जाता है । मन को चैन मिलता है । हिंसक भाव मिट जाते हैं । हमारे भोजन का भी हमारे मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर हम भोजन में तामसिक चीजें जैसे मांस ,अंडा ,शराब ,तंबाकू आदि चीजों का सेवन करते हैं तो इससे मन हमारा कमजोर हो जाता है और इससे से निकलने वाली काली तरंगे जीते जी किसी अनहोनी दुर्घटना को आमंत्रित कर लेती है। इससे हमारी एकाग्रता खत्म होती है सफलता कोसों दूर चली जाती है इसीलिए हमारा पढ़ाई में मन नहीं लगता है। इसीलिए ऐसे सेवन करने वाली आत्मा को सदा ही अंदर में चिंता, डर, भय बना रहता है कि कहीं फेल न जाए ।अपने जीवन को सुरक्षित रखना है तो सात्विक खानपान के साथ सात्विक, सकारात्मक विचार रखें। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने अपने मन की सुगंध का एकाग्रता व पढ़ाई पर असर विषय पर एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल में छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया किखुशी के संकल्पों से खुशबू निकलती है, जिस से सभी उमंग उत्साह से भर जाते हैं। जिस घर में बच्चो की किलकारिया सुनाई देती हैं, और बहनों की चूड़िया खनकती हैं, वह घर सौभग्यशाली होते हैं । दया भाव और कल्याण भाव से बहुत सुंदर खुशबू निकलती है, जिस से तन मन को सकून मिलता है । ये ऐसी खुशबू है, जिस से पत्थर दिल आत्मा भी बदल जाती है । इसलिये हमे सूक्ष्म में अच्छे विचार चारो ओर भेजने हैं । ये विचार तब पैदा होंगे जब हम गहनता से पढ़ेंगे, नही तो मोटी बुद्धि रहेंगे और सूक्ष्म विकारों की बदबू फैलती रहेगी ।प्रशंसा के विचारो से ऐसी खुशबू निकलती है, जिस से हमें उत्साह मिलता है । इसलिये हर व्यक्ति अपनी तरीफ सुनने को लालायित रहता है ।भाई भाई के विचार रखने से ऐसी खुशबू निकलती है, जिस से सभी हमारी ओर आकर्षित होते हैं। सारा संसार अपना परिवार बन जाता है ।अहिंसा के विचारो से ऐसी खुशबू निकलती है, जिस से सांप भी नहीं काटते, और शेर जैसा जानवर भी मित्र बन जाता है ।जिन विचारो से अच्छा अच्छा महसूस हो, समझ लो कि उन विचारो से खुशबू पैदा हो रही है ।जब हमें लोगो के गुण दिखते हैं, तो उस समय विचारो से खुशबु निकलती है । जब कोई हमे अच्छा लगता है, उन विचारो से खुशबू निकलती है ।जब दूसरो को आगे बढ़ाने के विचार हैं, उनके हित की सोचते हैं, उसे धनवान बनाने की सोचते हैं, उसे निरोगी बनाने का सोचते हैं, नया नया पढ़ने का सोचते हैं, मन में उत्साह होता है, तो ऐसे सब विचारो से खुशबू निकलती है ।जब योग न लग रहा हो, मन में खुशी नही है, पढ़ने को मन नही कर रहा हो, काम करने का मन न हो, तो समझो मन से बदबू निकल रही है ।सदा मन में सात्विक विचार रखो, चाहे परिस्थितिकैसी भी हो । एक शब्द बाबा ( भगवान ) आप प्यार के सागर है, इसे रिपीट करते रहो इस से ऐसी खुशबू निकलती है, जिस से शारीरिक वा मानसिक विघ्न नष्ट हो जाते है। सफलता हमारे पास चली आती है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय प्रिंसिपल अंजू सिसोदिया नेसंबोधित करते हुए बताया कि पढ़ाई में ध्यान का, सकारात्मक विचारों की प्रमुख भूमिका रहती है आपने नारायण भाई का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम के अंत में ब्रहमा कुमार अर्जुन भाई ने भगवान हमारे साथ है तो डरने की क्या बात है, गीत गाया।