मन की बातें

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प्रश्न : मैं पंजाब से नवजीवन कौर हूँ। मेरी आयु 20 वर्ष है। मैं ये जानना चाहती हूँ कि क्या भूत-प्रेत होते हैं? अगर होते हैं तो क्या वो किसी भी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं? अगर हाँ तो ये हममें प्रवेश न करें उसके लिए क्या किया जा सकता है? मुझे इन चीज़ों से डर लगता है। कृपया इस पर थोड़ा प्रकाश डालें।
उत्तर : आपको डरने की ज़रूरत नहीं है। आजकल ये देखने में आता है कि बहुत लोग सुसाइड कर रहे हैं। जहाँ-तहाँ एक्सीडेंट हो रहे हैं। कहीं बम फेंक दिए जाते हैं तो लोग मर जाते हैं। ये जो अचानक मृत्यु होती है मनुष्यों की तो इसको अकाले मृत्यु कहते हैं। बॉडीलेस होकर कुछ समय के लिए ये भटकती रहती हैं। इनके पास भी एक सूक्ष्म शरीर होता है जो किसी-किसी को काला दिखाई देता है। अब ये प्यासी होती हैं, भूखी होती हैं, अतृप्त होती हैं तो कहीं भी अपना इफेक्ट कर लेती हैं। रही बात कि क्या वो सबमें प्रवेश कर लेती हैं, ऐसा नहीं होता है। जिनका उनसे कर्मों का हिसाब-किताब होगा या जिन्होंने उनको बहुत सताया हो और उनको वो याद आ जाये तो उनसे बदला लेने के लिए ये आत्मायें उनमें प्रवेश कर जाती हैं। इसलिए हमें इस बात से पूरी तरह निश्चिंत रहना चाहिए कि कहीं वो हममें प्रवेश न कर जाये। ऐसी कोई बात नहीं है। तो दूसरी चीज़ ये कि अगर ये हैं भी, तो क्या होता है पाप कर्म के कारण बहुत आत्मायें पुनर्जन्म नहीं ले पाती हैं। मैंने ऐसे बहुत केस देखें हैं जो बच्चों को रात को कुछ काली-काली छाया दिखती है। उनकी छाती पर बैठ गई, उनको दबा रही है। वो बोल नहीं सकते, वो चिल्ला नहीं सकते तो उनकी मातायें-दादियां मुझे फोन करके पूछती हैं कि क्या करें? बच्चे छोटे हैं तो सोने से पहले 7 बार याद कर लेना कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। ये आत्मायें भटक अवश्य रही हैं लेकिन इसका समाधान है- मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। इनसे हमें डरना नहीं है क्योंकि किसी भी चीज़ से हम डरते हैं तो हम उस चीज़ को जल्दी आकर्षित कर लेते हैं। अगर इनसे डरेंगे तो इनका प्रभाव होने लगेगा। क्योंकि ये चीज़ें अपना स्थान तो ढूंढती हैं ना! कोई कहते हैं पेड़ पर रहती हैं, कोई कहते हैं कहीं रहती है। एक मनुष्य आत्मा की नेचर है कि उसको कोई ठिकाना चाहिए। तो वही संस्कार इनके अन्दर भी रहते हैं। तो ऐसे कई काफी समय से खाली पड़ें स्थानों पर भी ये भय पैदा करती हैं। तो जैसे शमशान हो, या कई जगह ऐसे सन्नाटा होता है, भय का माहौल रहता है। ये प्रैक्टिकल सत्य बातें हैं। किसी पॉवरफुल व्यक्ति को भी अगर कहा जाये कि आप ज़रा शमशान में आधा घंटा बैठकर आओ तो उसको भय लगेगा। जब उसको कोई न निर्भय बनना न सिखाये तो वो भयभीत होगा। तो इसका तरीका ये ही है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मेरे साथ तो स्वयं भगवान है इस फीलिंग को ऐसे स्थानों पर दोहरायेंगे तो हमारा डर भी खत्म हो जायेगा और इनके इफेक्ट से मुक्त रहेंगे। हमें बाबा ने मास्टर मुक्तिदाता का वरदान दिया है तो हम इन्हें गुड वायब्रेशन देकर इनकी मदद करें, इन्हें मुक्त करें। यानी हम इनके गुड फे्रंड बन जायें। न हम इनसे डरेंगे और न कोई निगेटिव फीलिंग हम इनके लिए रखेंगे। और ये भी हमें कोई कष्ट नहीं पहुंचायेंगी। और अगर हम पॉवरफुल फीलिंग में रहते हैं तो ये आत्मायें हमारे पास आती ही नहीं हैं।

प्रश्न : मेरा बारह साल का बेटा है। उसे डिस्लेक्सिक प्रॉब्लम है। और इसमें वो पढऩे में अपने को असमर्थ महसूस करता है। मैं और मेरा बेटा इसपर बहुत ज्य़ादा वर्क कर रहे हैं। लेकिन जितनी सफलता मिलनी चाहिए उतनी सफलता मिल नहीं रही है। क्या राजयोग मेडिटेशन इसमें मदद कर सकता है? वो मेडिटेशन तो करता है लेकिन तब जब मैं उस पर चिल्लाती हूँ। किस प्रकार से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है?
उत्तर : ये जानना बहुत ज़रूरी है कि राजयोग को कराने के लिए चिल्लाने की ज़रूरत नहीं है। बहुत प्यार से आप उसे मोटिवेट करें। इसमें बच्चे को योग करने के अलावा आप 21 दिन इनके लिए एक घंटा रोज़ योग करें। ये जो कुछ भी मनुष्य के साथ हो रहा है वो उसके पूर्व जन्मों के किसी न किसी कार्मिक अकाउंट का परिणाम होता है। यदि उसको हम क्लीन कर दें तो कई चीज़ें ठीक होने लगेंगी। इसलिए अपने बच्चे के लिए आपको संकल्प करना है कि मेरा ये योगाभ्यास इस आत्मा के लिए है। रोज़ एक घंटा टाइम फिक्स करके अभ्यास करेंगी। और इससे पहले दो स्वमान याद करेंगी कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। फिर जस्ट बच्चे की आत्मा को देखेंगी तो वो योग की शक्ति उस बच्चे को चली जायेगी। और आपको ही दो कार्य और करने हैं। एक तो बच्चे को हमेशा ही सात बार पानी पर ये संकल्प करके कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हँू,पानी चार्ज करके पांच-छह बार बच्चे को रोज़ अवश्य पिलाना है। और दूसरा आपको उनके ब्रेन को एनर्जी देनी होगी। वैसे भी माँ की एनर्जी को बच्चा बहुत जल्दी रिसीव करता है। जैसा हम हमेशा बताते हैं दोनों हाथों को मलते हुए तीन बार याद करेंगी मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। हाथों में एनर्जी आ जायेगी। फिर ये दोनों हाथ एक मिनट तक बच्चे के ब्रेन पर दोनों तरफ रख दें। बच्चा आंखें बंद कर लें। और आप संकल्प करें और बच्चा भी संकल्प करे कि ब्रेन परफेक्ट हो जाये। और ऐसा 10 मिनट सवेरे और 10 मिनट शाम को करें। तो ये 10-10 मिनट देने से ब्रेन क्योंकि सबकुछ कंट्रोल तो ब्रेन कर रहा है तो ब्रेन में जहाँ भी कुछ गड़बड़ है, जो किसी की पकड़ में नहीं आ सकती तो इससे वो ऑटोमेटिकली ठीक होने लगेगी। और ये काम आपको 21 दिन तक करना है। तो ये तीन प्रयोग अगर आप सच्चे दिल से और विश्वास के साथ करेंगी तो बच्चे को भी डांट के नहीं, बहुत प्यार से कॉन्फिडेंस में लेकर करेंगी तो वो भी कॉपरेट करेगा कि हाँ मेडिटेशन का तरीका सही है। मैं इससे बिल्कुल ठीक हो जाऊंगा। तो बहुत गहरा इफेक्ट पड़ेगा। तो पूरे विश्वास के साथ 21 दिन तक ये तीनों काम करने हैं।

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