मुख पृष्ठदादी जीदादी हृदयमोहिनी जीकुछ भी बात हो लेकिन मूड ऑफ न हो

कुछ भी बात हो लेकिन मूड ऑफ न हो

पाण्डव भवन की यह पाण्डव सेना है, पाण्डवों में भाई भी हैं तो बहनें भी हैं। पाण्डव भवन की विशेषता चारों और फैली हुई है, तो पाण्डव भवन में आना अर्थात् चार धामों का चक्कर लगाना। जो चारों धाम करते हैं उनको कहते हैं इनकी यात्रा सफल हुई। तो पाण्डव भवन में आने से चार धाम की यात्रा हो जाती है। तो कितना भाग्य बाबा ने हम बच्चों को बना बनाया दिया है। हमें मालूम भी नहीं था कि हमारा कोई ड्रामा में ऐसा भाग्य है और वो भी कितना सहज भाग्य बनाया! भक्ति में तो कितनी मेहनत करनी पड़ती है, यहाँ तो सिर्फ बाबा दो बातें कहता है, एक कहता है, अपने को पहले आत्मा समझ के बाप को याद करो। दूसरी बात सेवा करो क्योंकि सेवा का मेवा हमारा 21 जन्म तक चलना है। ऐसा कोई भी नहीं होगा जो 21 जन्म की गैरंटी देवे कि राज्य भाग्य, सुख-शान्ति सब आपको प्राप्त होगा, यह सिवाए भगवान के और कोई गैरंटी दे नहीं सकता। ऐसा बाबा शब्द मन में आ गया, तो बाबा कहना और खुशी का खज़ाना अनुभव होना।
हमारा बाबा कौन है? जिसे सब पाना चाहते हैं लेकिन पा नहीं सकते और हमने तो बहुत सहज पा लिया जो दुनिया वाले भी आश्चर्य खाते हैं कि इन्हें भगवान मिल गया! भगवान हमको पढ़ा रहा है, भगवान की श्रीमत पर हम चल रहे हैं।
भगवान हमारा बाप है। वैसे सर्व सम्बन्धों में प्राप्ति का सम्बन्ध बाप और बच्चे का ही होता है क्योंकि बाप को वर्सा देना ही है और बच्चा फुल वर्से का मालिक होता है। सम्बन्धों में वर्से की बात नहीं होती है।
बाप और बच्चे के सम्बन्ध में वर्सा क्या है, वो तो हम सब जानते हैं। एक जन्म में 21 जन्म का अखूट राज्य, यह स्वप्न में नहीं था लेकिन अब तो अपने को अधिकारी समझते हैं तब तो हरेक यही कहता है कि हमारा बाबा, मेरा बाबा। अब मेरा कभी भूलता नहीं है। लेकिन कहाँ-कहाँ कोई गलती करते हैं कि जिस समय कोई ऐसी परीक्षा आती है तो उस समय सहनशक्ति की कमी के कारण डगडम हो जाते हैं। ऐसे समय पर ही माया चतुर बन अकेला बना देती है इसलिए बाबा कहते मैंने ऐसे समय के लिए आपको कम्बाइण्ड बनाया है। आप में कोई शक्ति कम है, बाबा में तो है ना, उस समय कम्बाइण्ड का फायदा लेना चाहिए।
क्यों, क्या, कौन, कब, कैसे इन पाँच शब्दों को अगर आप सही रीति से यूज़ करो तो आप हरेक भाषण करने वाले बन सकते हो। माया भी इन्हीं शब्दों में आती है इसलिए बाबा कहते कि किस स्वरूप में यह शब्द यूज़ करने हैं या काम में लाने हैं वो अटेन्शन रखो।
बाबा तो कहते सदा तुम्हारा चेहरा खिला होना चाहिए, बाबा हमारा थोड़ा-सा न खिला हुआ चेहरा देख नहीं सकता था, साकार में जब बाबा जब भी कभी ऐसा देखता था तो तुरंत बुलाके हाथ पकडक़े ऐसी कोई बात हंसी की बताके हंसा करके ही भेजता था क्योंकि बाबा को मुरझाया हुआ चेहरा बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
बाबा कहता था जिनका मूडऑफ है तो वो मूडमति है। सन्तुष्टता का खज़ाना सर्व खज़ानों को अपनी तरफ आकर्षित करता है क्योंकि सन्तुष्ट आत्मा जैसा भी समय होगा वैसा अपना मूड बना सकती है। कुछ भी हो गया, कोई भी बात आ गयी लेकिन मन में समाना नहीं।

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