मुख पृष्ठदादी जीदादी जानकी जीश्रीमत में मनमत मिक्स कर अपने को ठगना नहीं

श्रीमत में मनमत मिक्स कर अपने को ठगना नहीं

संंगमयुग जो इतना प्यारा लगता है, वह पूरा हो जायेगा तो हम क्या करेंगे? भले पता है कि बाबा के साथ जायेंगे, और सब आत्मायें मच्छरों सदृश्य जायेंगी। आत्मा उड़ती है ना, अगर अन्त में आत्मा मच्छरों सदृश्य जाये तो उस आत्मा की क्या वैल्यू है? मच्छर की क्या वैल्यू है। ऐसी आत्माओं का इस दुनिया में रहने से कोई फायदा नहीं है। लेकिन मैं आत्मा ऐसी न र हूँ, जो ऐसे ही चली जाऊं। मैं आत्मा बीमारियों को खत्म करने वाली हूँ, न कि बीमारी फैलाने वाली। भाग्य विधाता बाबा से जो हम आत्माओं को इतना भाग्य मिला है, हमारे भाग्य का सितारा तो चमक गया, अब उस चमकते हुए सितारे को देख हर एक अपने को जानें, बाबा को पहचानें और घर चलने के लिए तैयार हो जायें। हमारी ऐसी चमक हो। बाबा ने कहा है- आप मरे मर गयी दुनिया, यह शरीर छी-छी है, शरीर से काम लेना है, इससे तंग नहीं होना है लेकिन मोह भी नहीं रखना है। जो अपने आपको नहीं समझते हैं वो प्यार से अपने आपको नहीं सम्भाल सकते फिर दूसरे से खफा हो जाते हैं, तकदीर बनाने वाले कभी खफा नहीं होते हैं, थकते नहीं हैं। तकदीर ऊंची बनाने की बाबा ने हमें समझ दी है, साथ दिया है। टीचर स्कूल में कोई साथ नहीं देता है, वो अपनी ड्यूटी पालन करता है, बाबा हमको साथ देता है, मात-पिता के रूप में भी, सखा के रूप में भी कि हम होशियार हो जायें, अच्छा पढ़कर स्कॉलरशिप लेने के। मम्मा ने स्कॉलरशिप ले ली ना। मम्मा किसी के चिन्तन में नहीं गयी। पर अपने जीवन के उदाहरण से, उठते-बैठते सिखाती रही। तो बड़ों को देख-देखकर जो सीख जाता है, उसे वरदान मिल जाता है। कई मिसाल हैं जो इतने भोले-भाले, मम्मा-बाबा को देख ऐसा सीखे हैं, जो उनको पूछो तो कहते हैं बड़ों का वरदान है। जो बड़े बोलें, उसे दिल से स्वीकार करें तो कई कार्य सहज हो जाते हैं। मुझे सिर्फ हाँ जी कहके दिल से करना है। इससे जो दुआएं मिलती हैं वो दुआएं काम करती हैं, जो खुद नहीं करते हैं, दुआएं कराती हैं। आप सब भी कहो हमको बड़ों की दुआएं हैं। हमको आगे बढ़ाने वाले, ऊंच उठाने वाले कौन हैं? सच्ची दिल से करने वाले को दुआएं मिलती हैं। ऊंची तकदीर बनाने वाले अपने को या बाप को ठगेंगे नहीं। दिखावा नहीं करेंगे। कईयों के अन्दर होगी मनमत और मुख से कहेंगे श्रीमत। अपनी कामना पूरी करने के लिए जो श्रीमत में अपनी मत मिक्स करता है वो अपने आपको ठगता है। मीठा बाबा कहते हैं, ज्ञानी तू आत्मा मुझे प्रिय है। संगम पर एक-एक मिनट जो बाबा कराता है, वही करना है। करने वाला कभी नहीं कहता है कि मैं करता हूँ। कराने वाला कहता है मुझे कराना है तो इसे करना ही है। ऐसे हम भी पुराने कर्म बन्धन से मुक्त बन बाबा के साथ सेवा में हाजिर रहें। कोई भी पुराने स्वभाव संस्कार वश हमारा कोई संकल्प, बोल, कर्म न हो। अगर मेरा कर्म श्रेष्ठ नहीं है, तो करनकरावनहार हमारी स्मृति में नहीं रहेगा। बाबा को कभी याद करें, कभी भूल जायें तो यह कोई लाइफ नहीं है। जो बाबा सुनाता है वो ही सिमरण करते, स्वरूप में लाते ऐसी स्मृति रहे, अपने से तो पास्ट भूल जाये औरों से भी भूल जाये। कोई मरा हुआ है अगर उसको याद करो तो वो भूत हो जायेगा। तो पुरानी दुनिया जो खत्म हुई पड़ी है, उसको याद करना माना भूत। भूत जब किसी में प्रवेश होते तो वो छोड़ते नहीं। बातों के भूत जब किसी में प्रवेश करते हैं तो उसकी शक्ल कैसी हो जाती है। इसलिए श्राद्ध खिलाते हैं, आत्मओं का उद्धार हो जाये, शक्ति आ जाये। सब देवियों के गुण मेरे में हो। मैं दुर्गा भी हूँ, शक्ति भी हूँ, शीतला भी हूँ। कोई गुण शक्ति की कमी न हो। बाबा सर्व सम्बन्धों से हमारे में शक्ति भरता है। कमजोर को भूत लगते हैं, शक्तिशाली तो उन्हें भगा देते हैं, भूत ही उनसे डर जाते हैं। मैं कौन हूँ? बाबा का यज्ञ है, यज्ञ सेवा है, मैं विघ्न-विनाश रहँू। संगमयुग है पुरुषोत्तम युग। सतगुरु की दया दृष्टि, दुआ दृष्टि, कृपा दृष्टि हर बात से पार ले जाती है। टीचर शिक्षा देता है, सतगुरु पार ले जाता है। बाबा कहता है याद रखो एक ही मेरा बाप टीचर सतगुरू है। भले बाप अपना बनाता है, टीचर सतगुरू कृपा से अच्छी तरह पढ़ाता है। अच्छा हुआ ही पड़ा है, हो जाएगा। इतने अन्दर से सतगुरू के वरदानी बोल हैं जो अच्छा ही हुआ है, हो जाएगा। किसके अन्दर से यह आवाज निकलेगा, जो बाप टीचर सतगुरू तीनों को अन्दर ध्यान में रखते हैं, तीनों की जो पालना, पढ़ाई, प्राप्ति है, उसका रिगार्ड रखते हैं।

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