मुख पृष्ठब्र.कु. शिवानीअपना औरा पॉजि़टिव कैसे रखें…!!!

अपना औरा पॉजि़टिव कैसे रखें…!!!

योग मतलब ध्यान। ध्यान मतलब ध्यान से जीना। और ध्यान से ये जीना कि कुछ भी जो हमारे आस-पास हो रहा है, उसका दाग वो हमारे ऊपर नहीं आना चाहिए। तो उसके लिए हमें वो सिचुएशन से ऊपर रहना पड़ता है और जो भोगी जीवन है वो नीचे रहता है। मतलब एक ये हाई वायब्रेशनल लाइफ है और ये एक लो वायब्रेशनल लाइफ है। हम एक वायब्रेशन में रहते हैं। अगर इस समय हम सबकी चेकिंग की जाए मशीन से तो हम सबकी अलग-अलग वायबे्रशन्स आयेंगी। और इसकी इक्विपमेंट(उपकरण) है आजकल। जो हाइएस्ट वाइब्रेशन्स पर होते हैं, जिनके हम चित्र देखते हैं देवी-देवताएं, धर्म स्थापक उनके चारों तरफ एक व्हाइट रंग का सर्कल दिखाया जाता है। मतलब उनकी एनर्जी वाइट कलर की है। व्हाइट कलर का मतलब हाइएस्ट, प्युअरेस्ट। तो वो उनका औरा है वाइट।

ऐसे हम सब का भी एक औरा है। और हमारा औरा एक स्कैन है कि हमारी स्टेट ऑफ माइण्ड कैसी है? यहाँ कितनी प्युरिटी है या कितनी मैल है, मन कितना साफ है, बेदाग है या इसपर कितनी सारी बातों के वायब्रेशन्स हैं। जो मनचित्त को स्वच्छ रखेगा, बेदाग रखेगा, प्युअर रखेगा वो हाइअर वाइबे्रशन पर है। लेकिन जिसने मन पर हर चीज़ का दाग लगने दिया तो हमारी वायब्रेशन्स लो होने लगेगी। जब लोअर एनर्जी वायब्रेशन्स का हम पर दाग लगता जाएगा तो फिर हम कभी दर्द, कभी दु:ख, कभी चिन्ता, कभी डर, कभी गुस्सा, कभी हर्ट, कभी ईगो, कभी रिजेक्शन, कभी कम्पैरिज़न। ये सब लोअर वायबे्रशन्स एनर्जीज़ हैं। और जब हम इन लोअर वायब्रेशन्स एनर्जीज़ पर रहते हैं, हम सफर करते हैं और वो है भोगना। कहते हैं ये दु:ख भोग रहा है, भोगते हैं हम। तो एक है भोगी जीवन जो भोगते हैं(सफरिंग) और एक है योगी जीवन। अब इसका मतलब ये नहीं है कि जो योगी जीवन में होगा उसके सामने प्रॉब्लम्स नहीं आएंगी। प्रॉब्लम्स तो दोनों के सामने एक बराबर हैं। लेकिन योगी अर्थात् उस प्रॉब्लम को फेस करने का तरीका। इसका मतलब बाहर कीचड़ है, चलना तो सबने है लेकिन कोई ध्यान से चलेगा तो उसे अनटच्ड घर तक पहुंचेगा और कोई ध्यान से नहीं चलेगा तो पहले दो-तीन स्टेप्स में ही खुद को मैला कर लेगा।

तो आप रेडी हैं योगी जीवन पर शिफ्ट होने के लिए, पॉसिबल है? सिर्फ एक विज़ुअलाइज़ कीजिए कि आपने व्हाइट ड्रेस पहनी और सुबह से शाम तक आप बाहर हैं, काम कर रहे हैं, घर का काम कर रहे हैं, ऑफिस का काम कर रहे हैं, ट्रैवल कर रहे हैं, सब कुछ कर रहे हैं, इसको विज़ुअलाइज़ कीजिए। सुबह से शाम तक आप व्हाइट ड्रेस पहन कर बाहर हैं। क्या आप रात को वापिस वाइट को वाइट लेकर आ सकते हैं? सुबह जैसा व्हाइट था वैसा रात को भी व्हाइट चाहिए। सुबह वाइट है, बेदाग, फ्रेश, रात को भी वही व्हाइट में वापिस आना है। लेकिन सारे दिन में सारे काम करने हैं। अगर हमने काले रंग के कपड़े पहने हुए हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सारी मिट्टी भी लग जाए तो दिखाई नहीं देगी। काला ही इतना है, काले को और काला नहीं बनाया जा सकता। जैसे ही हम व्हाइट की तरफ जाना शुरू करते हैं, अचानक से बहुत चीज़ें दिखाई देने लगती हैं कि वो ये भी है, ये भी है, वे भी है। जब तक काले बने होते हैं ना तो कुछ है ही नहीं। सब परफेक्ट है उसमें क्या? दुनिया ही ऐसी है, हम तो बहुत अच्छे हैं दुनिया से। लेकिन जब जर्नी ऑफ चेन्ज स्टार्ट होता है तो दिखाई देता है ओह! आज मैंने ये कर दिया, आज मेरे से ये हो गया, आज मेरे से वो हो गया। जैसे लगता है आज मेरे से बहुत सारी गलतियां होती है। एक्चुअली वो बहुत सारी गलतियां नहीं होती है वो पहले भी बहुत सारी होती थी लेकिन पहले वो गिनी नहीं जाती थी। पहले उसको हम जस्टिफाय करते थे उसने ऐसा किया तो मुझे वैसा करना ही था।

सुबह से रात तक व्हाइट डे्रस पहनो और आप देखना आराम से वापिस आयेंगे बिना वो डे्रस मैली हुए। और उसको सिर्फ जीवन जीने का तरीका बनाना है कि सुबह से पहनना है, रात को आना है, सबकुछ करना है लेकिन सबकुछ करते हुए सिर्फ एक अटेन्शन। डे्रस ठीक रहनी चाहिए क्योंकि इसको रात तक मुझे ठीक रखना है। अब हम व्हाइट पहनते हैं, अगर किसी कुर्सी पर भी बैठते हैं तो पहले कुर्सी को चेक करते हैं। ब्लैक पहनो तो नहीं चेक करना पड़ेगा। इसका मतलब हम कहाँ जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, किससे मिल रहे हैं, कैसे मिल रहे हैं, क्या मुझे टच कर रहा है वो ध्यान रखना पड़ेगा।

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