साक्षात्कार करने के बाद सबको विश्वास होता है और परमात्मा के करीब जाने का मन करता है। साक्षात्कार इतना आकर्षक था कि मेरा मन गदगद था और उसमें श्री कृष्ण और श्री विष्णु का साक्षात्कार करने के बाद तो मेरा मन एकदम आतुर हो गया, भगवान से मिलने को। एक तरह से आप कह सकते हैं मेरा जन्म साक्षात्कार से हुआ।
जब मैंने अपने साक्षात्कार की बात अपनी बहन को सुनाई, जो बाबा के पास जाती थी तो उन्होंने कहा चलो मैं ले चलती हूँ। एक बाबा है जो ज्ञान देता है और वहाँ का अनुभव तो बहुत अद्भुत होता है। जैसे ही मैं बाबा के पास पहुंची। मैंने देखा वहाँ, जैसे हमारे पांडव भवन में इन्द्रप्रस्थ के पास जहाँ मैं रहती थी इतना ही कमरा था, जहाँ बाबा गीता सुना रहे थे। आठ-दस बहनें वहाँ बैठी थी जो सुन रही थी। जब मैं वहाँ पहुंची तो उसी समय एक बहन को साक्षात्कार हो रहा था और वो बोल रही थी कि विमान जा रहा है, ‘चलो विमान में चढ़ो-चढ़ो। वे शब्द दूर से ही सुनाई दे रहे थे मेरे कानों में। जैसे ही हम पहुंचे तो साक्षात्कार करने वाली बहन ने कहा कि विमान पर चढ़ो-चढ़ो। तो उस समय हमें अनुभव हुआ जैसे कि हमारा शरीर अलग है। ऐसा महसूस हुआ और लगा कि मैं भी उस विमान पर चढ़ के जा रही हूँ बाबा के पास। और मैं देखते ही देखते कहाँ खो गई यह पता ही नहीं चला कि उस समय रात्रि के दस बजे थे। जब मेरी आँख खुली तो देखा कि बाबा की गोदी में हूँ, इतनी देर हो गई कि बाबा कहने लगे कि बच्चे कल आना। बाबा का घर अलग था, जिसको यशोदा निवास कहते थे। ओम मण्डली उसी का बाद में नाम पड़ा। दूसरे दिन जब मैं बाबा के पास गई तो बाबा मेरे को उसी रूप में दिखाई देने लगे जो मैंने साक्षात्कार किया था। मुझे लगा मैं आत्मा भी लाइट होती जा रही हूँ, आकारी रूप लेती जा रही हूँ। बाबा भी ऐसा, मैं भी ऐसी, ऐसे देखते मुझे नशा चढ़ गया। तीसरे दिन मैं जब बाबा के पास गई तो मैंने मम्मा को देखा। मम्मा ने इंग्लिश गर्ल फ्रॉक पहना था क्योंकि मम्मा सिर्फ इंग्लिश का पीरियड लेती थी और वो गीत भी गाती थी। उस दिन मम्मा गीत बनाकर लाई थी और साथ में सितार भी लाई थी। जो गीत उन्होंने लिखा था उसके शब्द अच्छे थे और मम्मा का गला भी बहुत अच्छा था। उस गीत में मम्मा ने बाबा के साथ का अनुभव लिखा था कि मैंने बाबा को एक ऋषि की तरह देखा और उसने बाबा को सुनाया। मम्मा, बाबा के सामने बहुत साधारण वेश में आयी थी। बाबा ने कहा कि कुमारी को शादी करने से पहले वनवाह में बैठना होता है। बाबा ने कहा तुम वनवाह में हो। इसके बाद ही भगवान से शादी करनी है। इसके लिए तुम्हें अपना स्थूल श्रृंगार छोड़ नया श्रृंगार दिव्य गुणों का, शक्तियों का करना है। इसके बाद मुझे बाबा ने सात दिन का कोर्स कराया।



