मन की बातें

प्रश्न : यदि कुमारी जीवन में भी हमसे कोई छोटी या बड़ी गलती हो जाती है तो उसका प्रायश्चित क्या है? क्या प्रायश्चित के बाद भी उसकी सज़ा मिलेगी?

उत्तर : बिल्कुल क्लीयर नॉलेज बाबा की है, ज्ञान में आने से पहले कुछ हो गया है, बाबा को सुना दो, ऊपर अपने सुप्रीम फ्रेंड को। हल्का हो जायेगा मन। क्योंकि सजायें मिलना और न मिलना मुरलियों में आजकल बहुत आ रहा है, सजायें माफ नहीं होती। मन हल्का अवश्य हो जाएगा और मन हल्का हो जाएगा तो तुम अच्छा अभ्यास, साधनाएं कर सकेंगे। ज्ञान में आने के बाद कोई गलती कर ली है तो वो निश्चित रूप से मन को बार-बार कचोटती रहेगी। वो भी अब और तो कोई तरीका नहीं है। बाबा को सुनायें और क्षमा-याचना लें। 108 बार रोज़ सवेरे उठकर लिखें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ ये प्रिंट होगा और वो डिलीट होगा। बाबा की बहुत मदद मिलेगी। माफ नहीं होती, बाबा की मदद मिलती है। बाबा हमें अपनी शक्तियां देता रहेगा। तो हम आगे बढ़ते रहेंगे।

प्रश्न : कई बार मैं बहुत अकेला महसूस करती हूँ, मैं ऐसा क्या करूं कि बाबा मेरे इस अकेलेपन को दूर करे? कई बार इच्छा होती है कि हम किसी के कंधे पर सिर रखें, किसी को हग करें, किसी की गोद में सिर रखें। मतलब स्थूल में नहीं, लेकिन फिर भी एक इच्छा रहती है अन्दर तो बाबा क्या ऐसी हमारे अकेलेपन को दूर कर सकते हैं? ऐसा अहसास कैसे किया जाये?

उत्तर : बिल्कुल कर सकते हैं क्योंकि फिजि़कली अगर आप किसी के साथ ये करते हैं तो आप तो ये इम्प्युरिटी में बदल जाता है। और ये जो लॉनली फीलिंग होती है या थोड़ा डिप्रैशन फील होता है, एलोन लगता है अपने को, ये इम्प्युरिटी का ही प्रभाव होता है। जब कई बार सोके उठते हैं, दिन में सो जायें तो उठते ही बिल्कुल उदास मन होगा। ये इम्प्युरिटी ही है इसके लिए मुरलियों का अध्ययन करना, बाबा को याद करना, बाबा से बातें करते रहना और वही जो ये करना चाहती हैं सूक्ष्म वतन में जाकर बापदादा के साथ करने लगें तो अनुभव कुछ ही दिनों में दस गुणा होने लगेंगे। वो जो इच्छाएं हैं वो समाप्त हो जाएंगी।

प्रश्न : मैं पिछले नौ साल से ज्ञान में हूँ। अब मेरा योग में मन नहीं लगता है। कई बार पुरानी दुनिया में जाने की इच्छा होती है। तो मैं कन्फ्यूज्ड हूँ कि कैसे मैं अपने आप को सँभालु?

उत्तर : उत्तर मैं बिल्कुल क्लीयर देना चाहता हूँ बिना छुपाये। अन्दर में इम्प्युरिटी बहुत बढ़ रही है इसलिए योग नहीं लग रहा है। फिर से अपनी प्युरिटी को रिवाइज़ करें। बाबा के सामने बैठें और उससे बातें करें। अपने स्वमान को बढ़ायेें। और योग नहीं लगता तो कुछ दिन योग छोड़के पाँच स्वरूपों का अभ्यास करें, मुरलियों का अध्ययन करें। और थोड़ा चिंतन करके इम्र्पोटेंट प्वांइट लिखें। स्वमान से, पाँच स्वरूपों से और ज्ञान के बल से योग लगने लगेगा और ये इम्प्युरिटी खत्म हो जायेगी। फिर जो दुविधा रहती है क्योंकि अब समय ऐसा आ गया है अब अगर कोई चूक गया तो पश्चाताप के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा क्योंकि समय बहुत तेजी से बिगड़ेगा। युग तेजी से बदलेगा। हर साल हम नये-नये सीन देखेंगे।

प्रश्न : क्या बाबा के बनने के बाद अच्छा पहनना, खाना, अच्छा सामान यूज़ करना व घूमना ईश्वरीय मर्यादाओं के प्रतिकूल है?

उत्तर : प्रतिकूल तो कुछ नहीं है लेकिन अनुकूल भी नहीं है। क्योंकि अगर आप ये करते हैं तो आप बाहर जायेंगे और बाहर की हवा तो लग जायेगी। फिर वही प्रश्न होगा जो पहला प्रश्न था कि ये होता है, ये होता है। एक बहुत सारी चीज़ें इकट्ठी आप रखेंगे, जहाँ संग्रह वृत्ति बहुत होती है तो वहाँ एकाग्रता विक पड़ जाती है। बहुत सुन्दर-सुन्दर पहनेंगी तो दूसरों की दृष्टि आप पर जायेगी। फिर वही प्रश्न आयेगा कि दूसरों की दृष्टि हम पर जाती है। इसलिए योगिनी बन जाओ, त्यागी और तपस्विनी बन जाओ। सारा संसार आपकी रूहानियत की ओर आकर्षित होगा, कपड़ों की ओर आकर्षित क्या करना है!

प्रश्न : मुझे बचपन से ही ना माता-पिता का प्यार मिला और न ही अच्छी परवरिश, जिस कारण डिप्रैस्ड होकर गलत काम मुझसे हो गये। ज्ञान में आने के बाद भी मैं उनको माफ नहीं कर पा रही हूँ। मैं क्या पुरूषार्थ करूं कि पिछली बातों को सब भूला दूँ?

उत्तर : देखिए ये गलतियां बहुतों से हुई हैं इनको भी मैं धन्यवाद दूंगा कि इन्होंने प्रश्न करने का साहस किया है। पर ये गलती बहुत लोगों से हो रही है, कुमारों से भी हो रही है, कन्याओं से भी हो रही है। प्यार नहीं मिलता तो किसी के भी प्यार में अटक जाते हैं क्योंकि प्यार की एक प्यास बनी रहती है अन्दर में कि कोई उन्हें प्यार करे। लेकिन कलियुग में सच्चा प्यार कहीं नहीं है। सब जगह प्यार में धोखा है। प्रश्न ओपनली पूछा है तो उत्तर भी ओपनली है। जो आपको प्यार कर रहा है वो दो-चार को और कर रहा है। जब आपको ये पता चलेगा तो आपका हाल बहुत बिगड़ जायेगा। जो कुछ भी हो गया है पास्ट इज़ पास्ट। अब तपस्या में लग जाओ। अपने को योगिन बना दो। और स्टडी करो ज्ञान की। जो पुरूषार्थ के तरीके बताए हैं यही तरीके हैं कोई लम्बे-चौड़े नहीं हैं। मुरलियों में बहुत अच्छी-अच्छी साधनाओं की बातें आती रहती हैं। बहुत बड़ी साधनाएं भी नहीं हैं बिल्कुल सिम्पल-सिम्पल हैं। केवल हमें प्रैक्टिस करनी हैं तो पास्ट डिलीट हो जायेगा। और पवित्रता की चमक से और परमात्म प्यार से आप आत्म संतोष से भरपूर हो जायेंगी। फिर किसी और का प्यार पाने की इच्छा नहीं रहेगी।

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