मुख पृष्ठदादी जीदादी हृदयमोहिनी जीभगवान हमारा साथी है यह निश्चय और नशा सदा रहे

भगवान हमारा साथी है यह निश्चय और नशा सदा रहे

जब शान से परे होते हैं तो मन परेशान करता है। मेरा शान है, मैं मन का भी मालिक हूँ। जो जब भी कोई परेशानी आवे तो यह चेक करो कि मैं अपनी शान मेें हूँ? मेरा स्वमान क्या है? कोई न कोई स्वमान स्मृति में आने से मन अपने ऑर्डर में रहेगा, कभी मन धोखा नहीं देगा। तो मन को ठीक करने के लिए बाबा कहता है, अमृतवेले से अपनी शान में रहो मैं कौन? विश्व-कल्याणकारी मेरा बाप है, तो मैं भी विश्व-कल्याणकारी हूँ। हर रोज़ अगर अपना कोई न कोई स्वमान याद करो तो सारा दिन उसी नशे में रहेेंगे। मैं बाप के नयनों का नूर हूँ, मैं विश्व-परिवर्तक हूँ, मैं तीन तख्त का मालिक हूँ। आज का सारा दिन मैं इस स्वमान में रहूँगा। जहाँ स्वमान (स्व का मान) है, वहाँ देहभान नहीं है। परेशान तब होते हैं जब देहभान में आते हैं। स्वमान में रहेंगे तो देहभान भी खत्म हो जायेगा। कभी आपके मन से खुशी गायब नहीं होगी। बाबा ने इतना खुशनसीब बनाया है जो खुशी मेरे से जा ही नहीं सकती है क्योंकि खुशी हमारा खज़ाना है। खुशी के लिए कहा जाता है- खुशी जैसा कोई धन नहीं। खुशी में हेल्थ, वेल्थ और हैप्पी तीनों ही आते हैं। तो बाबा कहते खुश रहो और खुशी बाँटो। खुशी ऐसी चीज़ है जो बांटने से बढ़ेगी। तो खुशी धन भी है, खुशी खाना भी है, खुशी खज़ाना भी है, सब कुछ खुशी है, तो सदा खुश रहें। यह शब्द याद रखना।

मन मेरा है तो मेरे में कन्ट्रोलिंग, रूलिंग पॉवर होनी चाहिए। जैसे मन को चलाने चाहूँ वैसे चले क्योंकि बाबा ने बता दिया है, आगे का समय ऐसा आयेगा जो आपको एक सेकण्ड में बिन्दी लगानी पड़ेगी, फुलस्टॉप। मैं आत्मा बिन्दी स्वरूप हूँ, बिन्दी लगानी पड़ेगी। ऐसे नहीं समय ऐसा आये और हमारी प्रैक्टिस नहीं हो, उस समय प्रैक्टिस करूँ और समय नाज़ुक हो जाए तो उस समय कुछ अभ्यास नहीं कर सकेंगे। उस समय किया हुआ अभ्यास हमें काम में आयेगा। तो बाबा ने हम सब बच्चों को ऐसा बनाने के लिए कहा है, अपनी चेकिंग आप करो कि जिस समय फुलस्टॉप लगाने चाहँू वो लगती है? लगाऊं बिन्दी और लग जाए क्वेश्चन मार्क या आश्चर्य की मात्रा, यह नहीं होना चाहिए। इसके लिए समय का अभ्यास चाहिए। अपनी दिनचर्या के हिसाब से मन का टाइमटेबल बनाके, बार-बार उसे चेक करो और उसी अनुसार चलते रहो क्योंकि मूल बात है मन की। मन में अच्छा भी आता है, मन में बुरा भी आता है। और मन में संकल्प चलते हैं, तो संकल्प मन का भोजन है। जैसे शरीर का भोजन स्थूल है, ऐसे मन का भोजन है संकल्प, मन संकल्प के बिना नहीं रहता है। कोई न कोई अच्छा या बुरा संकल्प चलता ज़रूर है। तो मन के संकल्पों को कन्ट्रोल करने का अभ्यास बहुतकाल से होना चाहिए, तभी हम विजयी बनके बाबा के वरदानों को पा सकेंगे। बाबा कहते हैं सब अचानक होना है इसके लिए एवररेडी रहना है, यह बहुतकाल का पुरूषार्थ ही बहुतकाल की प्रालब्ध प्राप्त करायेगा। समय आयेगा ठीक हो जाऊंगा नहीं! अभी-अभी हमको बहुतकाल का अभ्यास करना है क्योंकि बाबा हर बच्चे के लिए समझते हैं, वर्सा फुल 21 जन्म का लेवें, 2-4 जन्म भी कम नहीं हों। हम सबका लक्ष्य होना चाहिए कि हम पहले जन्म में श्रीकृष्ण के साथ रास करें। लक्ष्य रखने से लक्षण आ जायेंगे। भगवान के बच्चे हैं, भगवान हमारा साथी है तो क्या नहीं हो सकता है। यह निश्चय और नशा सदा रहेगा तो आप जो भी संकल्प मन को देंगे, वो वही करेगा।

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