मुरली सुनते हम बाबा को याद करते हैं या प्यार करते हैं। बाबा का कितना हम बच्चों के साथ प्यार है, समय पर जो ज़रूरत है वह बाबा देता है। जब अपने आप हमें जिस चीज़ की ज़रूरत है वह देता है तो कितना थैंक्स मानें! थैंक्स कैसे मानें? जो बाबा कहता है वह करके दिखायें। शुक्रिया बोलने के बजाए करके दिखाने में बहुत आनंद अनुभव होता है। बाबा हमको ऐसी लगन में देख गुप्त मदद बहुत करेगा। क्योंकि आदि से लेकर बाबा ने हम बच्चों को ऐसी पालना दी है। जन्म तो दिया ही है पर पालना भी दी है। पालना का महावाक्य सुनते वह घड़ी याद आने लगी जब बाबा अव्यक्त हुआ तो मेरी दिल छोटी हो गई थी। क्योंकि साकार में बाबा के सामने जब आती थी तो बाबा हमको नई बात सुनाता था। मुझे खुशी होती थी। बाबा मेरे ऊपर अधिकार रखता था। कहता था बच्ची यह करेंगी! तो हमें खुशी होती थी, हाँ बाबा करेंगी। बाबा का मेरे ऊपर राइट(अधिकार) है।
तो उसमें कान पकड़े चाहे दिमाग पकड़े परन्तु बाबा का राइट है। बाबा ने कान पकड़कर कान खोल दिया है। कई कहते हैं मैं तुमसे डरती हूँ, लेकिन डरना क्यों? डरता कमज़ोर है। बाबा से मैं कभी डरी नहीं। इंसान से डरी हूँ। इंसान से डर रहता कि यह नाराज़ न हो जाए। परन्तु उसमें भी अभी निडर हूँ क्योंकि सच्ची बात करो, न डरो न किसको डराओ। न कोई मेरे से डरे, न मैं किससे डरूँ। इतनी युक्ति से बाबा ने पालना दी है। तो हमें क्वेश्चन उठा था ऐसे कौन कहेगा जनक, ऐसे सोचते दिल छोटी होती थी। तो अव्यक्त बाबा अपने कमरे में बैठा था, बाबा ने कहा बच्ची जो पालना ली है वह देनी होगी। पढ़ाई के साथ पालना मिली है। तभी पढ़ाई दिमाग में बैठी है। तभी धारणा करने की शक्ति आई है। तो यह ध्यान पर रखना होगा, अलौकिक दिव्य जन्म बाप ने दे करके शिक्षा के साथ पालना दी है। शिक्षा में पालना, पालना में शिक्षा। पालना ने शिक्षा दी है ऐसे-ऐसे चल, ऐसे-ऐसे बोल। जिससे सबको लगे मैं ईश्वर की सन्तान हूँ, ईश्वर ऐसे पालनहार हैं। पालना की शक्ति से मम्मा जगदम्बा बन गई। शिव बाप है उसने हमको पालना कर शक्ति दी है। ज्ञान से, प्रेम से शक्ति दी है। समझदार बनाकर शक्ति दी है। सदा अपने को ईश्वरीय पालना में रखो। मैं किसी को पालना देने वाली हूँ यह ख्याल आया तो मैंपन का अभिमान हो जायेगा। मुझे पालना देनी है तो भारीपन हो जायेगा। पालना है ही लाइट बनाकर माइट देने की।
पालना कैसे मिली है? हमको लाइट बनाया है। लाइट बनते तो माइट मिलती है। लाइट तब बनते हैं जब अन्दर बिल्कुल साफ है। पालना कहती है साफ रहो। नियत साफ तो मुराद हासिल – इस शब्द का अर्थ बहुत बड़ा है। नियत साफ माना वृत्ति में बिल्कुल सफाई। तो जो संकल्प करेंगे, सफलता होगी। यह प्रैक्टिकली जीवन यात्रा में बहुत अच्छा अनुभव होता। यदि जीवन में ईश्वरीय पालना का अनुभव करना हो तो ज़रा भी नियत में खोटापन न हो। नियत साफ रखो तो पुरूषार्थ व सेवा में सफलता मिलेगी।



