मन का बोझ कभी आ जाये तो ज्ञान की प्रैक्टिस करो कि बाबा कह रहा है, उसकी आवाज़ आ रही है कानों में, मीठे बच्चे, मन के सारे बोझ मुझे दे दो, हल्के हो जाओ। मैं तुम्हारा साथी हूँ, तुम्हारे बोझ हरने आया हूँ। लाइफ को एन्जॉय करो। बाबा की आवाज़ मन में गूंजती रहे सारा दिन।
पिछले अंक में आपने पढ़ा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि ज्ञान के द्वारा सबसे पहले हमें अपने विचारों को महान बनाना है। ऐसा न हो कि इच्छा तो हो फास्ट जाने की और विचार हों वही पुराने घिसे-पीटे। पास्ट से जो कुछ विचार लेकर आ रहे हैं वो ही कंटिन्यू हैं। उनमें परिवर्तन कुछ भी नहीं आया। क्योंकि विचार परिवर्तन ही तो जीवन परिवर्तन है। विचार बदल दो आपका जीवन बदल जायेगा। विचार बदल दो आपका संसार बदल जायेगा। अब आगे पढ़ेंगे…
एक व्यक्ति है माल लेकर सोचता है कि पेमेंट कर देंगे, फिर आगे बढ़के सोचता है कि छोड़ो उनके पास तो बहुत है। चलता है, सब दुनिया ऐसी ही है, एक ये स्थिति। इससे दूसरों को नहीं, दूसरों को तो परेशानी होगी लेकिन इसके जीवन में गिरावट बहुत आयेगी। आपका खाता बहुत भारी करने लगेगा मन को। दूसरा व्यक्ति सोचता है कि नहीं, मुझे बिल्कुल ऑनेस्टली सबका पेमेंट टाइम से पहले ही कर देना है। यही सफलता का सूत्र है। कभी नहीं कर पाता है तो क्षमा-याचना करता है कि मुझे एक हफ्ता और चाहिए। ये विचार है जो उसको सुख देगा। ऐसे जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न विचार मनुष्य की उन्नति का आधार है। मुरली बहुत ही सुन्दर चीज़ है। भगवान के महावाक्य, उसकी वाणी देखो उसके लिए ही लोग अनहद नाद सुनने की साधना करते हैं। कान बंद करते हैं, आँखें, मुँह, सब बंद करके सुनते हैं अनहद नाद भगवान का। वो अनहद नाद नहीं होता, वो तो नस-नाडिय़ां अन्दर में चल रही होती हैं उनकी आवाज़ होती है। भगवान अब नाद कर रहे हैं, ज्ञान दे रहे हैं। शंख ध्वनि कर रहे हैं, अमृत बरसा रहे हैं। भीग जायें इस अमृत में। इस अमृत में जल के छींटों से अपने चित्त को शीतल कर दें। विकारों की अग्नि को शीतल कर दें, शांत कर दें। इसलिए बहुत ध्यान देंगे मुरली पर।
साथ में मुरली से दो या तीन बातें याद रखनी हैं सारे दिन के लिए। नहीं याद रहती तो लिख लो। जब क्लास से घर वापिस जाते हैं तो उसी बीच में इन बातों को तीन बार रिवाइज़ करके पक्का कर दो। और संकल्प कर दो जब भी खाना खायेंगे तो याद करेंगे, पानी पियेंगे याद करेंगे। अगर आप पानी बहुत पीते हैं तो जब भी पानी पियेंगे तो याद करेंगे तो क्या होगा वो वायब्रेशन पानी में जायेंगे। हमारा एक-एक संकल्प एनर्जी जनरेट करता है, एनर्जी पैदा करता है। आपके ब्रेन को एक सुन्दर एनर्जी मिलती रहेगी सारा दिन। और बाबा के बहुत सारे महावाक्य प्रैक्टिकल में आपको यूज़ करने हैं। उदाहरण के लिए जो बहुत वेलनॉन महावाक्य है बाबा का, बच्चे तुम निमित्त हो, करनकरावनहार मैं हूँ। तुम निमित्त बनकर कार्य करो। मैं तुम्हारा साथी हूँ। इसकी प्रैक्टिस करो। देखो कितना मज़ा आयेगा कर्मक्षेत्र पर। मन का बोझ कभी आ जाये तो ज्ञान की प्रैक्टिस करो कि बाबा कह रहा है, उसकी आवाज़ आ रही है कानों में, मीठे बच्चे, मन के सारे बोझ मुझे दे दो, हल्के हो जाओ। मैं तुम्हारा साथी हूँ, तुम्हारे बोझ हरने आया हूँ। लाइफ को एन्जॉय करो। बाबा की आवाज़ मन में गूंजती रहे सारा दिन। ये होगा ज्ञान का प्रैक्टिकल एप्लीकेशन। और ये बिल्कुल सरल है। ऐसी पाँच-सात बातें आप अपने पास रख लो। बच्चे ड्रामा का हर सीन कल्याणकारी है। ये हमें ज्ञान बताता है। तुम सृष्टि के आदि में देवता थे ये ज्ञान ने हमें रोशनी दी है। अब ये खेल पूरा हो रहा है, तुम्हें घर वापिस चलना है। ऐसी पांच-सात बातें नोट कर लो अपने पास। उन्हें बीच-बीच में याद करते रहो। जब-जब बीच-बीच में ऐसी सिचुएशन आये उन्हें याद कर लिया। मन हल्का रहेगा। चित्त शांत होगा। स्वमान के अभ्यास से मन बहुत पॉवरफुल हो जायेगा। और हम आगे बढ़ते जायेंगे। हमारी श्रेष्ठ स्मृतियां, श्रेष्ठ स्वमान हमको निरंतर आगे बढ़ाता है, मदद करता है, साथ-साथ रोज़ थोड़ा-सा समय एकांत का अवश्य निकालें। और एकांत में ज्ञान को रिवाइज़ करें। कुछ अच्छी बातें लिखें, शिवबाबा के नाम पत्र लिख दें। मेरी ये इच्छायें हैं, मुझे यहाँ तक पहुंचना है, मार्ग में ये-ये बाधायें हैं आप मेरे साथी हो, बाधाओं को नष्ट कर दो। ऐसे बातें करो मज़ा आयेगा।
लेटर के माध्यम से बातें करो। तो इस तरह से ज्ञान का बल बढ़ता जायेगा और ये ज्ञान का बल हमें मायाजीत बनायेगा। ये ज्ञान का बल हमारी बुद्धि को चमत्कारिक करेगा। इस ज्ञान के बल से हम दूसरों की सहज ही सेवा कर सकेंगे। आगे जाने के लिए इस ज्ञान के चिंतन के द्वारा इसे अपना बल बना लो।



