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ईमानदारी का पाठ

पुराने समय में एक राजा अपनी प्रजा को बहुत कष्ट देता था। राजा दूसरों का धन लूट लेता था। एक दिन गुरुनानक उस क्रूर राजा के राज्य में पहुंचे। जब ये बात राजा को मालूम हुई तो वह भी गुरुनानक से मिलने पहुंचा।

शिष्यों ने गुरुनानक को राजा के बारे में सबकुछ बता दिया था। इसीलिए जब राजा उनके पास आया तो गुरुनानक ने उससे कहा कि राजन मेरी मदद करें, मेरा एक पत्थर अपने पास गिरवी रख लो। ये मुझे बहुत प्रिय है। इसका विशेष ध्यान रखना।

राजा ने कहा कि ठीक है, मैं इसे रख लेता हूँ लेकिन आप इसे वापस कब ले जाएंगे? गुरुनानक ने जवाब दिया कि जब हमारी मृत्यु हो जाएगी और हम मृत्यु के बाद मिलेंगे तब ये पत्थर मुझे वापस कर देना।

राजा हैरान हो गया, उसने कहा कि ये कैसे संभव है? मृत्यु के बाद कोई भी अपने साथ कुछ कैसे ले जा सकता है? गुरुनानक ने कहा कि जब आप ये बात जानते हैं तो आप प्रजा का धन लूटकर अपना खज़ाना क्यों भर रहे हैं?

राजा को गुरुनानक की बात समझ आ गई। उसने क्षमा मांगी और संकल्प लिया कि अब से वह अपनी प्रजा पर अत्याचार नहीं करेगा। इसके बाद से राजा ने अपने खज़ाने का उपयोग प्रजा की देखभाल में खर्च करना शुरू कर दिया।

सीख : हमें धन कमाने के लिए कभी भी गलत तरीके नहीं अपनाने चाहिए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति मरने के बाद कुछ भी अपने साथ नहीं ले जा सकता। सबकुछ यहीं छोड़कर जाना होता है। इसीलिए धर्म के अनुसार काम करना चाहिए।

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