भगवान का कारोबार काम चलाऊ नहीं है। ऐसे नहीं किसने देखा! छोटी-छोटी बात क्यों उठाते हो। बाबा ने कहा है- बच्चे यह ईश्वरीय कारोबार है। उसमें ऐसे नहीं चल सकता। ऊपर चढऩे के लिए सावधानी की सीढ़ी है। कदम-कदम पर बाप का हाथ भी है, साथ भी है। हाथ में हाथ है तो आराम से जा रहे हैं। साथ भी हैं। कभी यह अभिमान न आये मैं आपेही जा सकती हूँ, नहीं। बाबा लिये जा रहा है। बिगर पूछे आगे नहीं जा सकती हूँ। ऐसे नहीं क्या ज़रूरत है पूछने की। अभिमान अन्दर घुस जाता है या नीचे उतर जाता है उसको पता नहीं चलता है। पता चलना चाहिए मैं आगे बढ़ रही हूँ या रूकी हुई हूँ या उतर रही हूँ? बाबा के साथ गहरा संबंध है। समीपता आगे बढ़ाती है। सदा अन्दर से महसूस हो। इतनी दूरी भी बाबा से न हो। नहीं तो पांव फिसलने में देरी नहीं होगी। ऊपर ले जाने वाला एक है, नीचे उतारने वाली अनेक बातें हैं। बाबा जो कहता है वह स्थिति बनाओ तो उसमें बाबा मदद देगा। बाबा की इच्छा है बच्चे साक्षात मेरे समान बनें तब साक्षात्कारमूर्त बनेंगे।
बाबा ने आज स्पष्ट समझाया है सिर्फ भाषण करने से थोड़े समय के लिए खुश होंगे परन्तु अन्दर का अनुभव कभी भूलेगा नहीं, वह अनुभव सुख का, शान्ति का, सच्चे प्रेम का, ऐसा हो जो मीठी दृष्टि के द्वारा, अन्दर की वृत्ति के द्वारा, भावना के द्वारा उनके अन्दर आये कि इनकी भावना कितनी अच्छी है। ऐसे नहीं अब तो सब सहज है। आराम से सेन्टर पर रहते हैं अभी कोई विघ्न नहीं, इसमें खुश हो जायें। सिर्फ सहज हो गया, नहीं। श्रेष्ठ हो। श्रेष्ठ योगी किसको कहा जाता है, यह ध्यान रखो। जब तक महातपस्वी नहीं बने हैं तब तक साक्षात्कारमूर्त नहीं बन सकते हैं। इतना ऊंचे ते ऊंचा बाप, उसने हमको इतना ऊंचा उठाया है।
आज बाबा ने अनन्य का अर्थ बताया – अनन्य माना जो अन्य काम न करे, वह तुम करो। आगे बाबा कहता था यह मेरा अनन्य बच्चा है माना इसका अन्य कोई नहीं। आज कहा काम ऐसा करो जो कोई न करे। किसी को न देखो। तो साक्षात्कारमूर्त बनने के लिए बापदादा और आप तीनों इकट्ठे रहो। साक्षात बाप समान बनना है तो आप में बापदादा सदैव दिखाई पड़े। हर कर्म में, हर संकल्प में, हर श्वास में और हमारे संस्कारों में जो बापदादा के संस्कार हैं वह दिखाई दें। क्योंकि दोनों से ही हम वर्सा ले रहे हैं। भले ब्रह्मा बाबा कहता वर्सा शिवबाबा से मिलता है, मैं नहीं देता। यदि आपके बच्चे न बनते तो क्या वह देता? बाबा हमसे ठगी करता है ना! उनसे वर्सा कैसे लेंगे? अगर ब्रह्मा के बच्चे सच्चे ब्राह्मण न बनें तो शिवबाबा वर्सा देगा क्या? इनसे पूछेगा ना इसको वर्सा दूं? जिसने एडॉप्ट किया है माँ की तरह, बाप की तरह से पालना दी है। बाप, टीचर, सतगुरु तीनों रूप इसमें देखे हैं। तो लायक कहाँ से बनेंगे? लायक बनने का वर्सा कहाँ से मिला है? बाबा पालना देकर लायक बना रहा है। आजकल की माँ के मुआफिक नहीं, जन्म एक माँ देती है, पालना दूसरी देती है। हमारी वही माँ जन्म देती, वही पालना देती। ऐसी पालना जो हमको मिल रही है वह पालना ही हमको पढ़ाई से समझदार बना रही है, साथ-साथ धारणा की मूर्ति बना रही है।



