दीपावली का पर्व केवल घरों को रोशनी और सजावट से भरने का अवसर नहीं है बल्कि यह भीतर की धूल हटाकर आत्मा को उज्जवल करने की प्रेरणा भी देता है। परमात्मा द्वारा दी जाने वाली शिक्षा के अनुसार असली सफाई केवल बाहर की दीवारों या वस्त्रों तक सीमित नहीं होती, बल्कि विचारों, संस्कारों और सम्बन्धों की धूल हटाना ही सच्चा शुद्धिकरण है।
जब हम दीपावली के अवसर पर झाडू-पोछा करके घर को चमकाते हैं, तो यह हमें याद दिलाता है कि मन की गहराई में जमी हुई नकारात्मकता, आलस्य, ईष्र्या, नफरत, घृणा और क्रोध की परतों को भी हटाना ज़रूरी है। जिस प्रकार अन्धेरे कमरे में दीपक जलाते ही प्रकाश फैल जाता है, उसी प्रकार आत्मा रूपी दीपक में परमात्मा की स्मृति का तेल भरकर हम भीतर की अन्धकारमय प्रवृत्तियों को दूर कर सकते हैं। यह आन्तरिक दीपावली ही वास्तविक उत्सव है।
नये वर्ष का आरम्भ दीपावली के साथ ही होता है। यह हमें संकेत देता है कि केवल कैलेंडर बदलने से जीवन नहीं बदलता, बल्कि हमें संकल्प बदलने की आवश्यकता है। यदि हम नये वर्ष में शुद्ध विचारों, सकारात्मक दृष्टिकोण और श्रेष्ठ कर्म करने का संकल्प लें तो जीवन स्वत: ही नए रंगों से भर उठेगा।
परमात्मा हमें सिखाते हैं कि संकल्प ही सृष्टि का बीज है। जैसा बीज होगा वैसा ही वातावरण और परिणाम मिलेगा।
अक्सर लोग नए साल पर बड़े-बड़े लक्ष्य बनाते हैं, परंतु उसका आधार कमज़ोर होता है। सच्ची योजना यह है कि पहले आत्मा को शक्तिशाली बनाया जाए, नियमित राजयोग मेडिटेशन, सात्विक आहार और अच्छे संस्कारों का अभ्यास आत्मा को बल देता है। जब आत्मा मजबूत होती है तो निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और लक्ष्य पाने की शक्ति भी सहज ही मिल जाती है।
इस दीपावली पर हम यह प्रण लें कि केवल बाहर के दीप जलाने तक ही सीमित न रहे, बल्कि अपने अंतर्मन में भी दिव्यता का दीप प्रज्वलित करें। क्रोध के स्थान पर शान्ति, ईष्र्या के स्थान पर सहयोग, चिन्ता के स्थान पर ईश्वर पर विश्वास और घृणा-नफरत के स्थान पर आत्मिक स्नेह को स्थान दें, शक व अनुमान की दृष्टि को बदल स्पष्टता और स्वच्छता रखें, अंदर-बाहर सच्चाई व सफाई का व्यवहार रखें, सर्व के प्रति शुभभावना-शुभकामना देने का दृष्टिकोण बनाएं। यही आन्तरिक सफाई है।
नये वर्ष की योजना केवल आर्थिक और व्यावसायिक लाभ तक ही न रहे, बल्कि आत्मिक उन्नति, स्वस्थ जीवनशैली और परिवार में मधुर संबंध स्थापित करने पर भी ध्यान केन्द्रित हो। जीवन का वास्तविक लाभ तभी है जब हम स्वयं भी शान्त और सुखी रहें तथा दूसरों को भी सुख और शान्ति का अनुभव कराएं।
अंतत: दीपावली हमें यह याद दिलाने आती है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक छोटा-सा दीपक उसे मिटाने के लिए पर्याप्त है। उसी प्रकार, नकारात्मकता चाहे कितनी भी हो, यदि आत्मा परमात्मा से जुड़कर एक संकल्प ले ले, तो नया साल वाकई नया बन सकता है। यही परमात्मा का संदेश है कि आत्मिक दीपावली मनाओ और नये युग की ओर कदम बढ़ाओ।




