ये नहीं कि बातें नहीं आयेंगी, ये नहीं लोग उल्टी हरकतें नहीं करेंगे, सब होगा। लेकिन अगर आपका माइंड फोकस है तो आप खुद को हैंडल कर सकेंगे।
गतांक से आगे…
समस्याओं में हमें समाधान प्राप्त हो जाए उसके लिए कोई दवाई तो है नहीं। ले लिया और खत्म हो गई बात, नहीं। उसके लिए भी हमें आवश्यकता है जागृति लाने की। तब हम आने वाले समय में खुद को भी हैंडल कर सकेंगे, परिस्थिति को भी हैंडल कर सकेंगे, और दूसरों को भी सहारा दे सकेंगे। धैर्य दे सकेंगे, और ये समय बहुत फास्ट दिखाई दे रहा है। अब आगे पढ़ेंगे…
अब ये सब होगा कैसे? जब हमारी स्पिरिचुअल इम्युनिटी बढ़ेगी। और उसको बढ़ाने के लिए हमें चाहिए तीन चीज़ें – 1. ठीक से भोजन चाहिए। वो भोजन नहीं जो हम शरीर को देते हैं, मन का भोजन। और मन का भोजन क्या है, चिंतन। अच्छा चिंतन चाहिए। अच्छा चिंतन कहाँ से मिलेगा? ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान एक मात्र स्रोत है जहाँ से हमें अच्छा चिंतन मिलता है। ये अच्छा चिंतन भोजन है मन का। मन के द्वारा आत्मा को प्राप्त होता है। मन सशक्त बनता है, आत्मा शक्तिशाली बनती है लेकिन आज अगर किसी को भी कहा जाये कि ज्ञान की, आध्यात्मिक ज्ञान की बातें सुनने के लिए आओ, तो क्या कहेंगे? टाइम नहीं है। टाइम कहाँ जाता है? टाइम अगर प्रैक्टिकल देखा जाए तो मनुष्य के पास है। ऐसे नहीं कि नहीं है।
जैसे मान लो कि किसी को हार्ट अटैक आये और वो डॉक्टर के पास जाता है और डॉक्टर साहब उसे कहेगा कि अगर जीना है तो रोज़ सुबह आधा घंटा पैदल चलना होगा। अगर तब भी वो डॉक्टर साहब से कहे कि सुबह तो बहुत मुश्किल है, मेरा सारा कारोबार सुबह-सुबह शुरू हो जाता है, सुबह तो आधा घंटा निकालना बड़ा मुश्किल है, और शाम को भी देखेंगे कि आधा घंटा मिलेगा तो जाऊंगा। तो डॉक्टर साहब क्या कहेंगे? मरो फिर, यही कहेंगे। अगर आपको खुद की हेल्थ के विषय में जागृति नहीं है, अगर आप अपने लिए टाइम नहीं निकाल सकते तो फिर तो मौत को कोई रोक नहीं सकता है। अगर उसको जीना है तो टाइम मैनेजमेंट तो करना होगा ना!
ठीक इसी तरह मन को सशक्त करने के लिए, आत्मा को सशक्त करने के लिए उसका भोजन है ज्ञान। ज्ञान का मनन-चिंतन रोज़ कम से कम आधा-पौना घंटा करें। अगर हमें आने वाले समय के लिए अपने आपको तैयार करना है तो। दूसरा- मन को आराम भी चाहिए। आराम कैसे मिलेगा? मन को रिलेक्स करना बहुत ज़रूरी है। और रिलेक्सेशन टेक्निक श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान ने अर्जुन को ध्यान-योग सिखाया। मेडिटेशन, जब हम मेडिटेशन में बैठते हैं तो हम अपने मन की गति को शांत करते हैं। इतना फोर्स क्यों चल रहा है? किसी साइकेट्रिक ने बताया कि मनुष्य अगर कम से कम गति से सोचे तो भी एक मिनट में उसके मन के अन्दर 25 से 30 विचार आ जाते हैं। सोचो कम से कम गति से सोचें तो और अधिक से अधिक गति से सोचें तो पचास विचार। और टेंशन जब होता है तब 55-60 विचार आ जाते हैं एक मिनट में।
हर मनुष्य के मन में चार प्रकार के विचार आते हैं। पहले प्रकार के विचार हैं- पॉजि़टिव विचार,अच्छे विचार,वैल्यू बेस्ड थॉट्स। दूसरे हैं- निगेटिव विचार,बुरे विचार, हर बात में बुराई को सोचना, कमज़ोरियों को सोचना, डर-भय को लेकर विचार आना। तीसरे प्रकार के विचार हैं-आवश्यक विचार,कारोबार के विचार, ये करना है, वो करना है, इसको कहना है और चौथे प्रकार के विचार हैं- फालतू विचार। जब मन के पास कुछ सोचने के लिए नहीं है तो बीती हुई बातों को सोचता है। अगर ऐसा करते तो ऐसा होता, ये कहते तो अच्छा होता। लेकिन अब तो हो गया ना। अब क्या करना है वो नहीं सोचते। थोड़ा-सा अगर सेल्फ एनालिसिस करें तो वर्तमान समय दुनिया में मनुष्य के अधिकतर विचार कौन से होते हैं इन चारों में से? निगेटिव विचार आते हैं, फालतू विचार आते हैं और पॉजि़टिव विचार ना के बराबर। इसलिए रिएक्शन ज्य़ादा निकलता है। तो मेडिटेशन माना माइंड को रिलेक्स करना। और जब पॉजि़टिव विचारों का चिंतन हम आरम्भ करते हैं तो धीरे-धीरे हमारी मनोस्थिति पॉजि़टिव होने लगती है, सशक्त होती है, शक्तिशाली होती है।
तो रोज़ सुबह-सुबह 20 मिनट मेडिटेशन अगर आपने कर लिया तो देखिएगा कि आप अपने को कितना चार्ज महसूस करेंगे। माइंड पॉवरफुल होगा। क्यों 20 मिनट कहा मैंने? क्योंकि मेडिकल साइंस द्वारा ये प्रमाणित है कि एक व्यक्ति अगर पांच मिनट गुस्सा करता है ना, तो दो घंटे की कार्यक्षमता उसकी जल जाती है। वो दो घंटा क्या करेगा? दस लोगों को ढूंढेगा, वहाँ अपनी बात रखेगा, देखो ये रोज़ ऐसा करता है इसलिए मुझे गुस्सा करना पड़ा। जब दस लोग ये कहने वाले मिल जाते हैं कि बहुत अच्छा किया, तब जाकर थोड़ी ठंडक होती है कि मैंने जो किया ना वो गलत नहीं किया। और दस में से एक ने कह दिया कि आपने ठीक नहीं किया तो क्या होगा? फिर से भड़क जाएंगे।
सोचो जिस दिन सुबह-सुबह आपने बीस मिनट गुस्सा कर लिया तो आठ घंटे की कार्यक्षमता जल जाती है। कभी-कभी आपने जीवन में अनुभव किया होगा कि कोई-कोई दिन बहुत खराब जाता है, कोई काम नहीं होता है। कोई काम में सक्सेस नहीं होता है। तो फिर क्या कहते हैं कि पता नहीं आज किसका मुँह देखा था। किसी का नहीं खुद का ही देखा था आइने में। तो इसीलिए कहा सुबह-सुबह बीस मिनट मेडिटेशन करो। माइंड को फोकस करो, एकाग्र करो। ये नहीं कि बातें नहीं आयेंगी, ये नहीं लोग उल्टी हरकतें नहीं करेंगे, सब होगा। लेकिन अगर आपका माइंड फोकस है तो आप खुद को हैंडल कर सकेंगे। दूसरे व्यक्ति को हैंडल कर सकेंगे और सिचुएशन को भी हैंडल कर सकेंगे। तो मॉर्निंग मेडिटेशन और शाम को 20 मिनट मेडिटेशन सोने से पहले। ताकि नींद अच्छी आए और सुबह फ्रेश होकर आप कार्य कर सकें। इतना टाइम मिलेगा खुद के लिए कि नहीं मिलेगा? अगर आने वाले समय के लिए अपने आपको चार्ज रखना हो, पॉवरफुल बनाना हो तो आप एक लीडर बनें। ताकि अनेकों को आप गाइड कर सकें। सही रास्ता दिखा सकें। उसके लिए खुद के लिए खाली 24 घंटे में से एक घंटा निकालना है। कर सकते हैं?




