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यहाँ न तो कोई हॉस्पिटल, न ही कोई ओपीडी फिर भी होती हार्ट की सर्जरी…

मानव के शरीर का ऐसा ऑर्गन जो जन्म से मृत्यु तक बिना रूके, बिना थके जीवन देता है। लेकिन हमने कभी भी हृदय के बारे में नहीं सोचा कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं, उसकी धड़कनें कैसे चलती हैं! हम तो भागदौड़ वाली जि़न्दगी में उसकी सही रूप से देखभाल भी नहीं कर पाते, न ही उसके बारे में सोचते कि आखिर प्रभु प्रदत्त बेशकीमती उपहार को हम यूं ही उसका महत्व न समझ गंवा बैठते हैं।

भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा वीरता के लिए पदक से सम्मानित 61 वर्षीय उ.प्र. पुलिस में सेवारत प्रेमवीर राणा की सोच थी कि उन्हें कोई भी बीमारी नहीं होगी।

मैं सोचता था कि कोई बीमारी नहीं आएगी, अगर मैं सत्य पथ पर काम करता रहा तो, ये मेरा दृढ़ विश्वास था। हालांकि मुझे पुलिस में काम करते-करते दो बार गोली लगी। एक तो साम्प्रदायिक दंगे में रामपुर मनिहारान,उत्तरप्रदेश में गोली लगी। जिसके कारण 11 महीने बेड पर रहा। दूसरी बार 1992 में आतंकवादियों ने गोली मारी जिससे 17 महीने सवाई माधोपुर,जयपुर के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती रहा। मैं सोचता था कि मैं इतना ओपन हार्ट वाला आदमी हूँ तो शायद मेरा ओपन हार्ट कभी ना खुले। समय के कालचक्र में देखो क्या हुआ कि मैंने जो सोचा भी नहीं था वो ही हार्ट की बीमारी हो गई। मैंने अपने बच्चों, पत्नी और एक-दोस्त के अलावा ये बीमारी की बात किसी को भी नहीं बताई। यहाँ तक कि डिपार्टमेंट को भी नहीं बताया कि 22 मई 2024 को मैं हार्ट का पेशेन्ट हो गया।

मैंने अपने नज़दीकी डॉक्टर को बताया तो उन्होंने कहा कि तुम्हें हो ही नहीं सकती हार्ट की बीमारी। मैंने एम.आर.आई. करवाई, एंजियोग्राफी करवाई। ज्य़ादा टाइम नहीं हुआ ये कराते-कराते फिर मैंने पूछा कि मैं अपने दिल का आदमी खुद का हूँ, ओपन हार्ट नहीं कराना। लेकिन सभी ने कहा क्रपापा करवा लो, स्टंट डलवा लो। एक एम.एस. वाले डॉक्टर हैं ग्रेटर कैलाश में। पता लगा कि वहाँ कराएंगे तो वहाँ दवाई से खुलवा देंगे। मैंने देखा कि उस अस्पताल में दुनिया भर के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रपति सभी के फोटो वहाँ लगे हुए थे। एक साल तक इलाज करवाया और देखो, दुर्भाग्य मेरा यहाँ से कि मैं ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से जुड़ा हुआ हूँ, कई प्रोग्राम में आया, बुलाया गया पर मुझे विश्वास नहीं था। किसी ने बताया कि यहाँ संस्थान में कैड का प्रोग्राम होता है। हमने सोचा ऐसे ही होगा खाना खिलाएंगे और कहेंगे अच्छा करो, बुरा न करो, ये सब चीज़ें बताएंगे। एक बार डॉ. सतीश गुप्ता से मेरे भाई सुशील मिलने आये। उन्होंने मेरी सितम्बर 2024 में डॉ. सतीश गुप्ता से बात भी करवाई, फिर भी विश्वास नहीं हुआ।

अभी इसी साल 11 मई 2025 को ही सावन के पहले दिन में ही मेरे को हार्ट अटैक आ गया और चोट भी लगी। फिर सबने मेरी पत्नी, बच्चे और सभी मित्र-सम्बन्धियों ने कहा कि तुम्हें मरना तो है ही अगर तुम स्टंट नहीं डलवाओगे। तब मेरे दिमाग में आया कि क्यों न एक बार डॉक्टर को दिखा लूं और ओपन हार्ट नहीं कराना। तब घर से शान्तिवन में आयोजित कैड प्रोग्राम के लिए दिनांक 13 को चला और 14 को पहुंच गया। आने में दो घण्टा देरी हो गया। और आते ही यहाँ पूछा कि डॉ. साहब ओपीडी में कब मिलेंगे। उत्तर मिला कैड के क्लास में मिलेंगे। मैंने पूछा ओपीडी में किस समय बैठते हैं? परंतु आश्चर्य की बात यह देखी कि यहाँ तो ना कोई अस्पताल और ना कोई ओ.पो.डी.। पर ज्य़ादा क्या बताऊं यहाँ आते ही इस आध्यात्मिक हॉस्पिटल को देखा। आध्यात्मिक और साइंस का ये बेहतर सुंदर संगम है जो मैंने यहाँ देखा।

चमत्कार है डॉ. सतीश गुप्ता का और उनके चलाए गए इस कैड प्रोग्राम का। ऐसा हॉस्पिटल जो आध्यात्मिक है और डॉ. सतीश गुप्ता का जिन्होंने अपनी आत्मा पर अधिकार कर लिया हो और परमात्मा शिव से सीधा जुड़ गये हों। यहाँ का पूरा ही सिस्टम जोकि कैड प्रोग्राम में आये हुए हार्ट पेशेन्ट को प्रशिक्षित करते हैं। इस कैड प्रोग्राम में मैं भी जुड़ गया। मैं अपने को बहुत धन्य अनुभव कर रहा हूँ। मैंने ये कैड प्रोग्राम पूरा अटेंड किया और मैं बिल्कुल ही अपने आप को तरोताज़ा महसूस कर रहा हूँ। मेरी धमनियों में जो रुकावटें थीं जिससे मुझे चलने-फिरने में तकलीफ होती थी वो नॉर्मल हो गई। फिर से मैंने डॉक्टर से जाँच करवाई तो सब रिपोर्ट नॉर्मल आई। यहाँ शरीर और आत्मा के बीच का जो रिश्ता और सूक्ष्म संवेदनाएं कैसे काम करती है उसके बारे में सही-सही और साइंटिफिक तरीकों से बताया गया। साथ ही वसायुक्त भोजन तथा दिनचर्या में अपनी सकारात्मक सोच के बारे में गहराई से जाना व समझा। मैं ओपन हार्ट का हूँ परन्तु हार्ट कैसे काम करता है उसकी क्या रिक्वायरमेंट है, कैसे नरिशमेंट होता है ये मैंने जाना। अब मैं अपने आपको स्वस्थ समझ रहा हँू। यहाँ के सभी भाई-बहनों को मैं अपने दिल की गहराई से धन्यवाद करता हूँ।

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