मोबाइल पर अधिक निर्भरता होने से ब्रेन और मेमोरी पॉवर पर असर पड़ता है। छोटी-छोटी बातें भी याद रखने की क्षमता घटने लगती है। उदाहरण के लिए फोन नम्बर, ज़रुरी जानकारी याद करने के बजाय हम मोबाइल पर निर्भर हो जाते हैं।
आज के समय में मोबाइल फोन हर किसी के हाथ में है। इसका उपयोग सुविधाओं के लिए होता है, लेकिन इसका अधिक प्रयोग हमारे मस्तिष्क(ब्रेन) पर गहरा असर पड़ता है। परमात्मा हमें समझाते हैं कि मन और बुद्धि को जितना शुद्ध और स्थिर रखेंगे, उतना ही जीवन में सुख और शान्ति बनी रहेगी। मोबाइल का अति उपयोग मन और मस्तिष्क दोनों को अस्थिर बना देता है। आइये जानते हैं इससे होने वाले प्रमुख प्रभाव और दुष्परिणाम।
एकाग्रता में कमी – जब हम लम्बे समय तक मोबाइल का उपयोग करते हैं, विशेषकर सोशल मीडिया, चैटिंग या विडियो देखने में तो मस्तिष्क बार-बार नये-नये उत्तेजनाओं का आदी हो जाता है। इससे ध्यान एक जगह टिक नहीं पाता। पढ़ाई, मेडिटेशन और गहन चिन्तन में मन भटकने लगता है।
मेमोरी पॉवर कमज़ोर होना – वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मोबाइल पर अधिक निर्भरता होने से ब्रेन और मेमोरी पॉवर पर असर पड़ता है। छोटी-छोटी बातें भी याद रखने की क्षमता घटने लगती है। उदाहरण के लिए फोन नम्बर, ज़रुरी जानकारी याद करने के बजाय हम मोबाइल पर निर्भर हो जाते हैं। इससे प्राकृतिक स्मरण-शक्ति कमज़ोर हो जाती है।
मानसिक थकान और तनाव – लगातार स्क्रीन देखने से ब्रेन को आराम नहीं मिलता। आंख और दिमाग पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके कारण थकान, सिर दर्द और बेचैनी अनुभव होती है। मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन, लगातार नोटिफिकेशन, इनफॉर्मेशन भी मस्तिष्क को उत्तेजित करते रहते हैं, जिससे मन शान्ति का अनुभव नहीं कर पाता।
नींद में बाधा – रात को देर तक मोबाइल का उपयोग करने से ब्रेन की प्राकृतिक दिनचर्या प्रभावित होती है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी(ब्लू लाइट) नींद लाने वाले हार्मोन को दबा देते हैं। इसके परिणाम स्वरूप नींद पूरी नहीं होती और अगला दिन थकान और चिड़चिड़ेपन से भरा रहता है।
भावनात्मक असंतुलन – मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग भावनाओं को भी प्रभावित करता है। सोशल मीडिया पर तुलना, ईष्र्या, लाइक्स और कमेन्ट्स की अपेक्षा मन को असंतुलित कर देती है। इससे आत्मविश्वास घटता है और अवसाद(डिप्रेशन) जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
आध्यात्मिक जीवन पर असर – मोबाइल में उलझने से मन और बुद्धि की शक्ति क्षीण हो जाती है। परमपिता परमात्मा शिव की याद और गहन मेडिटेशन के लिए जो एकाग्रता चाहिए वह कम हो जाती है। मोबाइल पर व्यर्थ समय बिताने से आत्मा की शक्तियां नष्ट होती हैं और विकारों की खींच भी बढ़ जाती है।
मोबाइल अपने आप में हानिकारक नहीं है, बल्कि उसका अति उपयोग ही मस्तिष्क के लिए खतरा है। यदि हम मर्यादा में रहकर इसका प्रयोग करें- केवल आवश्यक कार्य, ज्ञान, सेवा और सकारात्मक उपयोग के लिए तो ये सहायक है। अगर मोबाइल हमारे मन और ब्रेन पर हावी हो जाए, तो यह हमारी मेमोरी पॉवर, एकाग्रता, नींद और भावनाओं को नुकसान पहुंचाता है।




