शिक्षक के अंदर करुणा का भाव जरूरी – डॉ. अमित दत्ता
एक अच्छे शिक्षक के अंदर अच्छे विद्यार्थी का होना जरूरी – आशा दीदी
– संस्थान के शिक्षा प्रभाग ने किया आयोजन – ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम

भोरा कलां-गुरुग्राम, हरियाणा। ब्रह्माकुमारीज़ के भोड़ाकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में शिक्षाविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के शिक्षा प्रभाग द्वारा अवेकनेड एजुकेटर्स इनलाइटेन्ड जेनरेशन विषय पर हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) के निदेशक डॉ. अमित दत्ता ने कहा कि देह भाव के कारण मनुष्य का ध्येय छोटा हो गया है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम से सामाजिक कार्य होते थे। लेकिन सामाजिक ताना-बाना बिखरने से शिक्षा का प्रभाव कम हो गया। डॉ. दत्ता ने कहा कि शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन आज ऐसे लगता है कि गुरु का गुरुत्व खो सा गया है। आवश्यकता है, उस गुरुत्व को वापस लाने की। शिक्षक के अंदर करुणा का भाव जरूरी है।

गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कौशिक ने कहा कि एक स्वस्थ शरीर के लिए मन का स्वस्थ होना जरूरी है। आज डिप्रेशन सबसे बड़ी बीमारी बनकर उभरा है। जिसका प्रमुख कारण शिक्षा में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों का अभाव है। एक आदर्श शिक्षक कई पीढ़ियों का सुधार कर सकता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में आध्यात्मिक मूल्यों पर जोर दिया जाना एक अतुलनीय कार्य है।

ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने बतौर प्रमुख वक्ता अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मनुष्य सब कुछ सीख चुका है। लेकिन मनुष्य-मनुष्य की तरह रहना भूल गया है। आध्यात्मिकता हमें जागरूक करती है। एक अच्छे शिक्षक के अंदर अच्छे विद्यार्थी का होना जरूरी है। जागरूकता हमें स्वयं से जोड़ती है। जागरूकता हमें रचनात्मक बनाती है। जागरूक शिक्षक स्वयं की क्षमताओं को तो बढ़ाता ही है, बल्कि बच्चों की क्षमता को भी पहचानता है। योग से हम अपने आंतरिक स्वरूप की पहचान करते हैं। शिक्षक एक निर्माता है।

संस्थान के दिल्ली, हरीनगर से संबंधित सेवाकेंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने कहा कि शिक्षक का जीवन सबको प्रेरणा देता है। शिक्षक समाज को नई दिशा प्रदान करता है। शिक्षा मानव को संतुलित जीवन जीने की राह देती है। उन्होंने कहा कि जागरूक शिक्षक वो है जिसके जीवन में मूल्यों का समावेश है। शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। शिक्षक को चरित्र निर्माता भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता हमें सत्य का बोध कराती है।

जेबीएम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष गुरुदत्त अरोड़ा ने कहा कि समाज में परिवर्तन तभी आयेगा जब हमारे विचारों में परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि हम कभी भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकते। धर्म एक ऐसा माध्यम है जो संस्कारों की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि धर्म हमें सुसंस्कृत बनाता है। अभिभावकों की भी ये जिम्मेवारी है कि बच्चों को एक श्रेष्ठ चिंतन दे।

महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑफ टेक्नोलॉजी के उपाध्यक्ष एस.पी. गोयल ने कहा कि आध्यात्मिक मूल्यों को जीवन में उतारना जरूरी है। उन्होंने कहा कि खुशहाल जीवन के लिए योग जरूरी है। कार्यक्रम में दिल्ली, नॉर्थ कैंप यूनिवर्सिटी की कुलपति नूपुर प्रकाश एवं जयपुर से इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कमलेश मीणा भी उपस्थित थे।
संस्थान के शिक्षा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुदेश ने कार्यक्रम के प्रारंभ में अपना स्वागत वक्तव्य दिया। संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू से आई प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुमन ने शिक्षा प्रभाग द्वारा की जा रही सेवाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में प्रभाग के दिल्ली जोन की संयोजिका बीके विजया ने सबको राजयोग की गहन अनुभूति कराई। बीके चांद ने गीत के द्वारा सबका स्वागत किया। कार्यक्रम में मंचासीन मेहमानों का सम्मान तिलक, पटका एवं तुलसी के पौधे भेंटकर किया गया। मंच संचालन बीके दिव्या ने किया। कार्यक्रम में 300 से भी अधिक शिक्षाविदों एवं अन्य लोगों ने शिरकत की।








