आध्यात्मिक दृष्टि से हर त्योहार कोई न कोई गहरा संदेश देता है। क्रिसमस भी केवल उत्सव, उपहार और सजावट का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें आत्मा के लिए गहन आध्यात्मिक शिक्षा छिपी हुई है। आध्यात्मिक दृष्टि से उसे देखें तो करीब छह बिन्दु पर विचार करते हैं-
दिव्य जन्म की स्मृति – क्रिसमस हमें याद दिलाता है कि आत्मा का असली जन्म पवित्रता और परमात्मा से जुड़ाव में है। जब हम अपने अस्तित्व को सही मायने में समझते हैं कि मैं कौन हूँ, क्या हूँ और मेरा सच्चा सम्बन्ध परमात्मा से कैसा है? जैसे मसीह का जन्म अंधकार के बीच प्रकाश लाने के लिए हुआ, वैसे ही हर आत्मा को संगमयुग पर नया जन्म लेना है- आत्म अभिमानी और ईश्वरीय स्मृति में।
त्याग और सेवा का संदेश – क्राइस्ट का जीवन सेवा, बलिदान और त्याग का प्रतीक है। इस दिन हम यह संकल्प लें कि हम आत्मा भी नि:स्वार्थ सेवा करेंगे और दूसरों को प्रेम, शान्ति और सहयोग देंगे। यही सच्ची क्रिसमस है। हमें उन उसूलों पर चलकर नि:स्वार्थ सेवा कर जीवन को दिव्य बनाना है।
प्रेम और करुणा की शिक्षा – ईसा मसीह ने कहा- सबसे बड़ा धर्म है प्रेम। आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मा का स्वभाव ही शान्ति, पे्रम और करुणा है। हमें इस भाव और सत्यता को समझना है। उन्हीं दिव्य गुणों के साथ जीवन जीना चाहिए। यह त्योहार हमें स्मरण कराता है कि सच्चा प्रेम आत्म-आधारित हो, न कि शरीर-आधारित।
सरलता और पवित्रता का महत्त्व – मसीह का जन्म एक साधारण गौशाला में हुआ। इससे संदेश मिलता है कि आध्यात्मिकता भव्यता और दिखावे में नहीं बल्कि सरलता और पवित्रता में है। वास्तव में परमात्मा ने भी हमें सादगी और मर्यादा की जीवनशैली की समझानी दी है। हमारा भी यही उद्देश्य है कि हम इसे साकार कर औरों के आगे आदर्श प्रस्तुत करें।
आन्तरिक प्रकाश का दीप – क्रिसमस आशा और नये युग की तैयारी का संदेश भी देता है। जैसे लोग इस दिन पर नये संकल्प लेते हैं, वैसे ही हमें संगमयुग पर परमात्मा से शक्ति लेकर स्वर्णिम युग की तैयारी करनी है। क्रिसमस का त्योहार बाहरी आनन्द के लिए नहीं है, बल्कि आत्मा को यह याद दिलाता कि पवित्र जीवन लेकर सेवा, त्याग, प्रेम, सरलता और योग की रोशनी से जीवन को भरना है। जब हम इन छह आध्यात्मिक पहलुओं को अपनाते हैं तभी क्रिसमस का सच्चा अर्थ पूरा होता है और आत्मा, परमात्मा की संतान अनुभव करती है।




