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उन्नाव: “जीवन में उत्कृष्टता हेतु मूल्य-आधारित शिक्षा” विषय पर 5000 शिक्षकों के लिए सात दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ

उन्नाव,उत्तर प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, नंदनवन के भव्य सभागार में “शिक्षकों के लिए जीवन में उत्कृष्टता हेतु मूल्य-आधारित शिक्षा” विषय पर सात दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ। इस सेमिनार में जिले के जूनियर कॉलेजों से लगभग 5000 शिक्षक अलग-अलग समूहों में सात दिनों तक सहभागिता करेंगे।

यह आयोजन जिला प्रशासन एवं उन्नाव जिला शिक्षा विभाग के सहयोग से ब्रह्मा कुमारीज़ द्वारा 12 से 19 दिसंबर तक सेमिनार एवं रिट्रीट के रूप में आयोजित किया जा रहा है।

माउंट आबू से आए प्रो. ओंकार चंद मुख्य वक्ता

इस प्रशिक्षण शिविर का संचालन माउंट आबू से पधारे वर्ल्ड रिन्यूअल (अंग्रेज़ी पत्रिका) के संपादक, राजयोगी ब्रह्माकुमार प्रोफेसर ओंकार चंद मुख्य वक्ता एवं प्रशिक्षक के रूप में कर रहे हैं।

दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुश्री कृतिराज (IAS), जिला मुख्य विकास अधिकारी (CDO)श्री सुनील दत्त, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS)श्री शैलेंद्र कुमार पांडे, बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA), मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमार प्रो. ओंकार चंद, सेवाकेंद्र प्रभारी बीके कुसुम दीदी एवं नंदनवन के प्रबंधक बीके रामपाल की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।

इस अवसर पर कुमारी शिक्षा द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया तथा ब्रह्माकुमारी बहनों ने अतिथियों का फूलमालाओं एवं तिलक से आत्मीय स्वागत किया।

मुख्य अतिथि का संदेश: संतुलन ही सच्ची सफलता

मुख्य अतिथि सुश्री कृतिराज (IAS) ने अपने उद्बोधन में कहा कि केवल डिग्री प्राप्त कर नौकरी हासिल कर लेना ही जीवन की सफलता नहीं है। पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में संतुलन, स्वयं की संतुष्टि और दूसरों की संतुष्टि—यही श्रेष्ठ एवं सफल जीवन की पहचान है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा कुमारी संस्थान राजयोग शिक्षा के माध्यम से समाज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण कर श्रेष्ठ संसार के निर्माण हेतु निष्ठापूर्वक कार्य कर रहा है। उन्होंने सेमिनार की सफलता की शुभकामनाएँ दीं।

शिक्षा अधिकारीगण ने की मूल्य-आधारित शिक्षा की सराहना

जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) ने कहा कि मानव मूल्यों की स्थापना के लिए यहाँ जो गुरुमंत्र सिखाए जा रहे हैं, यदि शिक्षकगण स्वयं उन्हें आत्मसात करें, तो वे विद्यार्थियों में भी उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ मूल्यों का विकास कर उन्हें राष्ट्र के कर्णधार एवं विश्व-सेवा के लिए तैयार कर सकते हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने भी सेमिनार एवं रिट्रीट की सफलता की कामना करते हुए इसे शिक्षकों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

प्रो. ओंकार चंद: श्रेष्ठ कर्म ही जीवन की सच्ची पहचान

मुख्य वक्ता राजयोगी ब्रह्माकुमार प्रोफेसर ओंकार चंद ने कहा कि नैतिक व मानवीय मूल्यों से हमारा जीवन मूल्यावान बनता है. आज के समाज में मूल्याधारित शिक्षा जो विद्यार्थियों को अच्छा इंसान व नागरिक बना सके की बहुत जरुरत है. मानव जीवन की वास्तविक उत्कृष्टता तब प्रकट होती है, जब व्यक्ति के देहावसान के बाद लोग उसे उसके श्रेष्ठ कर्मों के कारण स्मरण करें और उसे प्रेरणा के रूप में अपनाएँ।

कबीरदास जी के दोहे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा—

“जब हम आए जग हंसे और हम रोए, जब हम जाएँ हम हँसें और जग रोए।”

अर्थात ऐसा सुकृत्य कर जाएँ कि हमारा जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाए।

उन्होंने वैदिक सूत्रों का संदर्भ देते हुए बताया—

  • सा विद्या या विमुक्तये” — वही विद्या है जो मनुष्य को विकारों एवं व्यसनों से मुक्त करे।
  • विद्या ददाति विनयम्” — विद्या से विनय, विनम्रता एवं योग्यता प्राप्त होती है, जिससे सुख की अनुभूति होती है।

सफलता की परिभाषा और राजयोग की भूमिका

प्रो. ओंकार चंद ने स्पष्ट किया कि सफलता का अर्थ है—बिना किसी को दुख या पीड़ा पहुँचाए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना तथा जीवन में भौतिकमानसिकभावनात्मक और आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में संतुलन स्थापित करना।

उन्होंने कहा कि राजयोग की शिक्षा एवं उसका सतत अभ्यास स्वयं को सर्वशक्तिमान परमात्मा से जोड़कर दैवी गुणोंमानवीय मूल्यों और आंतरिक शक्तियों से सम्पन्न बनाता है। इससे जीवन में दिव्यता आती है और ऐसा व्यक्ति विश्व के लिए प्रेरणा-स्रोत बन जाता है।

श्रेष्ठ संसार की ओर एक सशक्त कदम

उन्होंने आगे कहा कि जब व्यक्ति स्वयं बदलता है, तो उससे प्रेरित होकर अनेक लोग जुड़ते जाते हैं और समाज सुखशांति एवं मूल्यों से भरपूर बनता है। इसी प्रक्रिया से वर्तमान संसार श्रेष्ठसुखमय संसार—स्वर्ग सतयुग की ओर अग्रसर होता है।

जीवन-उपयोगी विषयों पर दैनिक कार्यशालाएँ

इस सात दिवसीय सेमिनार में प्रतिदिन जीवन-उपयोगी विषयों पर विशेष कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं—

  • सफलता के रहस्य एवं समग्र व्यक्तित्व विकास
  • मन की शक्ति एवं भावनात्मक स्वास्थ्य
  • नशा एवं डिजिटल लत से मुक्ति
  • क्रोध एवं तनाव को अलविदा

यह सेमिनार शिक्षकों के व्यक्तिगतपारिवारिक एवं व्यावसायिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक सशक्त एवं प्रेरणादायी पहल सिद्ध हो रहा है।

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