– मन को शान्त रखने के लिए ध्यान जरूरी है… रूप नारायण सिन्हा, अध्यक्ष योग आयोग
– ध्यान से स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी – तनावमुक्त समाज बनाने में मददगार है ध्यान… डॉ. सरिता बाजपेयी, आर्ट ऑफ लीविंग
– जीवन में शान्ति के लिए ध्यान जरूरी… ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी
रायपुर,छत्तीसगढ़ : 21 दिसम्बर, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर सड्ढू में विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। विषय था: विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान (Meditation for World Unity & Trust)।
समारोह मेें बोलते हुए छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष रूप नारायण सिन्हा ने कहा कि मन को शान्त रखने और अपने आपको व्यवस्थित रखने के लिए ध्यान बहुत ही जरूरी है। जब आप अपने आपको जानने लगते हैं और ध्यानस्थ हो जाते हैं तब एकाग्रता आती है। एकाग्रता के लिए सतत् अभ्यास चाहिए। उन्होंने ब्रह्माकुमारीजऔर शान्ति सरोवर की महिमा करते हुए कहा कि ऐसी पावन जगह पर आने से मन का भटकाव बन्द हो जाता है। मन पर स्थान का भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसीलिए कहा गया है कि जीवन में तपस्वी और ध्यानी लोगों का सम्पर्क जरूरी है। उन्होंने प्रेरक कहानी के माध्यम से अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि साधक के द्वारा साधना करने से साध्य की प्राप्ति होती है।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि ध्यान का मुख्य उद्देश्य समाज में सद्भावना उत्पन्न करना है। ध्यान हमें बाहरी दुनिया से जुडऩे की बजाए अपने भीतर झांकने और आत्म विश्लेषण करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारी बुद्घि को तेज और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। उन्होंने राजयोग मेडिटेशन का उल्लेख करते हुए बतलाया कि इससे मन शान्त होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करने, हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करने और रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। ध्यान से हम अपनी आन्तरिक शक्तियोंं को जागृत सकते हैं जिससे न केवल हमारा जीवन स्वस्थ और सन्तुलित बनता हे बल्कि हम शान्तिपूर्ण, संवेदनशील और श्रेष्ठ समाज की स्थापना में योगदान दे सकते हैं।
आर्ट ऑफ लीविंग की डॉ. सरिता बाजपेयी ने कहा कि ध्यान के द्वारा हम तनावमुक्त समाज बना सकते हैं। ध्यान में हम अपने मन के विचारों को रोकने का प्रयास न करें। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जीवन में आगे बढऩे के लिए स्वीकार भाव बहुत जरूरी है। हम जो हैं और जैसे हैं उसे स्वीकार करें तब ही आनन्द का अनुभव कर सकेंगे। जिस प्रकार शरीर को शक्ति देने के लिए तीन बार भोजन जरूरी है उसी प्रकार मन की शान्ति के लिए दिन में कम से कम दो बार ध्यान अवश्य करें। यह आत्मा का भोजन है। इससे स्ट्रेस बाहर निकलेगा और जीवन में शान्ति खुशी एवं आनन्द की प्राप्ति होगी।
ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने कहा कि जीवन में शान्ति के लिए ध्यान जरूरी है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन और विचारों को नियंत्रित करता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है और मन को सशक्त बनाता है। आज की भागदौड़ की जिन्दगी में राजयोग मेडिटेशन एक वरदान की तरह है जो कि हमें तनाव और चिन्ता से मुक्त कर खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है।
कार्यक्रम का सुचारू रूप से संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरन दीदी ने किया।







