सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार: बीके शिवानी दीदी
– चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन शुरू, देशभर से 1500 से अधिक पत्रकार, संपादक और एंकर पहुंचे
– गुरुग्राम से पधारीं अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी ने बताए सफलता के मंत्र
– समाधानपरक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की ओर विषय पर आयोजित किया जा रहा है सम्मेलन
आबू रोड,राजस्थान। आज हम सभी एक बहुत ही श्रेष्ठ लक्ष्य के साथ एकत्रित हुए हैं। आपमें से कौन-कौन स्वर्णिम भारत बनाने के लिए पर्सनली तैयार हैं। स्वर्णिम भारत अर्थात् सतयुगी भारत। सतयुगी भारत अर्थात् सतयुगी संस्कार। संंस्कारों से ही संसार बनता है। यदि हम सभी तैयार हैं कि सतयुगी संसार बनाएंगे। सारी दुनिया कह रही है कि भारत विश्व गुरु बनेगा। भारत के पास ही वह विधि है जिससे स्वर्णिम दुनिया बनाई जा सकती है। वह विधि है हमारे सतयुगी संस्कार, जिससे सतयुगी भारत बनता है।
उक्त उद्गार गुरुग्राम से पधारीं अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी ने व्यक्त किए। मौका था ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मीडिया विंग द्वारा शांतिवन में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन के स्वागत सत्र का। सम्मेलन में देशभर से 1500 से अधिक प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया और रेडियो के पत्रकार, संपादक और एंकर पहुंचे हैं।
समाधानपरक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की ओर विषय पर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा कि श्रीगणेशजी को विघ्न विनाशक गणेश कहा जाता है। हम देखें कि क्या विघ्न विनाशक बनने के लिए तैयार हैं? क्या हम अपने जीवन के और दूसरे के लिए विघ्न विनाशक बन सकते हैं? हमें अपने जीवन और देश पर आए विघ्नों को समाप्त करने वाला बनना है। गणेशजी का सिर ज्ञानवान और गुणमूरत की निशानी है। हम लोग यहां आए हैं अपने अहंकार रूपी सिर को काटने के लिए। उनके जीवन की एक-एक चीज हमें दुखहर्ता-सुखकर्ता, विघ्न विनाशक बना सकती है। आज तक हमने श्रीगणेश जी पूजा-आराधना की लेकिन आज हम उनके जैसा बनने की प्रतिज्ञा करते हैं। गणेशजी की तरह अपना जीवन विघ्न विनाशक, गुणों से सम्पन्न, मूल्यवान और श्रेष्ठ बनाएं। क्योंकि मूल्यवान आत्मा ही इस दुनिया में सतयुग लाने के लिए निमित्त बनेगी। हर एक अपने जीवन की समस्याओं का समाधान निकालने लगेंगे तो समस्याएं ही खत्म हो जाएंगी।
देवतुल्य बनाना होगा स्वभाव-
संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा कि मीडिया समाज का आधार है। आज चारों ओर जहां नकारत्मकता का माहौल है ऐसे में मीडिया को समस्या के साथ समाधान पर भी बात करना होगी, तभी समृद्ध भारत का निर्माण हो सकेगा। जब मानव का स्वभाव देव तुल्य हो जाएगा तो इस धरा पर स्वर्णिम भारत आ जायेगा।
मीडिया की दशा-दिशा पर चिंतन जरूरी-
नेपाल, काठमांडु से पधारे फ्रीलांस जर्नलिस्ट हरीहर बिराही ने कहा कि यह बहुत बड़ा चिंतन का विषय है कि मीडिया की दशा और दिशा क्या होना चाहिए और आज क्या हो रहा है। सब पत्रकारों को ध्यान देने की जरूत है कि हम कितना अपने धर्म और कर्म का अनुसरण कर रहे हैं या अपनी दिशा से भटक गए हैं। नागरिकों को भी देखना होगा कि हम किस दिशा की पत्रकारिता को बढ़ावा दे रहे हैं। लखनऊ से पधारे आसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएस त्रिपाठी ने कहा कि जीवन में राजयोग मेडिटेशन अपनाने, सीखने के लिए मेरा पूरा जीवन बदल गया है। सोचने का नजरिया बदलने से जीवन खुशमय हो गया है। राजस्थान निवासी मुंबई से पधारे प्रसिद्ध भजन गायक ओम व्यास ने गीत प्रस्तुत किया।
बालिकाओं ने नृत्य से मन मोहा- विंग के उपाध्यक्ष बीके आत्म प्रकाश ने कहा कि सभी मीडियाकर्मी वापस अपने सेवाकेंद्र पर जाकर राजयोग ध्यान जरूर सीखें। मीडिया विंग का परिचय देते हुए नेशनल को-ऑर्डिनेटर बीके शांतनु ने कहा कि मीडिया विंग विगत तीन दशकों से मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के ध्येय को लेकर कार्य कर रहा है। कोरोनाकाल के चलते इस बार तीन साल बाद राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान वॉइस ऑफ ट्रूथ शॉर्ट वीडियो फिल्म के माध्यम से भारतीय सनातन संस्कृति की झलक दिखाई गई। नेशनल को-ऑर्डिनेटर बीके निकुंज ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बीके शिविका ने ब्रह्माकुमारीज की सामाजिक सेवाओं के बारे में बताया। स्वागत गीत मधुरवाणी ग्रुप के बीके सतीश ने पेश किया। वहीं बैंगलुरु से पधारीं शिव शक्ति सांस्कृतिक अकादमी और खडग़पुर के स्टार चलसा ग्रुप की बालिकाओं ने मनमोहक नृत्य पेश कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी पत्रकारों का तिलक के साथ स्वागत किया गया। संचालन हैडक्वार्टर को-ऑर्डिनेटर बीके चंदा ने किया।
शिवानी दीदी ने बताया श्रीगणेशजी का आध्यात्मिक रहस्य-
मस्तक: गणेशजी का मस्तक इंटेलीजेंट औैर विजडम का प्रतीक है। इंटेलीजेंट मतलब बाहरी दुनिया का नॉलेज और विजडम मतलब अपने मन में क्या चल रहा है उसका नॉलेज।
छोटी आंखें: उनकी छोटी आंखें दूरांदेशी का प्रतीक हैं जो संदेश देती हैं कि कोई भी कर्म करने के पहले उसके दूर के परिणाम देखना। ताकि उसका जब परिणाम आए तो पछताना न पड़े। हम जो सोचते, करते हैं वह हमारा और देश का भाग्य बनाता है।
बड़े कान: बड़े कान हमें संदेश देते हैं कि जो काम की बात है उसे ही सुनें। बिना काम की बात दूर ही छोड़ दें। क्योंकि श्रीगणेश जी जैसा विघ्न विनाशक बनना है तो व्यर्थ बातों को छोडऩा होगा। इससे हमारी पॉजीटिव एनर्जी कम होती है।
सूड: गणेशजी की सूड बताती है कि हमें सॉफ्ट भी बनना है और स्ट्रांग भी बनना है। इतना भी नरम भी नहीं बनना कि कोई एक्सप्लोइड कर दे। इतना भी कड़क नहीं बनना कि नम्रता ही खत्म हो जाए। दोनों का बैलेंस हो।
बड़ा पेट: गणेशजी का बड़ा पेट समाने की शक्ति का प्रतीक है। जब कोई हमें कोई सीक्रेट बात सुनाता है तो कहता है कि अपने ही पेट में रखना। पर्सनल संस्कार में किसी की निंदा, किसी की बात इधर से उधर नहीं करना है। हमें बातों का अपने अंदर समां लेना है।
कुल्हाड़ी: एक हाथ में कुल्हाड़ी है जो बताती है कि हमें अपने कमजोरियों और विकारों को काटते जाना। दूसरे हाथ में रस्सी है अर्थात् अपने जीवन को संयम-नियम और मर्यादाओं से बांधकर रखना। तीसरे हाथ में कमल पुष्प या दुआएं देने वाला होता है। ज्ञानवान आत्मा अर्थात् कीचड़ में रहते हुए अपना जीवन कमलपुष्प समान जीए। विकारों के बीच पवित्र जीवन जीए।
लड्डू: लड्डू बताता है कि जब हम गुणवान आत्मा बन जाते हैं तो हमारे जीवन भी मीठा बन जाएगा। लड्डू हमेशा उनके हाथ में ही होता है जो बताता है कि हमें कभी अहंकार नहीं लाना है।
पैर: उनका एक पैर नीचे की ओर और एक पैर ऊपर होता है। जो बताता है कि हमें दुनिया में रहना है लेकिन दुनिया के बाइव्रेशन से डिटैच रहना है।