प्रश्न : मैं एक साल से एंग्जायटी डिसऑर्डर डिजीज से सफर कर रही हूँ। डर के कारण मैं अपने कॉन्शियसनेस से बाहर हो जाती हूँ और कहीं बाहर भी नहीं निकल पाती। मेरी बॉडी लैंग्वेज़, मेरे फेस एक्सप्रेशन उससे सबको पता चल जाता है कि मैं डर रही हूँ। इस वजह से मैं उनकी हँसी का पात्र बन जाती हूँ। मैं बहुत कोशिश करके भी इस मानसिक स्थिति से बाहर नहीं निकल पा रही हूँ,और इसी वजह से मैंने अपने कॉलेज भी जाना बंद कर दिया है। कृपया बतायें मैं इससे कैसे मुक्त होऊं?
उत्तर : आपकी समस्या बिल्कुल स्पष्ट है कि ये पूर्व जन्मों से चली आ रही है, तो ब्रेन भी उसी तरह की कमियों से भरा हुआ है। तो आपको मेडिकल मदद भी ले लेनी चाहिए। किसी अच्छे डॉक्टर से चाहे होम्योपैथी या फिर किसी न्यूरोफिजि़शियन से जो ब्रेन के स्पेशलिस्ट होते हैं उनसे ताकि आपको मेडिसिन की थोड़ी मदद मिल जाये। लेकिन स्पिरिचुअली भी आप बहुत कुछ कर सकती हैं। आपको मेडिटेशन सीख लेना चाहिए और कुछ बातें शेयर कर रहा हूँ जो आप अपनी दिनचर्या के साथ जोड़ लें। आपमें आत्मविश्वास भी आयेगा, चिंता भी दूर होगी और भय भी दूर हो जायेगा। देखिए हम सभी आत्मायें हैं यहाँ। आत्मा की एक क्वालिटी आत्मा परमपवित्र, आत्मा बहुत शक्तिशाली है। ये जो प्युरिटी है ये हमारे ब्रेन के लिए बहुत बड़ा टॉनिक है। तो प्युअर वायब्रेशन ब्रेन को देने हैं आपको। एक एक मिनट का समय दें और पाँच बार करें कि मैं आत्मा हूँ, मैं पवित्र हूँ और मुझसे पवित्र किरणें निकलकर ब्रेन को जा रही हैं। जैसे ब्रेन सफेद किरणों से भरता जा रहा है। ये विज़ुअलाइज़(कल्पना करना) करें। मेरे ब्रेन में बहुत प्युअर एनर्जी भर गई है और वो ब्रेन को एफिशिएंट(कुशल) बना रही है, बहुत पॉजि़टिव बना रही है। बहुत शक्तिशाली कर रही है। पाँच बार तो ये अभ्यास करें। और दूसरी चीज़ डर का जो बीज है वो है मृत्यु। जीव-प्राणी मृत्यु से भयभीत हैं। ये बिल्कुल संंभव है कि किसी जन्म में या पिछले जन्म में आपकी मृत्यु ज़रूर ज्य़ादा कष्टकारी हुई है। जैसे कोई लोग आग में जल जाते हैं या जला दिए जाते हैं। कोई लोग पानी में डूब-डूब कर मर जाते हैं। किसी को क्रिमिनल्स के द्वारा सता-सताकर मारा जाता है। काट-काट कर मारा जाता है। ऐसे-ऐसे केस होते रहते हैं लेकिन भय सब्कॉन्शियस माइंड में सदा के लिए समा जाता है। वो भी आपका कारण हो सकता है और कुछ भी घटनायें हो सकती हैं। तो आपको ईश्वरीय महावाक्यों का अच्छा अध्ययन करना चाहिए। और पाँच-सात ऐसे पॉवरफुल थॉट्स लिख लेने चाहिए जो आपको शक्तियां देते रहें, जो आपका भय समाप्त करते रहें। इसलिए ज्ञान की स्टडी जिन्हें हम ईश्वरीय महावाक्य कहते हैं, जिन्हें हम मुरली कहते हैं। आपको दिन में पाँच बार अवश्य करनी चाहिए। थोड़ा आपको घर से बाहर निकलना पड़ेगा। हमारे सेवाकेन्द्रों पर कई प्रोग्राम्स होते हैं आप पब्लिक में जायेंगी, आप बोलना सीखेंगी। जब आप बोलेंगी, पब्लिक में ज्ञान देंगी तो वो सारी चीज़ें आपकी डेवलप हो जायेंगी। और जब सुबह आप उठें तो एक बहुत अच्छी अवेअरनेस अपने आपको दें कि मैं सर्वशक्तिवान की संतान हूँ, वो मेरे साथ है जैसे वो मेरे सिर के ऊपर छत्रछाया है। और मैं आत्मा तो अमर हूँ और जिसका बाप ही महाकाल हो उसे डरने की ज़रूरत है! ये चिंतन करें। मैं तो आत्मा हूँ और आत्मा की मृत्यु होती ही नहीं ये बार-बार भरें अपने सब्कॉन्शियस माइंड में। मैं बहुत सुखी हूँ, मैं बहुत निर्भय हूँ, मेरा साथी तो स्वयं भगवान है। ये विचार पाँच-पाँच बार करें तो आपके सब्कॉन्शियस माइंड में जो भय समा गया है, और जो ये आप डरी-डरी, चिंतित-सी रहती हैं तो आपकी पर्सनैलिटी तो एकदम दब गई। तो उससे बाहर निकल जायेगी और निर्भय हो जायेंगी।
प्रश्न : मेरा नाम कोमल है। मैं 28 वर्ष की एक गृहणी हूँ। मैं नौकरी के लिए पिछले पाँच साल से प्रयास कर रही हूँ लेकिन मुझे लगातार असफलता मिल रही है। बार-बार की असफलता के कारण मैं निराश हो गई हूँ, मैं थक गई हूँ। अब मैं टीचिंग लाइन में जाने की तैयारी कर रही हूँ लेकिन मन में ये संदेह बना ही रहता है कि क्या मैं सफल हो पाऊंगी! बार-बार की असफलता ने मेरे आत्मविश्वास को बिल्कुल ही हिला दिया है। कृपया कुछ उपाय बतायें।
उत्तर : बिल्कुल प्रैक्टिकल है जिसको पाँच साल से नौकरी न मिली हो वो तो ये सोच ही लेगा कि मुझे कभी नहीं मिलेगी। लेकिन आप एक स्लोगन याद रखना असफलता ही सफलता की चाबी है। इसलिए अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। निराशा की चादर ओढऩे की ज़रूरत नहीं है। इन काले बादलों को अपने ऊपर से बिल्कुल हटा दें। अपने अन्दर आत्मविश्वास पैदा करना होगा। आपके सामने विघ्न अवश्य है। कोई विकर्म आपका सामना कर रहा है। दीवार बनकर खड़ा है। पहले तो आपको अपनी लाइन क्लीयर करनी होगी। एक 21 दिन का प्रोग्राम बनाना होगा। दो संकल्पों से योग शुरु करना है। मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं विघ्नविनाशक हूँ। पाँच बार पहले ये दोनों संकल्प करें और फिर एक घंटा योग करें। अगर आपने मेडिटेशन नहीं सीखा है तो आप सीख लें। क्योंकि इस विघ्न को हटाना बहुत ज़रूरी है। फिर आप 21 दिन के बाद पायेंगी कि जैसे कोई काली छाया आपके ऊपर से उतर गई। कोई बोझ, एक दबाव बना हुआ था वो हट गया। आपको आत्मविश्वास से एक विज़न बनाना है। सवेरे उठते ही आप विज़न देखेंगी कि इंटरव्यू हो रहा है और मैं सिलेक्ट हो गई हूँ। ये आत्मविश्वास लायें। जब तक इंटरव्यू का कॉल आये तब तक आप रोज़ सात बार मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है इस तरह के अभ्यास करते रहें। मन में निराशा बिल्कुल न लायें। आत्मविश्वास आपकी लैंग्वेज़ को बदलेगा, बॉडी लैंग्वेज़ को बदलेगा और ये जो पॉजि़टिविटी क्रियेट होगी वो खुद को टच होगी और रिज़ल्ट बहुत पॉजि़टिव होगा।