सच्चे बनो, सहयोगी बनो और स्नेही रहो

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बाबा से जो हम बच्चों को अच्छी-अच्छी शिक्षायें मिल रही हैं यही बाबा का प्यार है। बाबा कितना प्यार से शिक्षा देते हैं, बच्चे जो बात तुम्हारे काम की नहीं है वो नहीं करो। गुस्से की ज़रा भी परसेन्ट न रहे, इतनी योग अग्नि हो, जो हम सुख-शांति, शीतलता के देव बन जायें। तीनों चीज़ें हमें बाबा से वर्से के रूप में मिल जायें। शिवबाबा, भाग्यविधाता और वरदाता है, तो कोई बड़ी बात नहीं है।
हर आत्मा शरीर द्वारा अपना-अपना पार्ट बजाती है, हरेक का पार्ट अपना है। बाबा हमारा शिक्षक और सतगुरु है। धर्म और राज्य दोनों की स्थापना करने वाला वही धर्मराज है। पर हमको स्वधर्म में स्थित होके, स्नेह और आपसी सहयोग से सतयुगी राजधानी स्थापन करनी है। हम योगी भी बाबा के सहयोग से ही बने हैं।
यहाँ कोई कर्म को छोड़ करके योगी नहीं बना है। हमारे कर्मयोग से अनेक पुराने जन्मों के विकर्म विनाश हो गये, संस्कार शुद्ध हो गये। अगर कुछ रहा हुआ है तो अन्दर खिटपिट होगी ज़रूर। अगर पुराना खलास हो गया तो आत्मा शुद्ध, शांत और शीतल है, फिर जो भी उनके संग में आते हैं वो भी ऐसे बन जाते हैं। यह कमाल है हमारे बाबा की। बाबा के संग में रहते-रहते अच्छा रंग चढ़ गया है। बाबा के सामने कोई उबासी नहीं दे सकता था, किसी की आँख बंद नहीं होती थी। तो हमारी यह स्टूडेंट लाइफ भविष्य का निर्माण करती है। बाबा ने कर्मों की गुह्यगति का ऐसा ज्ञान दिया है, अच्छी तरह से बता दिया है ताकि अभी हर समय, हर सेकण्ड मन-वचन-कर्म से श्रेष्ठ बन करके रहें।
सर्वशक्तिवान बाबा में सारा ज्ञान है, वह नॉलेजफुल है पर असोचता है। बाबा करन -करावनहार है, पर अकर्ता है। ऐसे ही दु:ख-सुख में नहीं आता है इसलिए अभोक्ता है। तो हम बाबा के बच्चों की भी ऐसी स्थिति आ सकती है, इसके लिए बहुत गहराई में जाना होगा। ड्रामा में क्या है, जो सीन चल रही है वो बाबा हर क्षण बता रहा है, सिखा रहा है कि तुम ऐसे चलो। अच्छे एक्टर्स का ध्यान डायरेक्टर के गुप्त इशारों पर होता है। ड्रामा का डायरेक्टर, क्रियेटर ही अब मुख्य एक्टर के रूप में पार्ट बजा रहा है, उसको अगर न जाने तो वो कौन है? बाबा का कितना बड़ा पार्ट है वो हम सब जानते हैं। बाबा ने बताया है और हम देख रहे हैं। उनकी हर एक्शन में हम भी शामिल हैं।
भक्त जिनका दर्शन करने के प्यासे हैं, हम उनके साथी बने हैं तो हमारे कर्म कितने ऊंचे व बलवान होने चाहिए। ऑलराउण्ड पार्ट में एक्यूरेट और एवररेडी रहना शोभता है। तो जो कर्म हम करते हैं, वो अपने लिए करते हैं। बाबा ने जो इशारा दिया है, उसी अनुसार करते हैं। सुबह उठने से लेके रात्रि तक जैसे तुम करोगे तुमको देख और करेंगे। बाबा ने आत्मा को अपना बनाके समझदार बनाया है तो सच्चे बनो, सहयोगी बनो और स्नेही रहो।

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