हमारा हर कर्म हो शुभ भावना और शुभ कामना से…

0
517

किसी दिन संकल्प करो कि आज बेहद की दुनिया से उपराम रहना है। आज सारे दिन गंभीर, धैर्यवत रहना है। आज विश्व के कल्याण के लिए सारा दिन शुभ भावनाओं का दान देना है। आज सबको शांति का दान देना है।

बाबा कहते बच्चे, तुम अपने स्वमान में, नशे में रहो। अपनी स्वस्थिति स्वमान पर रखो तो हर प्रकार की माया से ऊपर रहेंगे। माया हमारी परछाई है, उसको पीठ दे दो तो पाँव पड़ेगी लेकिन उसका स्वागत करो तो सिर पर चढ़ेगी। हम तो देवता बनने वाली आत्मा हैं, हमारे सिर पर लाइट का क्राउन है, रावण के सिर पर गधे का शीश है। बाबा हमें अपने गोल्ड हस्तों से रोज़ अमृतवेले लाइट-माइट से सिर की मालिश कर ताज पहना देता है। हम लाइट-माइट का ताज पहने हुए महावीर महावीरनियां हैं।
रोज़ अमृतवेले विशेष संकल्प लो कि हमें अन्तर्मुखी रहना है, स्वचिन्तन करना है। कभी बाह्यमुखता में नहीं आओ। किसी दिन संकल्प रखो कि आज कम बोलेंगे, धीरे बोलेंगे, मीठा बोलेंगे। फिर सारे दिन यह प्रैक्टिस करो। किसी दिन संकल्प करो कि आज बेहद की दुनिया से उपराम रहना है। आज सारे दिन गंभीर, धैर्यवत रहना है। आज विश्व के कल्याण के लिए सारा दिन शुभ भावनाओं का दान देना है। आज सबको शांति का दान देना है। कभी संकल्प करो आज हमें सब भक्तों का ईष्ट देव बन उनकी मनोकामना पूरी करनी है।
जन्म लेते ही बाबा ने कहा- आओ मेरे विजयी रत्न बच्चे आओ। तो यह विजय का वरदान हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। वरदानों का ताज सदा पहनकर रखो। हम विजयी थे, विजयी हैं, विजयी रहेंगे। फिर देखो कितनी शक्ति आ जाती है। जब खेलने जाते हैं तो कभी यह संकल्प नहीं करते कि खेल में हार होगी। माया अगर शेरनी है तो हम शेर हैं लेकिन माया तो बिल्ली है। हम तो अवतरित हुई आत्मायें हैं। अवतार माना ही पवित्र। हम पवित्र आत्मा थे, हैं और रहेंगे। माया को चैलेन्ज करो तो माया मन्सा में भी तूफान ला नहीं सकती।
हम सतयुग के सच्चे कोहिनूर हीरे हैं, आजकल के झूठे पत्थर नहीं हैं। ऐसे अनेक स्वमान हैं जिनकी स्मृति में रहो तो मन्सा शुद्ध हो जायेगी। विजयी माला के ऐसे मोती बनो जो दाना, दाने से मिल जाए। बीच में धागा बिल्कुल दिखाई न दे।
हम तपस्वी कुमार हैं, हमें तपस्या करनी है। कल कुछ भी थे राइट थे, रॉन्ग थे, बुरे थे उसे आज जीरो लगा दो। जीरो लगाने से हीरो बन जायेंगे। तीन बिन्दु का तिलक लगाओ- मैं आत्मा बिन्दु, बाबा बिन्दु और ड्रामा बिन्दु। यह तीन बिन्दु साथ हैं तो न स्थिति नीचे आयेगी, न डिस्टर्ब होंगे। न अपने को डिस्टर्ब करो न दूसरों को।
बाबा ने कहा है तुम छोटे-बड़े सब वानप्रस्थी हो। वानप्रस्थी माना सब झंझटों से परे। हम कोई मौनी बाबा नहीं हैं, लेकिन बाहर के वातावरण से परे हैं। जब वानप्रस्थी होकर रहना है तो फालतू बातों में, व्यवहारों में टाइम वेस्ट नहीं करना है। अपने समय को, शक्ति को सफल करना है। न टाइम वेस्ट हो, न एनर्जी वेस्ट हो। शुभ भावना, शुभ कामना से हर कर्म करो। पॉजि़टिव सोचो। वैर, विरोध, नफरत आदि की बातों में न जाओ।

हम हैं उद्धार मूर्त, हमें तो पापियों का, अहिल्याओं का, सबका उद्धार करना है। सदा अपने पॉजि़टिव संकल्पों में रहो तो सदा ओ.के. रहेंगे। कोई भी क्वेचन नहीं आयेगा। किसी भी बात में न विचलित हो, न करो। योगी का गुण है अचल, अडोल, स्थिर, अखण्ड, निर्विघ्न। इसी लक्ष्य को सामने रखकर लक्षण धारण करो।
मुझ योगी को हर परिस्थिति में अपनी स्थिति अचल और अडोल रखनी है, संकल्प में भी मुझे खण्डिल मूर्ति नहीं बनना है। फिर देखो कितना चित्त शांत और शीतल रहता है। बुद्धि स्थिर रहती है। संस्कार ठण्डे पड़ जाते हैं। ज्ञान से पुराने स्वभाव को खत्म करो। स्व के भाव में रहो।
मनुष्य माना ही देह-अभिमानी। हम मनुष्य नहीं हैं। हम देही-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करते अर्थात् स्व के भाव में रहते हैं इसलिए किसी भी आदत के वश नहीं बनो, लेकिन आदतों को वश करो। चिंता को गेट आउट करो। आप मुये मर गई दुनिया। सभी मिटटी में मिल जाने हैं। तो इन सबको बुद्धि से भूलो, इसी में ही अतीन्द्रिय सुख है। सदा शुभ सोचो, शुभ देखो, शुभ बोला, शुभ भावना आजनहीं तो कल अपना काम करेगी।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें