बच्चों को आगे बढ़ाने प्यार और अनुशासन का संतुलन हो – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
बिलासपुर,छत्तीसगढ़। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हम हेल्दी डाइट लेते और एक्सरसाइज करते हैं। लेकिन मन व बुद्धि के लिए हेल्दी डाइट है सकारात्मक चिंतन और एक्सरसाइज है मेडिटेशन। ये दोनों के लिए रोज की दिनचर्या में समय निकालना जरूरी है क्योंकि दिनभर में कई ऐसी बातें हमारे सामने आती हैं जो हमारी शक्ति खत्म करती है। जिस प्रकार रूमाल जैसी हल्की चीज को भी एक स्थिति में हम बहुत देर पकड़े रहेंगे तो हमारे हाथों में दर्द होने लगेगा। उसी प्रकार निगेटिव व व्यर्थ बातों को अधिक समय तक मन में रखने से मन तकलीफ में रहता है। ये विष के समान है यदि कोई बात आपके अंदर है तो जरूर ही अपने सीनियर्स से समय लेकर नम्रता के साथ उनके सामने अपनी बात रखकर हल्के हो जाएं। और जहां क्षमा करने की बात हो तो जरूर क्षमा कर दें।
उक्त बातें कर्नल्स एकाडमी फॉॅर रेडियेन्ट एजुकेशन स्कूल के शिक्षकों के लिए आयोजित कार्यशाला में समस्त शिक्षकों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने सभी को बतलाया कि जो संकल्प शक्ति स्वामी विवेकानंद के पास थी वह हमारे पास भी है। परन्तु व्यर्थ की अधिकता के कारण वह उजागर नहीं हो पाती।
बच्चों के लिए एक अच्छा आदर्श बनने का प्रयास करें शिक्षक…
बच्चों पर हमारी हर एक्टिविटी का प्रभाव पड़ता है और हमारी भावनाओं का असर भी उन पर होता है। इसलिए शिक्षक व शिक्षिकाएं चाहे वो फैशन से संबंधित हो या व्यसन वाली बात हो स्वयं पर सुधार कर एक अच्छा आदर्श बनने का प्रयास करें। बच्चों के लिए प्यार देना तो जरूरी है लेकिन उतना ही जरूरी अनुशासन में रखना भी है। बच्चों के लक्ष्य प्राप्ति के लिए पढ़ाएं लेकिन साथ ही एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा भी जरूर दें।
समर्पण के साथ करें अपना हर कार्य…
दीदी ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि समर्पण से किये गए हर कार्य को कोई देखे या न देखे, उस पर भगवान की नजर जरूर होती है। समर्पण भाव से किये गए कार्य से धन मिले या न मिले लेकिन दुआएं जरूर मिलती हैं जो धन की शक्ति से ज्यादा शक्तिशाली है। साथ ही बच्चों, जूनियर्स या सीनियर्स द्वारा किए गए अच्छे कार्य के लिए सराहना या प्रशंसा जरूर करें इससे उनका उमंग-उत्साह बढ़ता है और कार्य की शक्ति भी बढ़ जाती है।
शिक्षकों के अलग-अलग प्रश्नों का समाधान देते हुए दीदी ने कहा बड़ों से बात करने से पहले एक-एक पॉइन्ट के रूप में बातों की सूची बनाकर नोट कर लें और कॉन्फिडेन्स के साथ बात जैसी हो वैसी ही कहें बिना घुमाए-फिराए। कॉन्फिडेन्स हो लेकिन वाणी में सरलता के साथ, अहंकार का भाव न हो। कभी-भी आलोचना के लिए ग्रुप न बनाएं। आलोचना से हमें बद्दुआ मिलती है। आप हर एक में विशेषता देखने का प्रयास करें क्योंकि ईश्वर ने हर एक के अंदर अलग-अलग तरह की विशेषता भरी है। और विशेषता देखने से हर एक की विशेषता हमारे अंदर आती जाएगी जबकि यदि अवगुण देखेंगे तो अवगुणी बन जायेंगे।
टीमवर्क से सब कार्य हो जाता है आसान…
हम बच्चों के लिए पर्यावरण प्रदूषण की बहुत अच्छी तैयारी करा देते हैं लेकिन आपस में ईर्ष्या, द्वेष की भावना से गलत बातों को फैलाने से मानसिक प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके लिए हर एक के प्रति रूहानी अर्थात् आत्मिक प्यार का होना आवश्यक है। जब टीम के साथ कार्य करते हैं तो बड़े से बड़ा कार्य पूरा हो जाता है। यदि मैं-मैं करने लगे, मेरापन आया तो कार्य बिगड़ जाता है। शब्द के गलत उपयोग के कारण ही महाभारत हो गया। इसलिए अपनी संकल्प शक्ति को बढ़ाएं।
आध्यात्मिक विकास की जरूरत सभी को…
स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर कैप्टन आर.के. त्रिपाठी जी ने कहा कि आज बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर तो ध्यान दिया जा रहा है लेकिन भावनात्मक, नैतिक व आध्यात्मिक शक्ति के विकास की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। पहले के समय में एक पीरियड सदाचार का होता था जिसमें सिर्फ और सिर्फ सदाचार की ही बातें बताई जाती थी। आज वो बातें छूट रही हैं। उन्होंने सभी शिक्षकों से कहा कि निःसंकोच होकर अपनी बातें कह सकते हैं यदि स्कूल की मर्यादा अनुसार वह संभव होगा तो उसे जरूर क्रियान्वित किया जायेगा।
दीदी ने सभी को कार्यक्रम के प्रारंभ व अंत में मेडिटेशन की अनुभूति कराई। सभी शिक्षकों ने अपनी बातें रखी और मंजू दीदी व डायरेक्टर बहन गीता त्रिपाठी व कैप्टन आर.के. त्रिपाठी जी ने उनका समाधान सहित उत्तर दिया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी नीता बहन, अमर भाई, प्रिंसिपल दुष्यंत वैष्णव व अन्य सभी शिक्षक गण उपस्थित रहे।
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