मन की बातें – राजयोगी बी.के. सूर्य

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प्रश्न : मेरे पति बहुत शराब पीते थे, और शराब पीने से ही उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन मेरे सास-ससुर ने उनकी मौत का जि़म्मेदार मुझे ठहराकर मुझे घर से निकाल दिया। अभी मैं अपने मायके में हूँ। मेरे दो बेटे हैं। एक दसवीं में है और दूसरा छटवीं में। मेरे सास-ससुर उन्हें भी मेरे से मिलने नहीं देते हैं। उन्हें भी मेरे खिलाफ भड़काते हैं कि तुम्हारी माँ ने ही तुम्हारे बाप को मारा है। भगवान जानते हैं कि ये सब झूठ है। मैं अपने बच्चों को पाना चाहती हँू। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर : ऐसे केस कई जगह होते रहे हैं। सबसे पहले तो मैं शराब पीने वालों को कहना चाहूँगा कि ये विष है इससे बचें, जो लोग छोटी आयु से शराब पीने लग गये वो चालीस साल से ज्य़ादा नहीं जी सकते। क्योंकि किसी की किडनी फेल, किसी का लीवर फेल। दोष चाहे किसी को भी दे लेकिन दोष तो उनकी शराब का है, पीने वाले का है। आपके सास-ससुर आपसे पहले से ही नफरत करते होंगे। इसलिए आपके ऊपर दोषारोपण कर दिया। कौन पत्नी अपने पति को इस तरह मारेगी और प्रत्यक्ष है वो बहुत शराब पीता है तो उसकी तो किडनी और लीवर फेल होने ही हैं। उसकी मृत्यु निश्चित है। पाप भी कितनी सूक्ष्म गति से आगे बढ़ रहा है। कई लोग गम के कारण, तनाव के कारण पीते हैं। तनाव के कारण रात को नींद नहीं आती इसलिए भी कई लोगों ने ऐसा करना शुरू किया है। लेकिन इससे समस्यायें घटती नहीं है बल्कि और बढ़ती हैं। जब शराब पीकर आते हैं तो घर में लड़ाई-झगड़ा करते हैं अशांति और बढ़ती है। गलत व्यसनों से कोई टेंशन खत्म नहीं हुआ करती। ये तो मनुष्य अपने को मार रहा है, अपने को सज़ा दे रहा है। इससे वो अपना धन भी नष्ट कर रहे हैं और बच्चों पर भी बुरा असर हो रहा है। वास्तव में इस विष से, इस आसुरी आदत से एक समझदार मनुष्य को हमेशा बचना चाहिए। दूसरी बात यह कि सास-ससुर को भी थोड़ा समझदार होना चाहिए। अपनी बहू से ऐसा दुव्र्यवहार करना, उसे घर से भी निकाल देना, बच्चों से भी दूर कर देना ये वास्तव में बहुत बड़ा पाप है। और इस पाप का फल उनके सामने आयेगा।
मैं आपको कहना चाहूँगा कि आप राजयोग सीखें। ईश्वरीय ज्ञान लें। कर्मों की गुह्य गति जब आपको समझ में आयेगी, तो जीवन में हुई कुछ घटनाओं को एक्सेप्ट कर लेंगी। पति का जाना माना सबसे बड़ा लॉस होता है एक नारी के लिए। अब आप ईश्वरीय ज्ञान लेकर अपने चित्त को प्रसन्न करें और अपने व्यवहार को इतना सुंदर करें कि सास-ससुर भी इससे प्रसन्न हो जायें और बच्चे भी सास-ससुर को छोड़ आपके पास रहने लगें। लेकिन हम ये भी नहीं कहेंगे कि वो उनको भी पूरा छोड़ दे। क्योंकि उनके साथ भी सहारे वो ही हैं अब। तो आपको राजयोगी बन जाना चाहिए। आपको क्या करना है कि सवेरे उठकर अपने सास-ससुर को बहुत अच्छे वायब्रेशन दें। ताकि उनके विचार बदल जायें, वेस्ट थिंकिंग, निगेटिव थिंकिंग बदल पॉजि़टिव हो जाये। ताकि आपस में समझौता हो जाये। रोज़ सवेरे 5 बजे राजयोग के बहुत अच्छे वायब्रेशन्स आपको अपने सास-ससुर को देने हैं। ताकि उनका चित्त शांत हो जाये क्योंकि वो भी अपने बच्चे की मौत से बहुत परेशान हो, अशांत हों। इसलिए हो सकता है वो बच्चों को अपने सामने रखकर अपने प्यार की तृप्ति करते हों, अपने चित्त को शांत महसूस करते हों। तो राजयोग के अभ्यास से आपकी जो समस्या है वो दूर हो जायेगी।

प्रश्न : पारिवारिक झगड़े के कारण मेरी जेठानी ने कुछ तंत्र-मंत्र करवाकर मेरे पति और बेटी को मरवा दिया। वो बंटवारे में से ज़मीन का एक टुकड़ा भी हमें नहीं देना चाहतीं। उन्होंने मुझ पर भी तंत्र-मंत्र का प्रयोग करवाया है जिसके कारण मैं हमेशा बीमार रहती हूँ। कृपया बतायें क्या करूँ?
उत्तर : वास्तव में मुझे ये देखकर कष्ट होता है कि आज नारी, नारी को भी बहुत सता रही है। जबकि नारी में मातृत्व होता है। नारी प्र्रेम की मूर्ति होती है। मैं कहना चाहूँगा अपनी समस्त मातृ शक्ति को, सारे संसार की मातृ शक्ति को कि जो तंत्र-मंत्र है इससे बचें। क्योंकि हर एक्शन का रिएक्शन ज़रूर होता है। कई लोग लोभवश, स्वार्थवश कि सारी जो सम्पत्ति है मेरे को मिले, मेरे बच्चों को मिले, दूसरे भले ही भूखे रहें, रास्ते पर रहें, भीखमांग कर खायें, मैं उन्हें नष्ट कर डालँू। नारी का ये कटु स्वभाव हमारे देश के लिए शोभनीय नहीं है। भगवान आकर नारी शक्ति को जगा रहा है कि तुम तो इष्ट देवियां हो। तुम्हारी तो पूजा हो रही है। तुम तो सबको देने वाली हो। मैं इन सबको कहूँगा कि दूसरे के धन से कोई भी मनुष्य सुखी नहीं होगा। उनके सामने कर्मों का हिसाब आता है जिन्होंने भी ऐसा किया है वो देखने में आते हैं लास्ट में हॉस्पिटल में पड़े होते हैं। कोई बच्चा उनको पूछने भी नहीं आता। ऐसे केस बहुत आ रहें हैं। मातायें शिकायत करती हैं कि हमारे बच्चे हमें पूछ नहीं रहे। दवाओं का पैसा भी नहीं दे रहे हैं। ये ऐसे ही पाप कर्मों का परिणाम होता है। इसलिए इस कर्म की गति को जानते हुई हमारी मातृ शक्ति को बहुत विशाल दिल होना चाहिए।
आपको क्या करना है, पहले तो आपको अपने चित्त को शांत करना चाहिए और एक बात याद रखनी चाहिए। कोई आपके भाग्य को छीन नहीं सकता। जिन्हें संसार में कोई साथ नहीं देते, उन्हें भगवान साथ देता है। अब आप उससे जुड़ जायें। भाग्य विधाता को अपना बना लें, भाग्य विधाता से योगयुक्त हो जायें तो सम्पूर्ण भाग्य आपके पास आ जायेगा। इसलिए जिनके साथ पाप हैं उनकी हार निश्चित है जिनके साथ पुण्य और सत्यता है उनकी विजय होगी। इसलिए आपको राजयोग का अभ्यास करना चाहिए। परमात्म सहारे का अनुभव कर अपने जीवन को ईश्वरीय ज्ञान के द्वारा खुशियों से भरें और हो सके तो उनको क्षमा भी कर दें। दुआयें दें कि हे प्रभु इनको सद्बुद्धि दो, ये भी सुखी रहें। अगर आप क्षमा न कर पायें तो एक घंटा रोज़ राजयोग मेडिटेशन करें। आपका चित्त शांत होगा। उसे आत्मा देखा करें कि ये मेरी जेठानी नहीं है, ये आत्मा है, ये अपना पार्ट प्ले कर रही है। इसका अपना पार्ट है। मेरा अपना पार्ट है। और जैसे ही आप संकल्प करेंगी कि मुझे इसे दुआयें देनी हैं, तो आपके बहुत सारे संकल्प नहीं चलेंगे। आप पूर्व की घटनायें भूलती जायेंगी, और अपने को आगे बढ़ता हुआ देखेंगी। आपको महसूस होगा कि जिसने हमारे द्वार बंद किये थे, जिसने हमारे जीवन में विघ्न डालेे थे, जो हमको पत्थर मारते थे, लेकिन उनके इन कष्टों से हम बहुत आगे बढ़ गये। इसलिए उनको शुक्रिया करें।

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