प्रश्न : मैं बैंगलौर से अनुषा हूँ। मुझे हर चीज़ से डर लगता है जैसे एनीमल(पशुओं) से, एजुकेशन से, डेड बॉडी से, घर से बाहर जाने से, हर प्रकार से मुझे डर लगता है। जब 2 साल पहले मैं आपसे मिली थी तो आपने मुझे दो अभ्यास बताये थे- मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं एक महान आत्मा हूँ। मैंने ये प्रैक्टिस की,लेकिन मुझे जितनी सफलता मिलनी चाहिए थी उतनी सफलता नहीं मिली। कृपया आगे का मार्गदर्शन करें।
उत्तर : हाँ ये सम्भव है कि डर के संस्कार सब्कॉन्शियस माइंड में डिपली रूटेड हो गये हों और हज़ारों साल के हों। क्या होता है कि किसी की मृत्यु ऐसी हो गई, कुछ दु:ख के लगातार सीन सामने आते रहे, दूसरे भी बहुत दु:खी होते रहे। कुछ ऐसी घटनायें बार-बार हुई हैं कि भय चित्त में समा गया है। इसे निकालने में थोड़ा समय लग सकता है। इसलिए मैं आत्मा अजर-अमर अविनाशी हूँ, इससे मृत्यु का भय चला जायेगा। ये मृत्यु और कुछ नहीं है ये तो देह वस्त्र उतारने का नाम है। ये संकल्प आपको, अपने को बार-बार देना होगा। और ऐसे सीन भी अपने सामने इमर्ज कर सकते हैं कि बहुत भयानक सीन हमारे सामने हैं और हम गुड वायब्रेशन्स दे रहे हैं, हम दाता हैं। जहाँ ऐसे भय के सीन हों और वहाँ हम अच्छे वायब्रेशन्स देंगे तो हम निर्भय बन जायेंगे।
मास्टर सर्वशक्तिवान के अभ्यास के साथ कम से कम आप आधा घंटा रोज़ योगाभ्यास भी करेंगी। इस तरह करेंगी- मैं शिव शक्ति हूँ… शिव की शक्तियां मेरे पास हैं… मैं निर्भय हूँ और परमधाम में सर्वशक्तिवान शिव बाबा हैं उसको देखेंगी, विज़ुअलाइज़ करेंगी उसकी शक्तियों की किरणें मेरे ऊपर आ रही हैं… स्वमान दो पहले लेंगी, मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं निर्भय आत्मा हूँ ये दोनों ज़रूरी हैं। सात बार इसको याद करके फिर आधा घंटा योगाभ्यास करेंगे। साथ-साथ उठते ही कुछ अच्छे संकल्प आपको अपने को देने हैं,क्योंकि जो सब्कॉन्शियस माइंड में भरा हुआ है, उसको आपको डिलीट करना है। सवेरे-सवेरे सब्कॉन्शियस माइंड फुली एक्टिव रहता है। कुछ अच्छे संकल्प अगर आप कमांड के रूप में देंगी, सब्कॉन्शियस माइंड उन्हें रिसीव करेगा तो धीरे-धीरे आप ठीक हो जायेंगी।
पहला संकल्प तो सात बार यही करना है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मैं निर्भय हूँ, मुझे मृत्यु से कोई भय नहीं है। मृत्यु तो देह रूपी वस्त्र बदलने का नाम है। क्योंकि भय एक जगह से पैदा होता है, बीज उसका एक होता है और उसकी ये शाखाएं अलग-अलग हो जाती हैं। तो दूसरा संकल्प उठते ही ये करेंगी कि मेरे साथ स्वयं सर्वशक्तिवान है, उसकी छत्रछाया में मैं सदा सुरक्षित हूँ, ये करेंगी सात बार। और जब आप घर से बाहर जायें तो ये याद करके जायेंगी कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सर्वशक्तिवान शिव बाबा की छत्रछाया मेरे सिर पर है, मैं उसमें सुरक्षित हूँ। तो इस तरह के संकल्पों से धीरे-धीरे आपका भय समाप्त होगा, लेकिन योगाभ्यास महत्वपूर्ण रहेगा जिससे आत्मा में शक्ति आयेगी, मन शक्तिशाली होगा। जैसा मुझे लगता है आपकी बातों से कि लम्बे काल का भय आपके अन्दर छुपा हुआ है। वो धीरे-धीरे निकल जायेगा। ये अभ्यास आपको 108 दिन अवश्य करना होगा। क्योंकि आपकी समस्या गहरी है। डीप में चला गया है भय का संस्कार। इसीलिए कोई दरवाजा भी खोलेगा तो आपको भय लगता होगा। कोई अचानक आ जाये तो आपको भय लगता होगा। लाइट चली जाये, अंधेरा हो जाये तो आपको भय लगता होगा। क्योंकि भय लम्बे काल के समय से है। तो इस तरह के अभ्यास 108 दिन करेंगी तीन मास तक, तो बहुत अच्छे अनुभव रहेंगे।
प्रश्न : मैं चंदन हूँ चण्डीगढ से। मुझे एक वर्ष हुआ है राजयोग का अभ्यास करते हुए,लेकिन जैसे ही मैंने मेडिटेशन करना आरम्भ किया,वैसे ही मुझे रात को स्वप्न ज्य़ादा आने लगे हैं। रात को मैं मेडिटेशन करके सोता हूँ तो भी मुझे स्वप्न ज्य़ादा आते हैं। इस स्थिति को मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या है? इस चीज़ को कृपया स्पष्ट करें।
उत्तर : पहले तो हम ये समझें कि स्वप्न हैं क्या? ड्रीम साइकोलॉजी है। और कहते हैं कि ड्रीम के तो हज़ार कारण हैं। हज़ार स्वरूप होते हैं। जिनकी जो इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं उनको मनुष्य स्वप्न में पूर्ण करता है। मान लो किसी को ड्राइविंग सीखने की बहुत इच्छा है, लेकिन सीख नहीं रहा तो वो स्वप्न में गाड़ी चलायेगा ज़रूर। किसी को बंदूक चलाने की इच्छा है और कोई उसको चलाने नहीं देता तो स्वप्न में बंदूक चलायेगा। इसीलिए स्वप्न क्या हैं,हमारे सब्कॉन्शियस माइंड में जो जन्म-जन्म की मेमोरी भरी हुई है वो एक्टिव हो जाती है सब। सब्कॉन्शियस माइंड क्योंकि रात को एक्टिव है इसीलिए जो मेमोरी भरी हुई है, जो हमने सोचा था, देखा था, किया था वो सब इमर्ज होने लगता है।
जैसा आपने बताया कि जब से आपने राजयोग का अभ्यास करना शुरू किया तब से आपको स्वप्न ज्य़ादा आने लगे हैं, तो आपको पता हो तो आपका माइंड अब क्लीन हो रहा है। इसीलिए आपको इसे कुछ समय के लिए चलने देना होगा। और दूसरा एक फिजि़कल बात है,जिन लोगों के पेट खराब रहते हैं उनको भी स्वप्न बहुत आयेंगे क्योंकि वो क्या करता है अन्दर में, कौन-सी चीज़ें एक्टिवेट हो जाती हैं, ये तो कहना बहुत कठिन काम है। डॉक्टर्स भी शायद उसको नहीं समझ पायेंगे। पेट को भी आप ठीक रखें। और रात को कुछ अच्छी क्लासेज सुनते हुए आप सोयें। मेडिटेशन करने से तो सब्कॉन्शियस माइंड और एक्टिव हो जाता है। तो कभी-कभी बैड एनर्जी ज्य़ादा एक्टिव होकर काम करती है। मेडिटेशन तो करना ही चाहिए,लेकिन उसके बाद कुछ अच्छे संकल्प और अगर हो सके तो दस-पंद्रह मिनट कोई अच्छी क्लास सुनकर आप सोयेंगे तो आपको काफी मदद मिल जायेगी।