कौन मुझे कह रहा है… ये मुझे रिअलाइज़ हो…
मुरली में बाबा स्वभाव, संस्कार का परिवर्तन के बारे में कितना कहता, समझाता है। ये बाबा हमारे में देखना चाहता है और वो भी धीरे-धीरे नहीं, अब तक तो हम धीरे-धीरे परिवर्तन करते रहे। लेकिन अब बाबा देखना चाहता है कि जितना तीव्र गति से समय परिवर्तन हो रहा है उतना ही तीव्र गति से हमें भी अपने आपको परिवर्तन करना होगा। तभी समय के साथ-साथ हम उस सम्पूर्णता तक पहुंच सकेंगे और उसके लिये बाबा ने तीन प्रकार के भाग्य हमें दिये हैं, वो सहायक हैं परिवर्तन करने के लिए। बाबा की पालना, शिक्षक के रूप में पढ़ाई और सत्गुरू के रूप में वरदान। बाबा भी चाहता है कि मेरा हर बच्चा समय से पहले तैयार हो जाये। तो कैसे करेंगे?
उसकी कुछ विधियां हमारे मन में जो आयी हैं- तो सबसे पहली बात कि परिवर्तन करने के लिए डीप रिअलाइज़ेशन की आवश्यकता है। हमारे अंदर अब कौन-सी कमज़ोरियां हैं? उसका डीप रिअलाइज़ेशन करना बहुत ज़रूरी है। कमज़ोरी है तभी तो यहाँ हैं, नहीं तो सम्पूर्ण होकर के चले गये होते। इसलिए कोई ये नहीं कह सकता कि मेरे में तो कोई कमज़ोरी नहीं है। अब दूसरा कोई हमें प्वाइंट आउट करता है कि आप में ये कमज़ोरी है तो हम उसको छिपाने की कोशिश करते, नहीं-नहीं कोई बात नहीं है ये ऐसा हो गया ना, इसलिए ऐसा हुआ। हम बहाना दे देंगे, लेकिन अंदर हर व्यक्ति जानता है कि मेरी ये कमज़ोरी है तो जानना काफी नहीं, मानना काफी नहीं लेकिन एक डीप रिअलाइज़ेशन करना। उसके बाद सोचो कि उस कमी के कारण क्या नुकसान हो रहा है। हर पहलू में चाहे सम्बंध-सम्र्पक हो, चाहे अपना पुरूषार्थ हो। हर बात में क्या नुकसान हो रहा है? इसका रिअलाइज़ेशन। उसके बाद बाबा की मुरलियों में हमें कौन-सी युक्तियाँ मिली हुई हैं। उसको चिंतन करते हुए बाहर निकालना। प्रतिदिन की मुरली में कोई-न-कोई बात ऐसी ज़रूर आती है जो स्वभाव-संस्कार को परिवर्तन करने की एक युक्ति बाबा ने ज़रूर बताई हुई होती है और उसके बाद अब हम बाबा की मुरली की प्वाइंट को कैसे अप्लाई करें, वो तरीका सोचो। मेरे पुरूषार्थ में कैसे उसको अप्लाई करूँ ताकि ये कमज़ोरी सदा के लिए समाप्त हो जाये।
जब उसका प्रैक्टिकल एप्लीकेशन होगा तब आप देखेंगे कि विजयी बनना आपके लिए सहज है, लेकिन जो पुरूषार्थ करेगा वो ही विजयी बनेगा ना! बाकी तो ऐसा नहीं जो पुरूषार्थ नहीं करेगा वो भी विजयी बन जायेगा। वो तो नहीं बन सकेगा। तो इसलिए पहला-पहला ये रिअलाइज़ेशन करना बहुत ज़रूरी है।
दूसरी बात कि फिर अगर समझ में न आये कि कैसे अप्लाई करना है, तो फिर ये सोचो कि अगर आज ब्रह्मा बाबा होते तो बाबा क्या करते? बाबा सैम्पल हमारे सामने बहुत सुंदर है और इसलिए अपने जीवन की भेंट बाबा के जीवन से करते हैं। ऐसी परिस्थिति बाबा के सामने आती थी तो बाबा कैसे उसको सुलझाते थे? तो आपका इनर कॉन्शियसनेस(आंतरिक चेतना) जो है, आपको जवाब दे देगा। कहते हैं ना, इनर कॉन्शियस, जो इनरवॉइस है वो कभी आपको गलत नहीं कहेगा। तो इसलिए ये सवाल अपने आप से करते रहो कि अगर बाबा साकार में होते और बाबा के सामने ये बात आती तो बाबा कौन-सी श्रीमत यूज़ करके इसको ऑवर कम कर लेते, उसको क्रॉस कर लेते, विजयी हो जाते। बाबा एक मीटर है हमारे लिये। जिसके साथ मैं अपने आपको कम्पेअर करती जाऊँ। उसके साथ धीरे-धीरे, एक-एक बात, कैसे अप्लाई होती जायेगी और हम विजयी रत्न बन जायेंगे ये आप प्रैक्टिकल अनुभव करेंगे।
तीसरी बात ये सोचो कि कौन मुझे कह रहा है? कोई इंसान नहीं कह रहा है। देखो, महाभारत में एक बहुत अच्छी बात बताई कि भगवान अर्जुन को बार-बार गाइडेंस दे रहे थे लेकिन वो समझ ही नहीं पा रहा था। वो अपना तर्क रख रहा था कि इतने लोग मर जायेंगे फिर क्या होगा, फिर इस दुनिया का क्या होगा? अनेक प्रकार के क्वेश्चन करता रहा लेकिन जब उसको विश्व रूप का दर्शन हुआ, जब निराकार हज़ारों सूर्य से तेजोमय का दर्शन हुआ उसके बाद उसको महसूस हुआ कि अरे! ये कौन मुझे कह रहा है? साक्षात् परमात्मा मुझे कह रहा है और एकदम चेंज आ गया, लडऩे को तैयार हो गया। नष्टोमोहा बन गया सहजता से, रिअलाइज़ेशन हुआ कि जिसको मैं अपना मित्र मान रहा था वो नहीं कह रहा है, लेकिन साक्षात् भगवान मुझे कह रहे हैं। इसी तरह ब्रह्मा बाबा को जब विनाश का साक्षात्कार हुआ तो फिर वैराग्य आया। नई दुनिया का साक्षात्कार कराया तो बाबा ने कहा कि मैं कैसे बना सकता हँू! मैं एक व्यक्ति सारी दुनिया को कैसे बदलूँगा? ये बाबा के अंदर सवाल उठने लगे लेकिन जिस समय परमात्मा का साक्षात्कार हुआ, परमात्मा का अवतरण हुआ क्रक्रनिजानन्द स्वरूपम् शिवोहम् शिवोहम्ञ्जञ्ज कि कराने वाला मैं हँू। तुम निमित्त हो। तब ब्रह्मा बाबा ने अपने आप सहित सब कुछ सरेंडर कर दिया। सम्पूर्ण परिवर्तन, सम्पूर्ण मरजीवा। एकदम नया जन्म हो गया ब्रह्मा बाबा का और तैयार हो गये करने को। इस तरह हमें भी ये महसूस होना चाहिए कि कौन मुझे कहा रहा है!