मुख पृष्ठब्र.कु. अनुजइमोशनल हीलिंग

इमोशनल हीलिंग

डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि हम ट्रीट कर रहे हैं। लेकिन भगवान हमको क्योर करते हैं। इंग्लिश में एक शब्द है ‘हेल्दी’। हेल्दी शब्द में दो शब्द जुड़े हैं, एक ‘हील’ जुड़ा है और एक ‘दाई’। हील का मतलब होता है अपने को पूरी तरह से ठीक करना। दाई माना स्वयं के द्वारा स्वयं को ठीक करना। अब इन शब्दों से हम रोज़ खेलते हैं, सब सुनते हैं लेकिन हमारी इमोशनल हीलिंग का जो क्राइटेरिया है वो पूरी तरह से फुलफिल नहीं होता। हम सब जब कभी परेशान होते हैं, थोड़ा-सा भी दु:खी होते हैं तो मुस्कुराना बंद कर देते हैं, छोड़ देते हैं, और जैसे ही उस समय हमारे सामने कोई ऐसा आये जो बिल्कुल हीलिंग वाला है माना- एक छोटा-सा बच्चा, उदाहरण के लिए। वो मुस्कुराता हुआ आए और आप इतने स्ट्रेस में हों तो भी आपके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जायेगी।
तो मुस्कुराहट क्यों आई, क्योंकि आपने एक ऐसे चेहरे को देखा, एक ऐसे फेस को देखा जो मुस्कुरा रहा है। और उसको देखकर हमारे अंदर ऊर्जा पैदा हो गई। अब इस बात को लेकर ही हम आगे बढ़ते हैं।
हम सभी को हर पल तो कोई ऐसा नहीं मिलता न जो हमें हील कर दे। लेकिन बच्चा हमको हील कैसे कर दे रहा है, सोचने का विषय है। इस दुनिया में हमारी जि़ंदगी हमको मिली थी किसी के काम आने के लिए, लेकिन वक्त सारा बीत रहा है पैसा कमाने के लिए। इन दो लाइनों को अगर आप सुनें, तो आप देखो हमारे स्ट्रेस का मुख्य कारण क्या है, एक है दिन-रात इच्छा कर रहे हैं, इच्छा पाल रहे हैं, डिज़ायर्स हमारी बढ़ रही हैं, तो हम अधिक से अधिक पैसा, धन इक्ठा कर रहे हैं। लेकिन हम यूज़ उतना ही करते हैं जितना हमको ज़रूरत होती है। इसका मतलब अगर इस बात को थोड़ा-सा पलट दें, पलट दें का अर्थ यहां यह है कि मैं अगर नीडफुल लाइफ जीना शुरू करूं, माना जितनी आवश्यकता है उतना मुझे लेना है, तो क्या होगा, हमारा स्ट्रेस लेवल धीरे-धीरे कम हो जायेगा। इस दुनिया में लोग इमोशनल क्यों हो रहे हैं, क्योंकि वो बहुत ज्य़ादा अटैच्ड हैं, अपने से नहीं दूसरों से।
सुबह से शाम तक काम करते हैं तो यही बोलते हैं कि मैं सुबह से लेकर शाम तक आपके लिए काम करने गया। अब ये ज़रूरी भी है। आपने परिवार बनाया है तो उनको आगे बढ़ाने के लिए काम तो करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं ही इनका भाग्यविधाता हूँ, मैं ही इनको हमेशा ये सारी चीज़ें करके दे सकता हूँ, ये सोचना गलत है। क्योंकि जब हम अधिक से अधिक किसी और के लिए कर्म करते हैं तो ये वाला कर्म करने के बाद हमारे अंदर एक भाव और आ जाता है कि ये सभी भी हमारे लिए कुछ करें। माना मेरे इमोशन को, मेरी ऊर्जा को एक शुक्रिया के माध्यम से, थैंक्स के माध्यम से ये कहें कि आप हमारे लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। लेकिन आज मानव अपने में इतना ज्य़ादा मशगूल है, इतना ज्य़ादा खोया हुआ है कि उसमें दूसरे के प्रति ये भाव आना मुश्किल लगता है। वो चाहता है कि मैं इनका थैंक्स करूं, लेकिन वो सोचता है कि इनको तो पता ही है। लेकिन अब हमें इस बात को चेक करना है।
इमोशन को हिंदी में भाव कहते हैं, भावना कहते हैं। तो हमारी भावना किसके लिए है ये चेक करो। हमारी भावना पैसे के लिए है, हमारी भावना रिश्ते के लिए, हमारी भावना वस्तुओं के लिए है या व्यक्ति के लिए है या उसकी खुशी के लिए। तो आप चेक करके पायेंगे कि हमारी ज्य़ादातर भावना जो है वो मनुष्यों के लिए नहीं है। हमारी भावना वस्तु, पैसा या गैज़ेट्स के लिए हो सकती है लेकिन अगर मनुष्यों के लिए भावना सच में होती तो उनके लिए सबकुछ करने के बाद उनको अच्छा फील होता। नहीं तो आज हर घर की कंडीशन आप देख लीजिए, कोई कुछ भी गैज़ेट खरीद कर लाया, कुछ भी कर के लाया, किसी के लिए कुछ कर दिया उसने, मोबाइल दे दिया, कार दे दिया, तो उसको बार-बार कहता रहेगा, इतने पैसे लगे हैं इसमें, थोड़ा इसका ध्यान रखना। ऐसा नहीं कि गिरा देना। तो बेचारा वो उसे यूज़ करेगा तो सही लेकिन हमेशा यही सोचेगा कि इतनी बार ये बोल देते हैं इस चीज़ के लिए माना मेरे से ज्य़ादा इम्पॉर्टेंट इनको धन लग रहा है, वस्तु लग रही है। यहीं से व्यक्ति इमोशनली वीक हो जाता है। कोई भी इसको अपने आप पर डालकर चेक कर सकता है। एक बार में किसी को कहो तो कोई नहीं मानेगा। सभी कहेंगे कि अरे, भावना है तभी तो हम कर रहे हैं। आपकी भावना निश्चित रूप से है तभी आप कर रहे हैं, लेकिन आपकी भावना गैज़ेट देने के बाद गैज़ेट से ज्य़ादा है, जो दिया है उससे ज्य़ादा है, जिसको दिया है, उसको सुख मिल रहा है या नहीं मिल रहा है इससे नहीं है। इसीलिए किसी के लिए इतना कुछ करने के बाद भी व्यक्ति अपने आप को हील नहीं कर पाता या सामने वाला हील नहीं हो पाता। मात्र एक कारण है कि हमने व्यक्ति को इम्पॉर्टेंस देना बंद कर दिया। हम चीज़ों को, बातों को नौकरी को, और-और चीज़ों को इम्पॉर्टेंस देने लगे। आप इस पर फिर से वापस आ जाओ, आपको जो बच्चे का एग्ज़ाम्पल दिया। तो आप पाओगे कि बच्चा आपके लिए कुछ नहीं कर रहा है, कुछ भी नहीं कर रहा है, सिर्फ आपको देखकर मुस्कुरा दे रहा है। फ्री ट्रीटमेंट ऑफ
हीलिंग।
आपकी
हीलिंग हो जाती है। क्योंकि वो मुस्कुराहट को इम्पॉर्टेंस दे रहा है, वो आपको इम्पॉर्टेंस दे रहा है, आपके चेहरे को इम्पॉर्टेंस दे रहा है।
मनुष्य की फितरत है कि मैं खुश रहूँ और वो यही चाहता है। किसी ने इसपर बहुत अच्छी बात भी कही है कि आजकल खामोश रहता है बारिश का पानी सुबह-सुबह, तब मुझे पता चलता है कि कागज़ के नाव चलाने वाले बड़े हो गये। तो आज अगर मुझे फिर से खुद को इमोशनली हील करना है या अपने आप को पूरी तरह से संजीदगी के साथ जीवन जिलाना है तो एक बच्चे के जीवन को अपनाना है। थोड़ी देर पहले नाराज़ हुआ, फिर खुश हो गया अपने आप में ही। दुनिया में हर चीज़ को खिलौने की तरह खेलता है फिर सो जाता है। लेकिन वो खिलौने हमारे लिए आज जी-का-जंजाल बन गये। जो कुछ घर में है वो खिलौना ही तो है, आज नहीं तो कल टूट जायेगा। उसमें इतना भी क्या दिल लगाना कि अपनी और अपनों की खुशी फीकी पड़ जाये!

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