आसन और मुद्रायें भी हैं स्वास्थ्य हेतु सहायक

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कम खर्च कर अधिक पाने की अवस्था में आज सभी मनुष्य हैं, और इनको इसका फल भी अच्छा चाहिए। हम बात कर रहे हैं आसन व मुद्राओं की जो एक रेजगारी की तरह हैं, जो हमें थोड़ा बहुत तो स्वस्थ और सुखी बना ही सकता है। इससे हम सम्पूर्ण रूप से तो स्वस्थ नहीं होंगे लेकिन अपने शरीर को कुछ हद तक अच्छा बनाने में उपयोगी ज़रूर साबित होंगे।

पद्मासन क्रिया शारीरिक, आध्यात्मिक, मानसिक फायदा होता है। आलस्य घटाता है, रूधिराभिसरण अच्छा होता है, वात, कफ का प्रकोप दूर होता है, गर्भाशय और बीजाशय के रोग दूर होते हैं। आध्यात्मिक उन्नति होती है।

वज्रासन क्रिया शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में जबरदस्त फायदा होता है। यह एक ही ऐसा आसन है जो कभी भी किया जा सकता है। भोजन करने के बाद यह आसन तुरन्त करने से कब्ज दूर होती है व खाया-पिया तुरंत हज़म हो जाता है। जांघ, पैर, कमर आदि शरीर के भागों में शक्ति आती है।

श्वसन क्रिया हृदय एवं मानसिक रोगियों के लिए लाभकारी। थकान कम होती है, रक्त का दबाव घटता है, कोलेस्ट्रोल नियमित रहता है। सोने से 15 मिनट पहले ये आसन करने से अच्छी नींद आती है।

मकरासन : डायबिटीज़ एवं कमर दर्द के लिए बहुत लाभकारी है।
शून्य मुद्रा : मध्यमा का अग्रभाग अंगूठे के मूल पर रखें। बाकी सब अंगुलियां सीधी रखें।
लाभ – कान के दर्द, आवाज़ बिगड़ गई हो, शरीर के अंग में कम्पन हो जाए तो यह मुद्रा बहुत ही फायदेकारक साबित होती है।

पृथ्वी मुद्रा : अंगूठे का अग्रभाग और अनामिका के अग्रभाग को जोड़ करके बाकी अंगुलियां सीधी रखें।
लाभ – शारीरिक दुर्बलता दूर होती है, दुबले लोगों के लिए फायदेकारक, स्मरण-शक्ति बढ़ती है, स्फूर्ती बढ़ती है।

ज्ञान मुद्रा : रीत-तर्जनी के अग्रभाग और अंगूठे के अग्रभाग को साथ में रखें। बाकी अंगुलियां सीधी रखें।
लाभ – दिमाग के सभी रोगों में राहत मिलती है, अनिद्रा दूर होती है, मन शांत होता है, क्रोध, घबराहट, बेचैनी, मानसिक तनाव दूर होता है। एकाग्रता, याद्दाश्त, ज्ञान बढ़ता है।

वायु मुद्रा क्रिया – तर्जनी के अग्रभाग को अंगूठे के मूल में रखकर वज्रासन में बैठें।
लाभ – बेचैनी, साइटिका, लकवा, पक्षघात,
हीस्टीरिया, जोड़ों के दर्द,
गैस्टिक,
स्पॉन्डिलाइटिस, पोलियो जैसे रोगों में रामबाण इलाज।

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