लार्क चिडिय़ा

एक बार एक लार्क चिडिय़ा जंगल में गाना गा रही थी। तभी एक किसान उसके पास से कीड़ों से भरा एक संदूक लेकर गुज़रा। लार्क चिडिय़ा ने उसे रोक कर पूछा, तुम्हारे संदूक में क्या है और तुम कहाँ जा रहे हो?
किसान ने जवाब दिया कि उस संदूक में कीड़े हैं, वो बाज़ार में उन कीड़ों के बदले पंख खरीदने जा रहा है। लार्क ने कहा, पंख तो मेरे पास भी हैं। मैं अपना एक पंख तोड़ कर तुम्हें दे दूँगी और उसके बदले में आप मुझे कीड़े दीजिए। इससे मुझे कीड़े नहीं तलाशने पड़ेंगे।
किसान ने लार्क चिडिय़ा को कीड़े दिए और लार्क ने उसके बदले में उसे अपना एक पंख तोड़ कर दे दिया। उसके बाद रोज़ यही सिलसिला चलता रहा और एक ऐसा दिन भी आया, जब लार्क के पास देने के लिए कोई पंख नहीं बचा था।
अब वह उड़ कर कीड़े तलाशने लायक नहीं रह गई, और अब वो भद्दी दिखने लगी और उसने गाना छोड़ दिया और फिर जल्दी ही वह मर गई।
सीख:- यही बात हमारी जि़ंदगी के लिए भी है। कई बार हमें जो रास्ता आसान लगता है, वही बाद में मुश्किल साबित होता है।

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