मन की बातें

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प्रश्न : मैं इलाहाबाद से प्रहलाद कटारिया हूँ। राजयोग तो आत्म शुद्धि के लिए है, आत्मा की शक्तियों व गुणों के विकास के लिए है। क्या इसका शारीरिक बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए?
उत्तर: बिल्कुल किया जाना चाहिए क्योंकि जब आत्म शुद्धि हो जायेगी तो शरीर की शुद्धि आपेही हो जाती है। सारी अशुद्धि तो आत्मा में ही आ गई ना, मन में आ गई। योग में आप विश्वास करते ही हैं कि योग आत्म शुद्धि के लिए है तो जैसी आत्मा वैसा शरीर उसको अवश्य मिलेगा। रही बात ये करना चाहिए या नहीं करना चााहिए देखिए हम सब तरह से अच्छे हों और हमारा हेल्थ अच्छा न हो। हम किसी भी तरह की बीमारियों से ग्रस्त हों। तो जीवन जीने का आनंद तो नहीं आयेगा ना! तो मन की शुद्धि, बुद्धि की स्वच्छता और बॉडी का भी हेल्दी होना तीनों ही चीज़ें जब मिल जाती हैं तो हम अपने जीवन की यात्रा का आनंद लेते हैं, समस्यायें भी कम आती हैं इसलिए राजयोग भले ही आत्मिक शुद्धि के लिए है, आत्मा को पॉवरफुल बनाने के लिए है लेकिन देह पर भी पूरा उसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए ईश्वरीय महावाक्यों में हम सुन चुके हैं कि कोई भी बीमारी हो उसे तुम राजयोग से ठीक करो। अगर तुम योगयुक्त रहकर बहुत अच्छे चिंतन में रहोगे, प्युरिटी को अच्छा अपनाओगे तो तुम एवरहेल्दी बन जाओगे। और उस हेल्थ का अनुभव हमें यहीं होने लगेगा।

प्रश्न : मेरा नाम डॉ. नारायण खत्री है। यदि राजयोग से ही सारी बीमारियां ठीक हो सकती हैं तो डॉक्टर्स और हॉस्पिटल की क्या ज़रूरत है? आप लोगों में कहीं अन्धश्रद्धा तो नहीं पैदा कर रहे हैं?
उत्तर : आपका सोचना भी ठीक है। आपको लगता होगा कि फिर हम क्या करेंगे, सब काम राजयोग से हो जायेगा तो! लेकिन सब काम एक ही थैरेपी से नहीं होगा, मेडिकल में भी बहुत सारी थैरेपी चल रही हैं। नेचर क्योर है, एलोपैथी है, होम्योपैथी भी है, आयुर्वेद भी है, प्राणायाम से भी लोग बीमारियों को ठीक करा रहे। तो फिजियोथैरेपी भी चल रही है। तो ये तो नहीं कहा जायेगा ना कि ये थैरेपी है तो इसका कोई महत्व नहीं है। सभी थैरेपी का बहुत ज्य़ादा महत्त्व है। इसलिए राजयोग को स्प्रीचुअल थैरेपी कह दिया जाये तो मेडिकल जो डॉक्टर्स हैं वो शरीर का इलाज करें और राजयोग वाले मन का इलाज करें दोनों का मिलन हो जाये तो हेल्दी लाइफ हो जायेगी इसलिए दोनों की परम आवश्यकता है। हॉस्पिटल की भी ज़रूरत है। कुछ सर्जरी ऐसी होती हैं जिसको राजयोग से ठीक नहीं किया जा सकता। सर्जरी की आवश्यकता है उसको करना ही पड़ेगा और कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिसमें मेडिसिन की बहुत आवश्यकता होती है। हम ये भी राय नहीं देंगे कि आप छोड़ दो। और केवल राजयोग का अभ्यास करो। राजयोग केवल सुर्पोट देने वाली चीज़ है। जिसका जितना मन खुश होगा उतना वो दवाईयां काम करेंगी। नहीं तो क्या हो रहा है लोग दवाईयां खाते जा रहे हैं असर नहीं हो रहा है तो कहीं न कहीं मन में कोई चूक है। तो मेडिकल साइंस और स्प्रीचुअल साइंस दोनों जब मिल जायेंगी तो वास्तव में मनुष्य पूर्णत: हेल्दी हो जायेगा। लेकिन आज डॉक्टर्स बढ़ गये तो रोग भी बहुत बढ़ गये। तो कहीं न कहीं हमारे मेडिकल साइंटिस्ट को विचार करना चाहिए कि कुछ मिसिंग प्वाइंट है ज़रूर। मेडिकल साइंस इतना ज़ोरदार काम कर रही है नॉ डाउट। बहुत सहयोग मिल रहा है। मुझे पर्सनली भी बहुत सहयोग हुआ है लेकिन डॉक्टर्स बढ रहे हैं, मेडिकल साइंस बढ़ रही है, हॉस्पिटल बढ़ रहे हैं और बीमारियां बढ़ रही हैं तो कुछ तो कारण होगा ना! कारण यही है कि मनुष्य कुछ पाप कर्म कर रहा है। उसके मनोविकार बढ़ रहे हैं। उसके मन में दु:ख बढ़ रहा है, टेन्शन बढ़ रही है। घरों में प्रेम और खुशी का माहौल नहीं है। हर व्यक्ति को क्रोध आ रहा है। टेन्शन में वो सोता है, टेन्शन में उठता है। इनसे बीमारियां बढ़ रही हैं। खान-पान से बीमारियां बढ़ रही हैं। तो स्प्रीचुअलिटी इनको ठीक करती है। तो दोनों की बहुत बड़ी मदद होगी। राजयोग का अभ्यास करें और फिर मेडिसिन दे दें तो फटाफट ठीक हो जायेेंगे।

प्रश्न : मैं मुम्बई से मोनिका हूँ। मैं बारहवीं कक्षा की स्टूडेंट हूँ। मेडिकल एंट्रेंस एग्ज़ाम की तैयारी कर रही हूँ। रात को दस बजे सोऊं, ग्यारह बजे सोऊं या 12 बजे लेकिन सुबह 7 बजे से पहले उठ नहीं पाती। मुझे सुबह जल्दी उठकर पढऩा भी होता है। क्योंकि मुझे तैयारी डबल करनी है तो इसके लिए मुझे क्या करना है?
उत्तर : मैं आपको कहूँगा कि स्टूडेंट लाइफ में जब आपको डबल स्टडी करनी पड़ रही है बारहवीं में भी आपको बहुत अच्छे अंक लाने हैं। मेडिकल एंट्रेंस एग्ज़ाम में भी आपको बिल्कुल क्लीयर करना है। इसमें ब्रेन का यूज़ होता है ज्य़ादा, तो इसमें आपको नींद को कम करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहेगा। क्योंकि ब्रेन की शक्तियां बहुत कम हो जाती हैं। ब्रेन आपको सुला देता है। अगर आप न सोयें चाय पी कर जागें तो इससे आपके ब्रेन पर इफेक्ट आयेगा। हमारी कम से कम छह घंटे नींद तो परम आवश्यक है। परंतु इस उम्र में 7 घंटे नींद की मनुष्य को ज़रूरत होती है। पढ़ाई ज़रूरी है लेकिन पढ़ाई के साथ-साथ ब्रेन को एनर्जी देना भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए राइट टाइम पर भोजन लेना और हो सके तो कुछ ड्राई फ्रूट्स भी लेना। ताकि ब्रेन को एनर्जी मिले। आपको एक छोटा-सा काम और करना है एक घंटे में केवल एक बार आप एक मिनट आत्मा पर कंसन्ट्रेट कर लें। मैं आत्मा प्वांइट ऑफ एनर्जी हूँ, मैं पीसफुल हूँ, मैं पॉवरफुल हूँ और मुझसे निकली हुई एनर्जी ब्रेन में पहुंच रही है। एक-दो मिनट बिल्कुल रिलेक्स कर दें अपने को। जैसे वायब्रेशन ब्रेन को जा रहे हों। ये दो मिनट की प्रैक्टिस एक तो आपको रिलेक्स करेगी और जो कुछ आपने याद किया वो सेव हो जायेगा, छप जायेगा। और नींद के बारे में ज्य़ादा सोचने की ज़रूरत नहीं है।

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