प्रश्न : मैं अमलनेर से करुणा जैन हूँ। मेरी सात साल की बेटी अपने भाई और पिता के साथ तो अच्छे से रहती है लेकिन मुझसे बहुत बुरा व्यवहार करती है, मुझे जैसे खाने को दौड़ती है। ऐसे में मैं क्या करूँ? उत्तर : ये प्रश्न कुछ परिवारों में समस्यायें बन कर आ रहे हैं। किसी परिवार में हम पाँच-सात सदस्य इक_े हुए हैं। पहले तो कोई किसी से परिचित नहीं था भाई कहीं था, तो बहन कहीं। दोनों की शादी हुई, परिचय हुआ मेल हुआ, बच्चे के बारे में किसी को कोई ज्ञान नहीं था। बच्चे आये, जन्म लिया। तो ये जो हमारे परिवार बन रहे हैं इसमें हमें ये बात, इस सत्य को जानना ही चाहिए, मानना ही चाहिए कि जन्म-जन्म के जिन आत्माओं से कर्मों के गहन सम्बन्ध हैं वो ही हमारे परिवार में आ रहे हैं। उनके संग पुण्य कर्म भी हुए हैं और कुछ बुरे कर्म भी, पाप कर्म भी। जैसा कि आपने बताया कि आपकी बेटी का व्यवहार आपके साथ ऐसा है तो इसका बिल्कुल सीधा-सा कारण है कि आपने इस बच्ची की आत्मा को बहुत सताया है, कष्ट दिया है, बुरा व्यवहार किया है, उसको हर्ट किया है बहुत ज्य़ादा, तो उसके मन में क्रोध और जो बदले की भावना भरी हुई है वो अब यहाँ प्रैक्टिकल में कंटिन्यू है और कार्य कर रही है। इसीलिए ये बहुत ज़रूरी है कि हम किसी को हर्ट ना करें। हम किसी का दिल ना दुखायें, हम किसी को परेशान न करें। जैसे किसी ने किसी का मर्डर कर दिया और कोर्ट से ले देके वो बरी कर दिया। अब उसे तो पता है ना कि उसने मर्डर किया था। बरी तो वो हो गया, उसके भी सब्कॉन्शियस माइंड में भरा हुआ है कि मर्डर तो तुमने ही किया था। किसी भी तरह से तुम बच निकले हो। तो उसको उसकी सज़ा मिलेगी ही। वो इस जन्म में मिले या अगले जन्म में। आपका यही कर्मों का सम्बन्ध है। इसका एक ही तरीका है आप राजयोग की थोड़ी प्रैक्टिस करें। और अपनी बेटी से आप सवेरे उठते ही मन ही मन क्षमा-याचना करें। कम से कम सात दिन तक। आपको तरीका यही अपनाना है कि जब आप सुबह उठें तो थोड़ा भगवान को याद करें, थोड़ा कर्मों की गति को भी याद करें और फिर इस गुड फीलिंग में आ जायें कि मैं भगवान की संतान हूँ, मैं महान हूँ, इसलिए महान आत्मा को क्षमा-याचना करने में लज्जा नहीं। तो बिल्कुल सच्चे मन से स्वीकार करते हुए अपनी बच्ची को सामने इमजऱ् करें, स्वीकार करें कि हे आत्मा मैंने पूर्वजन्मों में तुमको ज़रूर कष्ट दिया है, मैं तुमको सच्चे मन से हाथ जोड़कर क्षमा-याचना करती हूँ। अगर आप सच्चे मन से क्षमा-याचना करेंगी, तीन बार कर लें रोज़ सवेरे-सवेरे ही, तो सात दिन में ही उसका चित्त शान्त हो जायेगा, आपकी बेटी शांत हो जायेगी। और उसका व्यवहार आपके प्रति भी वैसा ही हो जायेगा जैसा कि भाई और पिता के प्रति है।
प्रश्न : मैं दुर्ग से राम नारायण मिश्र हूँ। हमारे घर में बहुत अच्छा बिज़नेस है। हमारे पड़ोसियों ने शायद हमारे ऊपर जादू टोना कर दिया है। ताकि हम डाउन हो जायें। तो हम इससे कैसे बचें? उत्तर : आजकल धन का लोभ, इच्छाएं, स्वार्थ बहुत बढ़ गया है। तो तांत्रिकों को कोई लेना-देना नहीं कि कौन परेशान होगा, उन्हों को तो पैसा मिला, उन्होंने तो कहा कि बस हमें तो दस हज़ार रूपए दे दो तो हम आपका काम कर देते हैं। कई-कई तो लालची होते हैं कि व्यक्ति आया है, बोलते पचास हज़ार दे दो तो हम आपका सारा काम कर देंगे। उसने तो पचास हज़ार ले लिए और तांत्रिक प्रयोग करा दिया। दूसरा व्यक्ति परेशान हो रहा है, उसका सबकुछ बिगड़ गया है, उसका बिज़नेस नष्ट हो गया है। तो ये सब केस हो रहे हैं। लेकिन तांत्रिकों को मैं एक बात बहुत प्यार से कहूँगा कि कर्म की गति के अनुसार इस पाप का फल इनको भी भुगतना पड़ेगा। मैं ऐसे कई तांत्रिकों को देख चुका हूँ जिनके दो-दो जवान बच्चे मर गए। और वो भी एक-एक हफ्ते के अंतर से, बिना कारण से। माना कोई रोग नहीं हुआ। तब उनका जीवन खाली हो गया, कोई नहीं बचा परिवार में। तो तांत्रिकों को भी क्योंकि वो भी तो मनुष्य हैं, उनके पास भी विवेक है अपने सद्विवेक का प्रयोग करके अपनी तंत्र विद्या को जो वेदों से ही निकली हुई है, पवित्र विद्या है, उसका मिसयूज़ पापकर्म में कभी नहीं करना चाहिए। मैं आपको ये कहूँगा दो काम आपको करने होंगे, एक तो रोज़ सवेरे विशेष रूप से सवेरे और सोने से पहले परिवार के जितने भी सदस्य हैं शांत में बैठेंगे और 108 बार याद करेंगे मैं भगवान की संतान हूँ, मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, इसमें 15 से 20 मिनट लगायें। इससे क्या होगा आपके अंग-अंग से शक्तियों की किरणें पूरे घर में फैलेंगी। घर में ही करना है, इससे उनमें भी शक्ति आयेगी और पूरे घर के वातावरण में भी वो शक्तियां फैल जायेंगी और ये जो तंत्र-मंत्र का इफेक्ट है वो नष्ट हो जायेगा। क्योंकि तंत्र-मंत्र की शक्ति इतनी शक्तिशाली नहीं होती जो सबकुछ नष्ट कर दे। कहीं-कहीं वो करती भी है। लेकिन मनुष्य को अपने मनोबल को डाउन नहीं करना चाहिए। आप और आपका परिवार दृढ़ संकल्प करे कि हम सर्वशक्तिवान के बच्चे हैं। मास्टर सर्वशक्तिवान हैं। हम इस तंत्र-मंत्र से अधिक पॉवरफुल हैं। इनका प्रभाव हम पर होगा ही नहीं। हमारा बिज़नेस बिल्कुल अच्छा चलेगा। ये जो भय होता है कि हमारे ऊपर किसी ने कुछ करा दिया, हमारा तो बिज़नेस बिल्कुल डाउन हो गया, अब हम क्या करें तो निगेटिव एनर्जी पॉवरफुल होने लगेगी। अपने घर में नौ दिन तक गाय के घी का एक अखण्ड दीपक जला दें। मान लो कहीं ऐसा हो भी गया है तो गाय के घी की जो लौ निकलती है और उससे जो वेव्स निकलती हैं वो भी निगेटिव एनर्जी को नष्ट कर देती हैं। हमें पूर्ण विश्वास है और मिश्र जी भी विश्वास करें कि ये खत्म होने वाली है, ये इतनी पॉवरफुल नहीं होती कि किसी को भी चाहे नष्ट कर दें। आप इसको हरा दें। आप ये समाधान करेंगे तो बिल्कुल ठीक हो जायेगा।
प्रश्न : मऊ से रमेश अग्रवाल जी। हम दोनों पति-पत्नी काम काजी हैं। मैं बैंक में हूँ और मेरी पत्नी टीचर है। दोनों ज्य़ादा समय घर से बाहर रहते हैं इसलिए बच्चों को ज्य़ादा समय नहीं दे पाते। हमें भी ये बात खटकती है लेकिन हम भी मजबूर हैं। तो इस समस्या का क्या समाधान हो सकता है? उत्तर : अग्रवाल जी से मैं ये बात कहूँगा बच्चे भी सवेरे उठकर स्कूल चले जाते हैं तो वो तो सात बजे ही चले जायेंगे और आप लोग तो 9-9:30 बजे जायेंगे लेकिन या तो कुछ ऐसा कर लें जो माता जी हैं या तो वो थोड़ा पार्ट टाइम जॉब लें बच्चों को समय देना तो बहुत आवश्यक है। और अगर ऐसा नहीं हो सकता तो अपने घर में शाम को एक बार ये फैमिली कॉन्फ्रेंस अवश्य करें। सब आपस में बैठें मिलें, भोजन का समय है सब एकसाथ बैठकर खायें। एक दूसरे का हाल-चाल पूछें, माँ-बाप उनकी तबियत का, उनकी पढ़ाई का, उनके फ्रैंड्स का उनका सब हाल चाल उनके साथ आधा घंटा या एक घंटा ऐसा व्यतीत करें कि उनको ऐसा लगे कि बहुत अच्छा हो गया, फैमिली लाइफ की उनको फीलिंग होने लगे। नहीं तो क्या होगा, माँ-बाप भी आये थके-थकाये, बहन जी ने खाना बनाया बच्चों ने होमवर्क किया, खाये पीये और सो गए। इससे बच्चों के चरित्र पर बहुत बुरा असर पड़ता है। और जब छुट्टी हो तो छुट्टी वाले दिन काम से टाइम निकालके फैमिली लाइफ को एन्जॉय करने का एक प्रोग्राम बनाना चाहिए। और साल में दो बार ऐसे अपने बच्चों को आउटिंग पर भी ले जाना चाहिए। तीन दिन की, पाँच दिन की छुट्टी लेकर ताकि मनोरंजन हो जाये, पिकनिक हो जाये। ताकि बच्चों कोएक फैमिलियर फीलिंग हो, उन्हें न्यारा न्यारापन न लगे। क्योंकि ये वेस्टर्न कल्चर की तरह भारत में भी सारे कामकाजी हो गए हैं। ऐसे सब मैनेज करने से सब अच्छा हो जायेगा।
प्रश्न : मैसूर से शिला जी। मेरा जो बेटा है वो मानसिक रूप से इतना विकसित नहीं है। इसलिए पढ़ाई में जैसे दूसरे बच्चे अच्छे हैं, वैसा वो परफोम नहीं कर पाता है। उसे मैं कैसे हैंडल करूँ और उसका भविष्य कैसा हो उसके लिए क्या किया जाये? उत्तर : ये प्रश्न भी, ये समस्या भी कई परिवारों में है। कि अगर चार बच्चे हैं तो दो बहुत इन्टेलिजेंट हैं तो एक ऐसा भी निकलता है जिसे थोड़ी कम बुद्धि है। तो मैं इस बहन को कहूँगा कि आप थोड़ा-सा राजयोग सीखें। और थोड़ा सा समय दें उस बच्चे के लिए। उसके लिए तीन विधि बता देता हूँ, जिसका प्रयोग करने से आप बच्चे को मदद कर सकती हैं। अभी तो वो बच्चा है और उसे तो अभी जीवन की एक लम्बी यात्रा तय करनी है। बात केवल उसकी एजुकेशन की नहीं है, उसकी शादी होगी, वो अपना कुछ काम धंधा करेगा, उसको अपना जीवन चलाना है। तो उसकी बुद्धि का विकास तो अच्छी तरह से होना ही चाहिए। तो बच्चे को एक चीज़ करायेंगी माता जी, जैसे ही उन्हें उठायें उन्हें कहें कि तीन बार बोलो मैं बुद्धिवान हूँ। मैं बुद्धिवान हूँ, बच्चा चाहे आँख मलते हुए बोले, पर धीरे-धीरे ऐसा कर दें कि बच्चा बिल्कुल विद कॉन्फिडेंस बहुत अच्छी खुशी के साथ ये बोलने लगे कि मैं बुद्धिमान हूँ। तो सवेरे से टाइम क्या होता है जब बच्चे उठें तो उनका सब्कॉन्शियस माइंड एक्टिव होता है। तो जैसे ही उन्होंने ये संकल्प खुशी से किया कि मैं बुद्धिमान हूँ। सब्कॉन्शियस माइंड ने इसे स्वीकार किया। और सब्कॉन्शियस माइंड उनकी बुद्धि के लॉक खोलने लगेगा। तो ये काम सोने से पहले भी करा दे तीन बार और जगते हुए भी करा दें तीन बार। इसमें बहुत फायदा होगा, धीरे-धीरे बुद्धि का विकास होने लगेगा। एक दूसरा तरीका है देखिए इसके लिए राजयोग अवश्य सीखना होगा। ताकि आप अपने बच्चे को जब पानी पिलायें, दूध पिलायें, भोजन खिलायें ये तीनों चीज़ें मैं जोड़कर एक ही रूप में बता रहा हूँ। तो भोजन को दृष्टि देकर, पानी को दृष्टि देकर, दूध को दृष्टि देते हुए सात बार संकल्प करें मैं परम पवित्र आत्मा हूँ और फिर ये संकल्प कर दें कि इस पानी को पीने से, इस दूध को पीने से, इस बच्चे की बुद्धि का विकास हो, बिल्कुल दूध-पानी में ये वायब्रेशन समा जायेंगे और वो वही काम करेंगे जो आपने संकल्प दिया। ये बहुत बड़ी दवा हो जायेगी। तीसरी एक चीज़ मैं सीखाऊंगा। देखिए ये एक बहुत अच्छी थैरेपी है- हमें उस बच्चे के ब्रेन को हाथों से एनर्जी देनी है। अब उसका तरीका ये है हाथ मलेंगे ऐसे और तीन बार संकल्प करेंगे मैं परम पवित्र आत्मा हूँ, मैं परम पवित्र आत्मा हूँ, अब देखिए अपने हाथ को ऐसे छोड़ दीजिए लूज़ और देखो फील करो एनर्जी, अट्रेक्शन। ये एनर्जी आ गई हाथों में। जो संकल्प हमने किया था ना कि मैं परम पवित्र आत्मा हूँ वो पवित्र एनर्जी हाथों से निकलने लगेगी। फिर अपने ये दोनों हाथ बच्चे के सिर पर रख दें। आँखें बंद कर बच्चा। और एक मिनट तक रख कर रखें। ये प्युअर एनर्जी ब्रेन को जायेगी और संकल्प करें कि ये एनर्जी इसके ब्रेन का विकास करे। ऐसा पाँच बार कर दें। पाँच बार सुबह कर दें और पाँच बार रात को कर दें। तो ब्रेन को प्युअर एनर्जी जाने से ब्रेन के कई ब्लॉकेज खुल जायेंगे और ब्रेन का विकास हो जायेगा। तो ये तीन विधि अपनायेंगे तो निश्चित ही ये समस्या समाप्त जायेगी।
प्रश्न : पुणे से सोनल कुलकर्णी। मैं इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हूँ लेकिन मुझे कुछ भी याद नहीं रहताञ कॉलेज में जब प्रोफेसर पढ़ा रहे होते हैं तब भी मैं अपने आप को एकाग्र नहीं कर पाती तो इससे मुझे बहुत टेंशन रहता है। क्योंकि मैं पढ़ तो रही हूँ लेकिन याद नहीं हो रहा है, मुझे क्या करना चाहिए? उत्तर : अपने को चेक करें मन कहाँ भटक रहा है। ज़रूर विचलित किया है आपने। तो एकाग्र नहीं हो रहा है। सवेरे से ही आपके मन पर किसी और चीज़ का इफेक्ट है। और आजकल जो इफेक्ट है वो ये ही होता है किसी को किसी से प्यार हो गया। उस प्यार में कड़वाहट चल रही है। उस प्यार, उस रिलेशनशिप में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है। लड़के ने कुछ बुरा बोल दिया है, आपने कुछ बुरा बोल दिया है। इसका इफेक्ट ऊपर आता है। इसलिए ये जो अफेयर्स हैं ये मनुष्य के मन को विचलित कर रहे हैं। स्टूडेंट लाइफ में मनुष्य को प्युअर रहना इस सम्बंधों को थोड़े समय के लिए पॉस्पॉन्ड कर देना कि पढ़ाई पूरी हो जाये, हम अच्छी जॉब में आ जायें। फिर हम इन सब सम्बन्धों को जोड़ेंगे, निभायेंगे। तो ये जो अफेयर्स हैं यही कारण बनते हैं इन बच्चियों के मन को भटकाने के लिए। और इनको इसका आभास नहीं होता। जब वो नाता जोड़ती हैं वो तो बरबस किसी की ओर खींची चली जाती हैं। और वहाँ जब उनको धोखा मिलता है, अपनापन नहीं मिलता, जो एक्सपेक्टेशन्स रखते थे उन पर वो व्यक्ति खरा नहीं उतरता। तो इनका मन बहुत विचलित हो जाता है। मनुष्य जिस फील्ड पर कार्य कर रहा है उसे उसी पर पूरा कन्संटे्रशन डालना चाहिए। अगर वो काम एक जगह कर रहा है और मन दूसरी तरफ भटक रहा है तो उसकी बुद्धि वहाँ स्थिर होगी नहीं। इसलिए आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए – एक छोटी सी विधि मैं आपके सामने रख रहा हूँ जिससे आप दोनों ओर से ठीक हो सकती हैं। मैं आत्मा हूँ, आत्मा इन दोनों भृकुटियों के बीच रहती हैं। आत्मा बहुत सूक्ष्म प्वांइट ऑफ एनर्जी है। ये देह हमारा अलग है, और मैं आत्मा अलग हूँ। देखिए ये देह तो तब भी होता है जब मनुष्य की मृत्यु होती है। लेकिन असली सत्ता चेतन शक्ति आत्मा है जो उससे निकल जाती है। मैं आत्मा हूँ प्वांइट ऑफ एनर्जी हूँ। अपने पर थोड़ा कन्संटे्रट करें। ये 10 सेकण्ड से प्रारम्भ करें और 1 मिनट तक ले चलें। और ऐसा दिन में पाँच बार कर लें। सवेरे उठते ही कॉलेज जाने से पहले ही 2-3 बार कर लें। मैं आत्मा यहाँ बैठी हूँ। चाहे आँख बंद करके करें, चाहे खोलकर करें। कोई बात नहीं। आत्मा के स्वरूप को देखें और संकल्प दें मैं आत्मा पीसफुल हूँ, मैं आत्मा प्युअर हूँ। बस ये संकल्प। ऐसा सात बार रिपीट कर लें। आत्मा को विज़ुअलाइज़ करें, सात बार ये संकल्प रिपीट करें। मैं आत्मा पीसफुल हूँ, मैं आत्मा प्युअर हूँ। तो धीरे धीरे दूसरी चीज़ का निगेटिव फोर्स जो आपके ऊपर आ गया है वो हट जायेगा। और मन एकाग्र होने से बुद्धि पढ़ाई में लगने लगेगी और आपकी समस्या समाप्त हो जायेगी। साथ ही मैं ये भी जोड़ दूं कभी कभी स्टूडेंट के साथ ऐसा भी हो रहा है कि उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि उनका मन भटक क्यों रहा है। क्यों उनकी बुद्धि एकाग्र नहीं हो रही। मैं स्टूडेंट्स से पूछता हूँ टीवी कितने घंटा देखते हो? कई बताते हैं बिल्कुल नहीं। नेट पर कहा हम तो खोलते ही नहीं। इसमें जैसे हम चर्चा करते आ रहे हैं पूर्व जन्मों की और हमारे चारों ओर के वातावरण की। हमारे चारों ओर निगेटिविटी बहुत है। ऐसा समझ लीजिए चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली हुई है। तो जिस मनुष्य का मन, लड़के और लड़की का मन निगेटिव हो जाये एक बार तो वो बाहर की निगेटिव एनर्जी को अटे्रक्ट करने लगता है। इसलिए भी बहुतों का मन भटकता है। तो इससे बचने के लिए ये अभ्यास जो हमने सिखाया पॉजि़टिव थॉट बताये, मैं पीसफुल आत्मा हूँ, और प्युअर हूँ। इससे आप सेफ हो जायेंगे बहुत जल्दी, और दो-चार दिन में ही। किसी किसी का एक दिन में ही हो जाता है और किसी किसी का तीन दिन में। बुद्धि एकाग्र हो जायेगी और फिर से आपको पढ़ाई में इन्ट्रेस्ट पैदा हो जायेगा और आप पढ़ाई को एन्जॉय करेंगे और समस्या समाप्त।