कई अश्व-शक्ति के बराबर एक संकल्प-शक्ति

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जब कभी एक राजा राज्य में एक फरमान जारी करता तो पूरी प्रजा उस फरमान को अमल में लाती ही लाती है। अगर राजा न्यायप्रिय है, प्रजा का हितैषी है, सबके हित के बारे में सोचता है तो उसका फरमान सबके सिरमाथे। और राजा वही शक्तिशाली भी माना जाता है जो कोई बात कहे और प्रजा उसका विरोध न करे। तो ये कौन-सी एक शक्ति है, बस शब्द ही तो बोला या शब्द द्वारा फरमान जारी किया, लेकिन सबने उसको माना। हम सब भी कौन-सी बात एक बार में मान लेते हैं जिसमें हमारा हित हो, हमारे लिए फायदेमंद हो, लेकिन फायदा और हित देखने की भी तो ताकत चाहिए। तो एक राजा बहुत सोच-समझकर एक संकल्प को आगाज़ देता था और वो अंजाम तक तब पहुंचता था जब प्रजा उसमें अपने हित को देखती थी। हम सभी स्थूल राजा की बात तो नहीं कर रहे हैं यहां पर, हम यहां अपने मन और बुद्धि के राजापन की बात कर रहे हैं। आत्मा राजा है, मन-बुद्धि उसके साथ होते हैं। हम जब कोई भी ऐसा संकल्प करते हैं, तो अगर बुद्धि ने थोड़ा बहुत भी विरोध किया या मन ने थोड़ी बहुत भी हलचल पैदा की तो वो संकल्प ऐसा नहीं है कि कार्य नहीं करेगा, करेगा, लेकिन उससे हमें उतना फायदा नहीं होगा जितना होना चाहिए। जैसे हज़ारों प्रजा है, अब कोई उसमें विरोध करता है तो क्या उसके विरोध के कारण फरमान बदल जाता है! फरमान तो वही रहता है और जिसको लाभ मिलना है उसको मिलता भी है। बाद में वो लोग भी मान जाते हैं जो विरोध कर रहे होते हैं। ऐसे ही मन-बुद्धि अगर किसी बात का विरोध कर भी रही है लेकिन उसके हित-अहित को जाने बिना कर रही है तो आत्मा राजा को कोई फर्क नहीं पड़ता। हमने अगर एक संकल्प कर दिया तो वो बहुत तीव्रता से कार्य करता है और वो होकर रहेगा। क्योंकि जैसे कोई पत्थर पानी में पड़ा तो वो तरंग तो उत्पन्न करेगा ही करेगा। ऐसे ही हमने अगर कोई भी संकल्प किया चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक हो, वो संकल्प कई अश्व के बराबर तीव्रता से भागता है और वो फलीभूत भी होता ही है। इसलिए मन में एक बार भी पहले तो ऐसा संकल्प ही न आये जो हमारे हित में न हो, अगर आ भी गया तो उसे उसी समय परिवर्तन करने की शक्ति चाहिए। नहीं तो नुकसान हो सकता है। इसीलिए कई बार जब हम खाली बैठे होते हैं और किसी बात को लेकर बार-बार सोचते हैं तो वो तरंगें चारों तरफ फैल रही होती हैं और धीरे-धीरे वो पूरे घर में, पूरे वातावरण में और कई हज़ार किलोमीटर तक तरंगें वायब्रेशन के रूप में फैल जाती हैं। उससे हम तो प्रभावित होते ही हैं, पूरी प्रजा भी प्रभावित होती है। इतनी शक्तिशाली स्थिति वाले हम लोग हैं, इसलिए हर दिन आप ये मानकर चलो कि आप एक क्वांटा हैं, क्वांटा अर्थात् एक ऊर्जा का बंडल। जो इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन जैसे अति सूक्ष्म कणों के साथ हर पल सभी को कुछ न कुछ दे रहा है। आप जो भी सोच रहे हैं, जो बोल रहे हैं, जो देख रहे हैं, जो कार्य कर रहे हैं, सबसे ये छोटे-छोटे कण के रूप में आपकी ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। आप जितना ज्य़ादा सकारात्मक हैं, जितना ज्य़ादा श्रेष्ठता के साथ जीवन जी रहे हैं, उतनी ऊर्जा पूरे विश्व में आपसे बढ़ती जा रही है। तो कई अश्व-शक्ति के बराबर एक छोटा-सा संकल्प हमारा होता है। तो हम इससे क्यों न डरें और उन संकल्पों को न करें जिससे सबसे पहले हमारा शरीर प्रभावित हो, उसके बाद हमारा मन-बुद्धि कमज़ोर हो और आसपास का वातावरण भारी हो। इसलिए इन सब बातों का ध्यान रखते हुए संकल्प शक्ति को रचनात्मकता में यूज़ करें, अपने मन-बुद्धि की उन्नति में यूज़ करें, बार-बार इसे याद दिलायें कि मैं जो सोच रहा हूँ वो हो रहा है, इसलिए मैं ऐसा ही सोचूं जो सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक हो।

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