आबू… विश्व के लिए लाइट हाउस

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विश्व में एक ओर हाहाकार है और दूसरी ओर परमात्मा का दिव्य कर्तव्य चल रहा है। परमात्मा हमें नई दुनिया जहाँ सुख, शांति व समृद्धि का वर्सा देकर नये युग की ओर ले जा रहा है। ये समझना और अपने भाग्य की लकीर को बढ़ाना यही बुद्धिमानी है

बाबा ने बहुत पहले से कह दिया था कि जब अन्त आयेगा, प्रकृति के पाँचों तत्व वार करेंगे, पाँचों विकार वार करेंगे, और भटकती हुई आत्माओं के भी बहुत वार होंगे। प्रकोप होंगे, वो भ्रमित करेंगे लोगों को। मेरे पास रोज़ फोन आ जाता है किसी न किसी भाई-बहन का, वो कहते हैं कि बाबा तो हमसे रोज़ बातें करता है तो मैंने पूछा कि क्या बातें करता है बाबा, उन्होंने बताया कि बाबा ने कहा कि मुरली सुनने न जाया करो, मैंने पूछा कि तो आपने क्या किया? तो बोले कि मैंने जाना बंद कर दिया क्योंकि श्रीमत मिल गई। मैंने कहा कि भोली, बाबा जो रोज़ कहता है, भगवान रोज़ कहता है कि मुरली सुनो, तो वो कहेगा क्या कि मुरली न सुनो! दूसरे का आया कि बाबा मेरे कान में बहुत बात करता है पर पता नहीं मुझे उसके बाद डर क्यों लगता है? मैंने कहा भटक जाओगे, असली योग सीखो। ये खेल चल रहा है भारत में भी, कम से कम दस जगह इस तरह से बाबा के आने का खेल चल रहा है। ये बाबा नहीं होता, पहचानें इसे।
बाबा के रूप में माया बहुतों को आती है। बाबा ये बात कहते थे, अब ये प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जहां-तहां आत्मायें भटक गई हैं। बाबा आ रहा है, बाबा आ रहा है। बाबा शब्द ही ऐसा है जिसमें बड़ा आकर्षण है, जिसकी तरफ लोग खींच कर चले जाते हैं। मैं आपको बताऊं, जब अव्यक्त हुए बाबा, मैंने पहले दिन से ही अव्यक्त पार्ट देखा है। बाबा जब अव्यक्त हुए और पहली बार 21 जनवरी को बाबा का आगमन हुआ गुल्ज़ार दादी के तन में। किसी को पता नहीं था कि बाबा आयेगा, बाबा को तो भोग लगाया था। बाबा ने सारे यज्ञ की व्यवस्थायें दीं। ऐसे-ऐसे चलेगा यज्ञ। क्योंकि सब सोच रहे थे कि अब क्या होगा! फिर बाबा ने कहा कि बापदादा आते रहेंगे जिनको निमित्त आत्मायें नियुक्त करेंगी। निमित्त माना दीदी थी मनमोहिनी और दादी प्रकाशमणि जी। जिनको ये दोनों आत्मायें नियुक्त करेंगी उनके तन में बापदादा आयेंगे। वही चलता रहा।
तीसरे रथ की तो बात ही नहीं। लोग हमसे पूछते अवश्य थे कि तीसरा रथ बाबा क्यों नहीं ले सकता। मैं तो ये स्पष्ट जानता हूँ कि बाबा के आने का पार्ट पूरा हो गया। अब वो कुछ बच्चों को ऐसा तैयार कर रहा है जो जयजयकार करेंगे बाबा की। जिनके द्वारा जयजयकार होगी, प्रत्यक्षता होगी। सोच लो ज़रा। बुद्धिमान आत्माओं से बात कर रहा हूँ। भगवान ने जो यज्ञ रचा है उसे छोड़ कर वो भला बाहर क्यों जायेगा! विचार कर लेना। आबू महान तीर्थ बनना है। आबू प्रसिद्ध होगा, लाइट हाउस बनेगा या कोई और जगह! भगवान कोई छोटी-मोटी हस्ती थोड़े ही है। कई लोग ये भी कह देते हैं कि अगर बाबा गुल्ज़ार दादी के तन में आ सकता है तो इसके तन में क्यों नहीं! गुल्ज़ार दादी सात जन्म की परमपवित्र आत्मा, सर्वश्रेष्ठ योगी, निर्मल, सरलचित्त, जिसका बे्रेन पॉवरफुल। भगवान किसी ऐसे-वैसे के ब्रेन में कैसे आ सकता है भला! वो सहन ही नहीं कर पायेंगे, ब्रेन ही फट जायेगा। तो सभी थोड़ा-सा भ्रमित न हों। बहुतों के तन में बाबा आते हैं, उनके तन में बहुत छोटी आयु से ही आत्माओं का प्रवेश होता रहता था, वो माध्यम थे आत्माओं के। अब उन्होंने कहना शुरू कर दिया, शिव बाबा आते हैं। एक्टिंग भी वैसी ही करते हैं। मुरलियां तो हैं ही। कुछ भी सुना देते हैं लेकिन भटक जायेंगी आत्मायें। और फिर एकदम हवा निकल जायेगी। फिर सब सोचेंगे ये क्या हो गया।
हमने देखा था कई साल पहले महाराष्ट्र में एक हेमंत कुमार जी थे, शोर हो गया बाबा आता है उनके तन में। मधुबन में तो आता नहीं चलो, ये मधुबन क्या है। और आठ टीचर्स भी चली गईं। डांस हो रहा है, रास हो रहा है कोई ने बड़ी जगह भी दे दी। 2 मास में हवा निकल गई। आठों का जीवन बर्बाद हो गया। किसी ने सुसाइड कर लिया, किसी ने शादी कर ली। कोई घर में जा बसी। रोते रहते हमने क्या कर दिया! पहचाना नहीं भगवान को। सोचो! बाबा तो कहता है मुझे तीन पैर पृथ्वी भी नहीं मिलती। और वो कह रहे हैं कि अभी किसी ने 7 एकड़ दे दी, किसी ने ये कर दिया, किसी ने वो कर दिया। आत्मायें ये काम ज़रूर करा देती हैं। परमात्मा का ये काम नहीं होता। ब्रह्मा का ये काम नहीं होता है। वो इस सृष्टि को जो इस सृष्टि के नियम हैं वो उस अनुसार चलने देता है। विचार करना इन बातों पर भला सोचो, भगवान इतना सस्ता है क्या!
आत्माओं का प्रकोप बुरी तरह से संसार को अपनी चपेट में ले रहा है ये बाबा ने बहुत पहले कह दिया था। हाँ, कोई अच्छी आत्मायें भी होती हैं, सभी बुरी नहीं होती। कोई ज्ञानी आत्मा भी हो सकती है, किसी कारण उसको शरीर नहीं मिला हो, एक्सीडेंटल डेथ हो गई हो, कुछ और हो गया हो। ऐसी आत्माओं के पास ज्ञान भी होता है और ऐसे देखा भी होता है, वो भी अपना पार्ट प्ले कर सकती हैं।
ठीक है मैं आप सभी को यही कहूँगा कि बुद्धिमान बनें अपना भाग्य बनायें। भटकते वो हैं जो असंतुष्ट हैं, भटकते वो हैं जिनको किसी न किसी से ईर्ष्या, द्वेष रहती है। जो समझते हैं कि हमारी यहाँ तो कोई वैल्यू नहीं है पर वो ये नहीं सोचते कि जिस यज्ञ ने तुम्हें पाल-पोस कर बड़ा किया उस यज्ञ को तुम छोड़ कर जा रहे हो, सोच लो अंजाम। मैं बस इतना कहूँगा भारत स्वतंत्र है कोई कहीं भी जा सकता है, ना मैं मना कर सकता हूँ, ना यज्ञ और न ही कोई और। लेकिन एक ही नुकसान होगा कि बाबा की दृष्टि ऐसी आत्माओं से हट जायेगी। प्रचार भले ही वो कितना ही कर लें, अब तो वो बाबा के यज्ञ में जयजयकार होने वाली है। ये परीक्षाओं का समय है अपने को स्ट्रॉन्ग बनाना है। और कहीं भी भ्रमित नहीं होना है ताकि आप बाबा की छत्रछाया में रह सकें और आने वाले समय में हीरो पार्ट बजा सकें।

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