मन की बातें – राजयोगी ब्र.कु. सूरज भाई

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प्रश्न : मेरा नाम राघव है, मैं मुरादाबाद से हूँ। मुझे अकेले ट्रैवल करने में डर लगता है। मैं इसके लिए क्या करूँ?
उत्तर : ये कुछ पूर्व जन्मों की घटनाओं का दुष्परिणाम होता है। पूर्व जन्म में हो सकता है आपको कभी यात्रा में कष्ट हुआ हो। एक्सीडेंट हुआ हो या किसी ने आपके साथ लूटपाट की हो, किसी ने आपके साथ मारपीट कर दी हो, और आप अकेले पड़ गये हो तो जब ऐसी कुछ घटनायें हो जाती हैं तो वो सबकॉन्शियस माइंड में चली जाती हैं। इसीलिए अकेलेपन में आपको डर लगता है। आप भगवान को अपना साथी बना लें। और दो अभ्यास करेंगे, मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ और सर्वशक्तिवान मेरे साथी हैं। बस इसी स्मृति के साथ आप यात्रा शुरू करें और जब सीट पर बैठें तो इसे दुबाया दोहरायें। मेरे साथ स्वयं भगवान है, डरने की क्या बात है। गीत गाते रहें। थोड़े ही दिन में आपका ये भय समाप्त हो जायेगा।

प्रश्न : मेरा नाम आशीष है। मुझे मानसिक रूप से कई प्रकार की तकलीफे हैं, मैं कोई भी कार्य सही तरीके से नहीं कर पाता। कोई भी कार्य में मैं स्थिर नहीं हो पाता, इसलिए मैं बहुत चिंतित रहता हूँ। और मेरे परिवार वाले भी बहुत चिंतित रहते हैं। कृपया बतायें कि मैं अपनी मानसिक स्थिति को कैसे स्थिर रख सकता हूँ?
उत्तर : नि:सन्देह ये समस्या बढ़ती ही जा रही है संसार में। दिन-प्रतिदिन ब्रेन की शक्ति बहुत ही कम होती जा रही है। प्रेशर बढ़ता जा रहा है। तो मनुष्य को जानना चाहिए कि इस प्रेशर में ब्रेन की शक्तियां और क्षीण होती हैं। जितना मनुष्य लाइट होकर काम करेगा, जितना खुशी के साथ काम करेगा चाहे पढ़ाई हो या चाहे कोई काम हो। उतना ही उसका ब्रेन एनर्जेटिक रहेगा और उनको ज्य़ादा लाभ होगा। आपको कुछ अभ्यास करने हैं। सवेरे उठकर आपको 108 बार लिखना है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। और रात को सोने से पहले मैं एक महान आत्मा हूँ इसको भी 108 बार लिखेंगे। इन दोनों संकल्पों से ब्रेन को एनर्जी मिलने लगती है। दूसरा अभ्यास आपको करना है कि मैं आत्मा स्वराज्यधिकारी हूँ। मन-बुद्धि की मालिक हूँ। ये राजयोग का बहुत अच्छा अभ्यास है। अपने को ये फीलिंग देनी है कि मन-बुद्धि मेरे कन्ट्रोल में है। और मन को कहना है कि तुम शांत रहो। तुम शक्तिशाली हो, तुम्हारे अन्दर बहुत शक्तियां हैं, उन्हें जागृत करो। और बुद्धि को कहना है कि तुम स्थिर हो जाओ। अब मैं जो काम करूँ तुम इसमें ही लग जाना। या मैं जो सुनूं, पढूं उसे याद कर लेना। दिन में पांच बार ऐसा कर लें। कभी-कभी दो-दो घंटे में कर लेना है। इससे आपकी स्थिरता बहुत बढ़ जायेगी लेकिन आपको इसके साथ-साथ ये भी ध्यान रखना है कि कौन-सी चीज़ आपको अस्थिर कर रही है।

प्रश्न : मैं अपनी बात को किसी के सामने अच्छे से रख नहीं पाता। कभी-कभी बोलते समय कुछ वर्डस मिस हो जाते हैं। कृपया बतायें मैं अपनी बात को कैसे एक्सपे्रस करूँ? क्योंकि कई बार मैं जो कहना चाहता हूँ वो नहीं कह पाता, बाद में मुझे ख्याल आता है कि मुझे ऐसा-ऐसा कहना चाहिए था।
उत्तर : आपके सबकॉन्शियस माइंड में कहीं न कहीं डर अभी भी बसा हुआ है। वो कभी का भी हो सकता है, 40 साल पहले का भी, 50 साल पहले का भी। जैसे ही आप कोई बात करने जाते हैं तो वो फियर एक्टिव हो जाता है और आपको रोकने लगता है। या तो आप हेजि़टेट करेंगे, या कुछ भूलेंगे। आपको उस फियर को समाप्त करना है। इसलिए रोज़ सवेरे उठते ही 21 बार याद करेंगे कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं मुक्त हूँ, फियरलेस हूँ। बिल्कुल सच्चे मन से। तो पास्ट का सबकॉन्शियस माइंड में भरा हुआ भय डिलीट होता जायेगा। ये आपको 21 दिन तक, 21 बार रोज़ सवेरे करना है। और जब आपको किसी से बात करने जाना हो तो आपको उनसे क्या बात करनी है, वो लिख लें कागज़ पर। और जब मिलने जायें तो उनको एक बार पढ़ लें कि ये-ये कहना है। और जब आधा मिनट रह जाये तो तब सोचें कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं निर्भय हूँ और मैं अपनी बात बिल्कुल सहजता से रख सकता हूँ। जब ऐसे कॉन्फिडेंस के साथ जायेंगे तो दो-चार बार ऐसी प्रैक्टिस करते ही ये सब खुल जायेगा। और आप सफल हो जायेंगे।

प्रश्न : मेरा बेटा 35 साल का है और शादीशुदा है। और दो साल से वो शराब पीने लगा है। बचपन से ही वो गुटखा, तम्बाकू आदि खाया करता था। स्मोकिंग भी वो किया करता था। अब तो और भी वो बुरे संग में जाने लगा है। एक बार उसके पिता जी ने उसे डांट-फटकार दिया तो उसने 20 नींद की गोलियां खा ली। ये कहते हुए कि अब मैं जीना नहीं चाहता। उसकी ऐसी हालत को देखकर हम बहुत परेशान हैं। हम सोचते हैं कि इसका भविष्य क्या होगा? कृपया बतायें कि क्या इसके लिए कुछ किया जा सकता है?
उत्तर : मनुष्य के अन्दर बचपन से ही वासनायें प्रबल होने लगती हैं। उसको दबाने के लिए वो तम्बाकू, गुटखा ये सब खाने लगते हैं। उससे उन्हें थोड़ी-सी राहत मिलती है। लेकिन ये ऐसी चीज़ें हैं, व्यसन हैं एक बार मनुष्य अगर इनके आदी हो जायें तो ये छूटती नहीं है। दो तरीके अपनाने हैं आपको अपने बच्चे के लिए। तीन मास तक करना होगा। एक घंटा तो रोज़ योगदान करेंगे अपने बच्चे को। मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, विश्व कल्याणकारी हूँ। और इस योग की शक्ति से इस आत्मा का कल्याण हो। ये संकल्प रखकर फिर आप योगाभ्यास करेंगे। टाइम फिक्स करके अमृतवेले के अतिरिक्त। दूसरा, योगाभ्यास के बाद 10 मिनट अपने बच्चे को वायब्रेशन देंगे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ मेरे मस्तक से वायब्रेशन निकलकर उस आत्मा तक जा रहे हैं। फिर उसे आत्मा देखकर माइंड टू माइंड उससे बात करेंगे। तुम तो बहुत अच्छी आत्मा हो, तुम तो देवकुल की आत्मा हो। तुम्हारे अन्दर बहुत अच्छे संस्कार हैं, तुम्हें अपना भविष्य बहुत उज्जवल करना है। तुम्हारी पत्नी है, तुम्हारे बच्चे हैं तुम्हें उनकी पालना करनी है। तुम तो भगवान के बच्चे हो। ये सब चीज़ें आसुरीय चीज़ें हैं, तुम इन्हें छोड़ दो। तुम्हारा जीवन सुन्दर हो जायेगा। तुम्हारा भविष्य उज्जवल हो जायेगा। रोज़ 3-3 बार ये संकल्प उन्हें देंगे, तो बहुत जल्दी उनके अन्दर आप चेंज देखेंगे। कुछ समय के बाद वो खुद कहने लगेंगे कि मैं इनसे छूटना चाहता हूँ।

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