पुण्य कर्मों का बल और फल दिलाएगा मानसिक रोगों से मुक्ति…

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भगवान ने ये बता दिया था कि जिनके पाप अति होंगे, जिनके पापकर्म का खाता बहुत ज़्यादा भयानक है पूर्व जन्मों का या इस जन्म का तीन तरह से उन्हें भोगना पड़ेगा, मानसिक रोग, रात को नींद न आना और जो भटकती आत्मायें हैं उनका प्रभाव हो जाना। ये तीनों बढ़ रहे हैं।

हम चर्चा कर रहे हैं मानसिक रोगों की जिसका संसार में कहीं कोई इलाज ही नहीं है। डॉक्टर्स हमें बताते हैं कि हम मानसिक रोगों को थोड़ा बहुत रोक तो पाते हैं पर पूरा क्योर नहीं कर पाते। सचमुच इस संसार को स्पिरिचुअल एनर्जी की बहुत ज़रूरत है।
हम खुश नहीं रहते, हमें डर लगता रहता है बिना मतलब। कुछ अच्छा कार्य चाहते हुए भी नहीं कर पाते हैं। तो आज मैं सभी के सामने एक नया सिक्रेट भी रखने जा रहा हूँ। जिसको संसार में और कोई नहीं जानता। आप कहेंगे कि तुम जानते हो क्या? नहीं। ये भगवान ने हम सबको जो ज्ञान दिया है उन्होंने ये गुह्य रहस्य बता दिए हैं क्योंकि अब ये कल्प का अन्त आ गया है। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग इन चारों को मिलाकर कल्प कहते हैं और ये चारों युग सदा घूमते ही रहते हैं। पाँच हज़ार साल का ये साइकल है और हरेक युग की आयु 1250 वर्ष की होती है। कलियुग के बाद फिर सतयुग आता है लेकिन सतयुग में मनुष्य होता है देवता और जन्म लेते-लेते उसका देवत्व नष्ट होके द्वापर से वो मनुष्य कहलाने लगता है। और कलियुग के अन्त तक उसका हाल बहुत बिगड़ जाता है। नैतिकता, चरित्र बिल्कुल समाप्त हो जाते हैं। प्युरिटी को तो मनुष्य बिल्कुल भूल ही जाता है, तो ऐसे में भगवान स्वयं आकर सत्य ज्ञान देते हैं और हमें फिर से पॉवरफुल बना देते हैं। 100 प्रतिशत प्युअर बना देते हैं। और फिर हमें परफेक्ट करके अपने साथ ले जाते हैं परमधाम।
कई मानसिक रोगों का जो पहला कारण है उसपर मैं आपका ध्यान खिंचवाना चाहता हूँ। वो है काम-वासना,सेक्सुअल फीलिंग। जो टू मच हो गई है मनुष्यों के मन में। उनके शरीरों में, उनके मन-बुद्धि, ब्रेन सबमें हो गई है। इससे शरीर भी कमज़ोर हो गए, ब्रेन भी कमज़ोर हो गए, मन-बुद्धि भी कमज़ोर और निगेटिव हो गई है। मनोवैज्ञानिकों ने अपनी अर्ध खोज के आधार पर ये गलत सिद्धांत बना दिया कि सेक्स- ये तो भूख है, इसे तो तृप्त करना ही होगा। तृप्त करने के नाम पर मनुष्य आज इतना सेक्सुअल हो गया कि उसकी सारी एनर्जी नष्ट हो गई। ये रोगों के बढऩे का मुख्य कारण है- चाहे वो कैंसर है, या फिर और अन्य बीमारियां।
एक समय था सन्तान उत्पत्ति के लिए ये किया जाता था। धीरे-धीरे उसकी मात्रा बढ़ती गई और वो फिजि़कल आनंद के रूप में बदल गया। इस फिजि़कल आनंद से स्पिरिचुअल आनंद नष्ट हो गया। मन-बुद्धि कमज़ोर हो गई है। क्योंकि मनुष्य सारा दिन देह के बारे में ही सोचता रहता है।
दूसरा कारण, मनुष्य के अन्दर बढ़ा हुआ ईगो और एंगर। इनके कारण उनको टेंशन बहुत रहती है, वो चिंताओं में बहुत जीता है। वो झुकना नहीं जानता वो झुकाना चाहता है। ईगो के कारण, गलत व्यवहार के कारण, अपने गलत संस्कारों के कारण डिवोर्स कितने बढ़ गए हैं। फैशन बन गया है भारत में। जो भारत के कल्चर में था ही नहीं। पिछले 10-15 सालों से कोर्ट में ये केस इतने बढ़ गए हैं, जिसकी संख्या करोड़ों के पार पहुंच गई है। जिससे परिवारों में कितना टेंशन, कितनी निगेटिविटी। समाज के प्रति गलत एटीट्यूड। ये भी मानसिक रोगों को जन्म दे रहा है। और एक चीज़ जिस पर बहुत कम लोग बोलते हैं, पर मैं बोलना चाहता हूँ। लड़के-लड़कियों का अफेयर। प्यार हो जाता है पर उस प्यार को निभाना तो उन्हें नहीं आता। वो लड़के-लड़कियां इतने मेच्योर तो नहीं होते कि लड़की समझ पाये कि जिससे वो प्यार कर रही है वो कौन है, कैसा है उसकी मानसिक स्थिति, उसका चरित्र कैसा है। जब प्यार में असफल हो जाते तो इससे ही मानसिक रोग बढ़ रहे। सुसाइड टेंडेंसी बढ़ रही है। डिटेल आप इसका समझ ही सकते हैं।
शादी की बात करें तो उसके बाद जब आपस में संस्कारों का मिलन नहीं कर पाते, विचारों का मिलन नहीं कर पाते। ईगो सामने आता रहता है। इस ईगो के कारण विचार नहीं मिल पाते और अलग हो जाते हैं। अलग होना सहज हो सकता है, पर अलग होकर जीवन जीना, समाज की ग्लानि सुनना, दूसरों के एटीट्यूड को सहन करना ये कोई सहज काम नहीं होता है। इसमें मनुष्य बहुत डाउन हो जाता है, सब उसे इसी नज़र से देखते हैं- ये ऐसी ही होगी, देखा पति को छोड़कर आ गई, देखा इसका डिवोर्स हो गया, बोलने वालों की तो कमी नहीं है। तो इससे फिर मानसिक इफेक्ट होने लगता है और मनुष्य डाउन हो जाता है। ये मानसिक रोगों को बढ़ावा दे रहा है।
मैं ऐसी तीन चीज़ों की चर्चा कर रहा हूँ आपके सामने जो आपको जान लेना चाहिए। इन्हीं के लिए मैंने कहा था कि इनको लोग नहीं जानते। बड़े-बड़े विद्वान-आचार्य नहीं जानते। हर मनुष्य के साथ जो कुछ हो रहा है वो उसके कर्मों का ही परिणाम है। जिसने बहुत बुरे कर्म कर लिए अब मानसिक इफेक्ट उनपर आ रहा है। यानी उन कर्मों की सज़ा, उन पाप कर्मों की सज़ा मानसिक रोगों के रूप में बढ़ती जा रही है। भगवान ने ये बता दिया था कि जिनके पाप अति होंगे, जिनके पापकर्म का खाता बहुत ज्य़ादा भयानक है पूर्व जन्मों का या इस जन्म का तीन तरह से उन्हें भोगना पड़ेगा, मानसिक रोग, रात को नींद न आना और जो भटकती आत्मायें हैं उनका प्रभाव हो जाना। ये तीनों बढ़ रहे हैं। तो ये सब जानते हुए हमें अपने पुण्य कर्मों को भी बहुत बढ़ाना चाहिए। ताकि हमसे अच्छे वायब्रेशन्स चारों ओर फैलें। हमें सबकी दुआयें मिले। परमात्म दुआएं मिलें, हम पुण्य आत्मा बन जायें। हमारे पुण्य कर्मों का फल और बल ये मानसिक रोगों से हमें मुक्त कर देगा।

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