एक कॉलेज का विद्यार्थी जो चाहता था वो उसे नहीं मिला, वो बन नहीं पाया जो बनना चाहता था। वो हताश होने लगा, वो मन से हार गया। वो इतना निराश हो गया कि उसके मन में संकल्प चलने लगे कि अब मुझे जीना नहीं है। पढ़ाई तो उसने कर ली लेकिन मन से वो हार गया। तो महत्त्व ज्य़ादा किसका हुआ? मन की शक्ति का। तो मन को शक्ति कहां से मिले? मन की शक्ति बढ़ेगी अपने घर से। घर में भी वो ऊर्जा कैसे पैदा होगी? हमारे बोलचाल के शब्दों से।
आपने सुना होगा, पेड़-पौधों पर भी हमारी शक्ति का असर पड़ता है। हम सब ने ये अनुभव किया है। सिर्फ सुना नहीं है, अनुभव भी किया है। एक बार की बात है, हमारे ब्रह्माकुमारीज़ के एक सेवाकेन्द्र पर आम का पेड़ था। बहुत फल आते थे उसमें। और वहां आश्रम में दो छोटी बहनें रहती थीं, वो बोलती रहती थीं कि इतने सारे फल आते हैं, हम किसको दें, किसको न दें, किसको भेजें, इसमें ही हमारा समय चला जाता है। हम दो ही बहनें हैं, थक जाते हैं। ऐसे सामान्य बोल बोलती रहती थीं। उनका कोई विशेष भाव भी नहीं था। लेकिन दूसरे साल उस पेड़ में फल आये ही नहीं। और तीसरे साल में भी नहीं आये। वे सोचने लगीं कि ये फल क्यों नहीं आ रहे हैं! फिर उन्होंने आंगन में उस आम के पेड़ के नीचे बैठकर मेडिटेशन किया कि फल आ जायें। ऐसे रोज़ अभ्यास किया। तो उसमें फल आ गयेे। अच्छे फल आये। तो ये असर हुआ हमारी शक्ति का। ये है हमारी संकल्प की शक्ति। ये हमारे संकल्पों का प्रकृति पर असर है।
इसी तरह आप अगर प्रयोग करना चाहते हैं तो अपने घर में दो पौधे रखें। दोनों को पानी दें नियमित रूप से। एक पौधे को ऐसे ही दें और एक पौधे को जैसे कि बात करते हुए कि ये बहुत अच्छा है, इसमें फल आयेगा। तो आप देखेंगे कि जिसे आप प्यार देते हुए पानी देते थे, उसका विकास अच्छा होगा। आप करके देखें।
लेकिन ये सब सम्भव तब है जब हमारे अंदर इंटेंशन अच्छा हो और साथ-साथ शब्द भी। तो अवश्य ही उसके ऊपर प्रभाव पड़ता है। उसके लिए हमें एक छोटी-सी विधि सीख लेनी चाहिए, जो भी हम सोचें उसमें दूसरों के प्रति कल्याण की भावना, आगे बढ़ाने की भावना, उनका अच्छा हो, वे अपने मकसद में कामयाब हों, इस तरह से इंटेंशन रखकर हम संकल्प करते हैं तो अवश्य ही वो तो आगे बढ़ेगा ही लेकिन उनकी दुआएं हमें भी मिलेंगी और हमारी भी साथ-साथ उन्नति होगी। उसी तरह यदि आपका बच्चा पास नहीं हुआ या अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ, तो उस पौधे(बच्चे) को भी हमें अच्छे वायब्रेशन देकर, अच्छे संकल्प देकर ऊँचा उठाना है ताकि वो आगे सफल हो जाये। ऐसी ऊर्जा हमारे परिवार में और दूसरों के प्रति निरंतर करते रहना चाहिए, जिससे न सिर्फ प्रकृति बल्कि आपसी सम्बंधों में भी समरसता रहेगी। ये सब है संकल्प शक्ति की कमाल। हमारे संकल्प कभी भी व्यर्थ न हों। हर संकल्प में दुआएं हों। ऐसे अभ्यास कर अपने आप को सशक्त करते हुए दूसरों को भी शक्ति दे सकते हैं। हमारी शक्ति लॉस होती ही है निगेटिव और व्यर्थ संकल्पों में। इससे हमें बचना है।