तिल को उपयोग करने के कई तरीके हैं, जिनमें तिल के तेल का इस्तेमाल भी शामिल है। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इस कारण इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी कहा जाता है। तिल के तेल को त्वचा और बालों में लगाने के साथ-साथ भोजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है। यह तिल का तेल कुछ शारीरिक समस्याओं के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है। तिल का तेल और किस तरह से काम करता है, जानने के लिए आगे बढ़ते हैं…
तिल तेल के फायदे:-
स्वास्थ्य के लिए तिल का तेल खाने के फायदे कई हैं। इन सभी फायदों के बारे में हम लेख में आगे विस्तार से जानेंगे। बस तिली तेल के फायदे के बारे में पढऩे से पहले यह जान लें कि यह तेल किसी बीमारी का इलाज नहीं है, बल्कि एक अच्छा तेल है, जो व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
1.विटामिन ई का अच्छा स्रोत
एक रिसर्च में बताया गया है कि तिल के तेल में टोकोफेरोल होता है। यह विटामिन ई का ही एक रूप है। इस वजह से तिल के तेल को विटामिन ई का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा, टोकोफेरोल यानी विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह कार्य करता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है। बताया जाता है कि फ्री रेडिकल्स की वजह से शरीर में कैंसर सेल्स के बढऩे व हृदय रोग का जोखिम हो सकता है।
2.दर्द से राहत पाने के लिए
एनसीबीआई के एक शोध के अनुसार, तिल का तेल दर्द से भी राहत दिलाने में मदद कर सकता है। दरअसल, तिल के तेल में एंटी-नोसिसेप्टिक(दर्द को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है, जो जोड़ों के दर्द को भी कम कर सकता है। रिसर्च में लिखा है कि मासिक धर्म सिंड्रोम, खरोंच और कटने के कारण होने वाले दर्द को कम करने में भी यह तेल सहायक साबित हो सकता है।
3.अर्थराइटिस से दिलाए राहत
अर्थराइटिस की समस्या को गठिया के नाम से भी जाना जाता है। इस परेशानी को कम करने में काले तिल का तेल मदद कर सकता है। तिल के तेल में मौजूद लिग्नांस एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसके कारण यह शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियां जैसे अर्थराइटिस को कम कर सकता है। साथ ही इससे अर्थराइटिस के लक्षण को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
4.त्वचा के लिए
तिल का तेल त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को कम करने में लाभकारी हो सकता है। दरअसल, तिल का तेल हीलिंग प्रॉपर्टीज प्रभाव युक्त होता है, जो घाव भरने में मदद कर सकता है। अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसके कारण सनबर्न संबंधी परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है।
5.बालों के स्वास्थ्य के लिए
तिल का तेल स्कैल्प को पर्याप्त पोषण प्रदान करने में मदद कर सकता है। तिल के तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है, जो जीवाणु को दूर करके स्कैल्प को संक्रमण से छुटकारा दिला सकता है। देखा जाए तो रूसी की समस्या दूर करने वाले अधिकतर उत्पाद एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल युक्त होते हैं। ऐसे में तिल के तेल में मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रभाव को रूसी की समस्या दूर करने में मददगार माना जा सकता है।
नोट:- संवेदनशील लोगों को इससे एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए चाहे वो सामान्य व्यक्ति है या फिर गर्भधारण करने के बारे में सोच रही मधुमेह ग्रस्त महिलायें हैं उनको आहार विशेषज्ञ से पूछकर ही तिल के तेल की रोज़ाना सेवन की मात्रा को तय करना चाहिए।