ओम शान्ति का यह शब्द भी बाबा की ओर से बहुत अच्छी सौगात है। जब हम अर्थ सहित उस स्वरूप में टिक करके ओम शान्ति कहते हैं तो समस्या बदलके समाधान हो जाती है। यह शिव मंत्र बहुत काम देता है लेकिन सिर्फ शर्त है कि उस अर्थ स्वरूप में अपना मन लगायें क्योंकि मन में ही समस्या आती है, तो मन अगर ओम शान्ति के अर्थ स्वरूप में टिक जाता है तो मन बदल जाता है। ऐसे नहीं राम-राम कहते, मरा-मरा हो जाए, ऐसा नहीं लेकिन अर्थ से अगर हम ओम शान्ति कहते हैं तो अशान्ति फौरन भाग जाती है। तो आप सभी ओम शान्ति का मंत्र समय पर काम में लगाते हो? ओम शान्ति कहा और अशान्ति चली गयी, किसी का यह अनुभव है? ओम शान्ति कहने मात्र से अगर आप माया से मुक्त हो गये तो बहुत खुशी और मौज में रहेंगे। सदा खिले हुए रूहे गुलाब, सदा खुश रहेंगे। कलियुग का अर्थ है कलह कलेष का समय, ऐसे समय पर इस शिव मंत्र के अर्थ स्वरूप में टिक जायें, यह है बड़ी बात। समस्या के समय इसमें टिक जायेंगे, शुभ संकल्प से सोचेंगे तो समस्या का रूप बदल जायेगा। तो शिवबाबा के इस महामंत्र को काम में लाओ। शिवबाबा से प्राप्त शक्तियों के आधार से ही मन को वश कर सकते हैं। हम मालिक हैं तो हमारा मन कायदे से चलेगा, बुद्धि ठीक काम करेगी, संस्कारों में सुधार होता रहेगा। तो मन को अपने ऑर्डर में रखने के लिए बाबा कहते हैं कि सदा बाप को याद करते रहेंगे तो बाप से शक्तियां मिलेंगी, उन शक्तियों के आगे मन अपनी मनमानी नहीं कर सकता है। तो एक बाबा ही याद हो बस और कोई बात याद न हो। दूसरा हर कर्म(सेवा) श्रीमत प्रमाण करो, मन उसमें बिजी रहेगा तो व्यर्थ आयेगी ही नहीं। कर्मयोगी बनके कर्म करो, क्योंकि बाबा की याद में कोई भी कार्य करेंगे तो उसमें सहज सफलता मिलती है और मन हल्का रहता है। सारे दिन में बीच-बीच में यह चेक करो कि हम सोल कॉन्शियस हैं? बाबा जो-जो युक्तियां बताते हैं, उसे अपनाते पुरूषार्थ में आगे बढऩे का अनुभव हो रहा है? यहाँ मधुबन में निरन्तर योग में रहने का अभ्यास बहुत अच्छा कर सकते हैं क्योंकि और तो कोई काम नहीं है। बाबा, बाबा और तो कुछ है ही नहीं इसलिए यहाँ आप पूरा मनमनाभव का अनुभव कर सकते हो। मन बाबा में ही लगा रहे। सारा दिन मन में सदा खुशी की डांस चलती रहे तब कहेंगे खुशनसीब। तो कितना श्रेष्ठ भाग्य है जो फ्री हो योग में आकर बैठते हैं, ब्रह्मा भोजन खाते हैं। तो आप यहाँ अपने योग की स्टेज बहुत अच्छी बना सकते हो। और बातों में जाओ ही नहीं, और बातें यहाँ करना ही नहीं चाहिए। क्यों, क्या में जाने की ज़रूरत नहीं है, बस बाबा और मैं। बाबा ही मेरा संसार है और कोई है ही नहीं, यह अनुभव आप यहाँ बहुत सहज कर सकते हो। बाबा के याद की शक्ति बढ़ाने का चांस यहाँ मिलता है, इस लॉटरी का लाभ लेके जाओ। अपने में खुशी का खज़ाना भरके जाओ, जो लक्ष्य रखा है, उसको प्राप्त करके जाना है। जैसा लक्ष्य वैसे लक्षण। लक्ष्य और लक्षण में जो कमी है, उसे यहाँ छोड़के जाओ, यहाँ बाबा ले लेगा। सच्ची दिल से प्यार से अपना हक समझके बाबा को अपनी कमी-कमज़ोरी देके जाओ तो बाबा ले लेगा। अपना चेहरा खुश्क नहीं, खुश रखना चाहिए। इतना भाग्य मिला है तो हम मुस्कुरायेंगे नहीं तो कौन मुस्कुरायेंगे? सदा हर्षित रहना, सदा सन्तुष्ट रहने का खज़ाना अपने में भरना है।