संसार में रहें एक योगी की तरह…

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संसार में रहना और उससे अलिप्त रहना, ये एक चैलेंज है। संसार में भी रहें और कीचड़ भी न लगे माना किसी के प्रभाव, लगाव और किसी के भी स्वभाव का हमपर असर न हो। ऐसा जीवन हो सकता है? कइयों को लगता है कि ये असंभव बात है, मुश्किल है। लेकिन हाँ, जीवन जीने के दो तरीके हैं, योगी जीवन और भोगी जीवन। क्रभोगनाञ्ज का मतलब ही है क्रसफरिंगञ्ज। क्रयोगीञ्ज का मतलब है क्रडिटैचञ्ज। इसलिए योगी को कमल पुष्प के ऊपर दिखाया जाता है। जीवन में दुनिया में रहना है, इसका मतलब कीचड़ है, कीचड़ का मतलब चैलेंज है, बातें हैं, अलग-अलग तरह के वायब्रेशन्स हैं, सिचुएशन्स हैं, लोग हैं, सबकुछ है, उसको छोडऩा तो नहीं है ना! उसको छोडऩा नहीं है और उसे भोगना भी नहीं है। उससे दूर जाना नहीं है लेकिन उसके बीच में रहते हुए उस कीचड़ का चिन्ह हमारे ऊपर नहीं आना चाहिए। जैसे सफेद ड्रेस पहनकर बाहर चलते हैं, उस बीच हम ध्यान रखते हैं ना कि कीचड़ हमारे ऊपर न लग जाये। कभी बारिश हो रही है, कभी रास्ते में बहुत कीचड़ है, लेकिन जब हम चलते हैं तो हम किनारा करते हुए, अपने को बचाते हुए चलते हैं ना! उसी तरह हमें संसार में रहकर क्या-क्या ध्यान रखना है कि वो कीचड़ हमपर नहीं आना चाहिए। ध्यान नहीं रखेंगे तो कीचड़ के छींटे हमपर लग जायेंगे। योगी जीवन का मतलब ही है ध्यान रखना, ध्यान से जीना कि जो सबकुछ आसपास हो रहा है, उसका दाग हमारे पर नहीं होना चाहिए। उसके लिए हमें हर सिचुएशन से ऊपर रहना पड़ता है और जो भोगी जीवन है, वह नीचे रहता है, मतलब कि हमारी जो आत्मिक ऊर्जा का वायब्रेशन है वो लो-लेवल का रहता है। जबकि योगी जीवन जीने वाले का वायब्रेशन उच्च स्तर का होता है। जब हम उच्च स्तरीय वायब्रेशन की स्थिति में स्थित हैं और चेकिंग करते हैं तो हमारे में देवत्व का एक सफेद रंग का सर्कल बनता है जिसको हम क्रऔराञ्ज कहते हैं, व्हाइट औरा। जिसे देवताओं या धर्म-स्थापकों के पीछे व्हाइट सर्कल के रूप में दिखाते हैं। मतलब यह एनर्जी कैसी है, सबके प्रति शुभ, सुख देने वाली, सुकून देने वाली होती है, प्युअर होती है। ये किसी भी तरह के स्वार्थ, अहंकार, क्रोध से रहित होती है। जबकि भोगी जीवन वाले के वायब्रेशन का औरा काला होता है। काला का मतलब उनसे निकलने वाले वायब्रेशन्स स्वार्थ व क्रोध से भरे, दु:ख व अशांति फैलाने वाले होते हैं। जब ऐसे वायब्रेशन होते हैं तो मनुष्य सफरिंग में होता है। इसका मतलब यह नहीं कि योगी जीवन वालों के सामने चुनौतियां नहीं होती, समस्याएं नहीं होती! उनके सामने भी अनेक बातें, मुश्किलातें, अलग-अलग वायब्रेशन के लोग, चुनौतियां, समस्याएं भी होंगी, लेकिन उन प्रॉब्लम्स को फेस करने का तरीका हाई एनर्जी के रूप में होगा। चलता तो वो भी इस कीचड़ के मध्य ही है लेकिन वो अपना ध्यान रखेगा और इन सब बातों से वो अनटच रहेगा, माना उसका प्रभाव न हो ये ध्यान रखेगा। अगर ध्यान नहीं रखेगा तो वो भी सफर करेगा। तो हमें योगी जीवन को मेंटेन करते हुए अपने को ऐसा ही रखना है जैसे कमल का फूल कीचड़ में रहकर भी उस कीचड़ की बूंद उसे स्पर्श नहीं करती है। कीचड़ में रहकर वो खिला हुआ रहता है। कीचड़ में छुपी हुई सुंदरता को लेकर वो अपने को खिलाता है। एनर्जी वहां से ही लेता है, लेकिन दूसरों को पॉजि़टिव एनर्जी अर्थात् खुशबू देता है। तो हम भी ऐसा कर सकते हैं ना! इन बातों से अपना बचाव करते हुए जी सकते हैं ना! ये संभव है! डिफिकल्ट से डिफिकल्ट कई सारे प्रॉब्लम्स को हम हल करते हैं लेकिन रोज़मर्रा की जि़ंदगी में छोटी-छोटी बातों में हम उसे नेगलेक्ट करते हैं जिससे बूंद-बूंद बनकर वैसा स्वभाव हमारा बनता जाता है और समय या परिस्थिति आने पर वो बैड एनर्जी का फोर्स हमें गलत कार्य करने को विवश करता है। इसलिए योगी जीवन वाला ध्यान रखने के कारण सांसारिक कीचड़ में रहते भी अपने को सेफ रखते हुए आगे बढ़ता है और दूसरों को भी अपने कृतित्व से सुख देता है और हाई एनर्जी में जीता है। बात सिर्फ ये है कि अपना ध्यान रखना कि कहीं काले कीचड़ का दाग मुझपर न लगे। ये तो कर सकते हैं ना!

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