कहने से ज्य़ादा करके दिखाओ

0
236

जैसे हर वर्ष मधुबन आते जाते रहते हैं, वैसे माया आती रहती है, कभी हार खाते, कभी विजय होती है। ऐसे अभी नहीं करना, जैसे दत्तात्रेय ने बहुत गुरू किये यानी उनसे गुण उठाया, ऐसे माया से गुण उठाके मायाजीत बनो। बाबा, हम सारा वर्ष मायाजीत रहेंगे, ऐसी प्रतिज्ञा मधुबन में करके जाओ तो सदा विजयी रहेंगे। कहने से ज्य़ादा करके दिखाने से बाबा खुश होगा, शक्ति भी देगा। रोज़ अमृतवेले बाबा से मिलन मनाके जो दृढ़ संकल्प किया है, वो याद करते कर्म योगी बन कर्मक्षेत्र में जाओ। फिर बीच-बीच में चेक भी करते रहो कि जो स्वमान मैंने सुबह बाबा के सामने लिया था वो स्मृति में है? अगर स्वमान भूल गया है तो स्मृति में फिर से लाओ। अपने को चेक करना है कि मुझे बाबा याद है या नहीं? स्वमान याद है या नहीं? क्योंकि बाबा को याद करके अपने पापों को भस्म करने के लिए बाबा के ब्राह्मण बच्चे बने हैं, ना कि दूसरों को देखने के लिए। तो हम बी.के बने ही हैं कुछ परिवर्तन करने के लिए। बाबा कहते तुम बच्चे अपने को ठीक करेंगे तो योग में रहकर अन्य लोगों को भी शान्ति की शक्ति दे सकेंगे। तो जो सोचा है वो करना ही है। देखेंगे, सोचेंगे, करना तो है, कर तो रहा हूँ… यह भाषा यूज़ न करके, करना ही है ऐसे कहो। बाबा ने हम बच्चों में जो आश रखी है वो पूर्ण करना ही है, इसमें कांध हिलाओ। एक सेेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये, अगर व्यर्थ जायेगा तो अच्छा नहीं है। यहाँ आये हैं रिफे्रेश होने के लिए, भले कर्म भी करेंगे लेकिन कर्मयोगी होकेे करना है। सेकण्ड और श्वास कुछ भी व्यर्थ न जाये इतना अटेन्शन रखो तो समर्थ रहेंगे। यहाँ का यह अभ्यास वहाँ बहुत काम आयेगा।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें